कहते हैं कि सिनेमा समाज का दर्पण है। अगर यह बात सत्य है तो विश्वास मानिए, हमारा समाज घोर संकट में है। कभी तकियानुमा पोशाक पहनकर कान फिल्म फेस्टिवल पर कैटवॉक किया जाता है तो कभी ऐसी लिपस्टिक लगा ली जाती है कि उन अभिनेत्रियों और कथित स्टार्स को देखकर द कंज्यूरिंग की भूतनियां भी हृदयाघात से चल बसें और कभी-कभी तो रणवीर सिंह की भांति… फैशन को लेकर रणवीर सिंह का क्या ही जिक्र करें, छोड़िए। परंतु आपको क्या लगता है, बॉलीवुड के कुछ ऊटपटांग फैशन ट्रेंड वाली यह बीमारी कोई नयी है? बिल्कुल नहीं।
इस लेख में बॉलीवुड के कुछ हास्यास्पद फैशन ट्रेंड्स को जानेंगे, जिन्हें देख आप भी कहोगे, तौबा तौबा तौबा, सारा मूड खराब कर दिया।
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अजीब फैशन ट्रेंड
बचपन में हमारे अभिभावक टीवी और सिनेमा से दूर रहने को कहते थे। उनका मानना था कि इससे बच्चे बिगड़ जाते हैं। उस समय समझ में आया हो या नहीं, लेकिन वर्तमान के और कुछ पुराने फैशन ट्रेंड्स देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि वे पूर्णत्या गलत भी नहीं थे। आइए देखें कुछ ऐसे ही फैंशन ट्रेंड्स को जो फैशन कम नौटंकी अधिक जान पड़ती है।
1) ऋषि कपूर का स्वेटर प्रेम –
जब 70 के दशक में बड़े-बड़े एक्टर औंधे मुंह गिर रहे थे, उस समय ताजा हवा के झोंके की भांति आए ऋषि कपूर। इनका “चॉकलेट बॉय” इमेज उस समय के लिए नया था और कई लोग इनकी इसी शैली पर इनकी ओर आकृष्ट होने लगे। परंतु जाने क्या हुआ कि 1985 के बाद से अनेकों फिल्म में ये स्वेटर ऐसे पहनने लगे, जैसे इसे अतिरिक्त कोई और प्रकार के परिधान ही न हो। क्या ये अपनी हीरोगिरी को यथावत रखने के लिए था या फिर अपना बढ़ता मोटापा छुपाने के लिए। ये समझ से परे है।
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2) कुछ कुछ होता है में SRK के लॉकेट और बैण्ड –
भई, कोई ये कह दे कि अर्जुन कपूर एक्टिंग कर सकता है ये मान लूंगा, परंतु कोई ये कहे कि कुछ कुछ होता है एक बढ़िया फिल्म थी, ये नहीं हो सकता। गुंडा तो फालतू में बदनाम है, असल महामारी तो ये थी, जिसने न केवल देश में कथ्यपरक सिनेमा का उपहास उड़ाया, अपितु सबसे ऊटपटांग फैशन ट्रेंड से भी परिचय कराया। विशेषकर शाहरुख का कूल लॉकेट और वो फ्रेंडशिप बैंड। परंतु कुछ युवा तो ऐसे इन ट्रेंड्स का अनुसरण करने लगे, जैसे इन्हें न पहना तो देश निकाला हो जायेगा।
3) संजय दत्त का लेदर जैकेट –
हर परिधान को पहनने का एक तरीका, एक क्लास होता है, परंतु बॉलीवुड का ड्रेसिंग सेंस से उतना ही नाता है, जितना चीन का मानवता से। अगर आपने 90 के दशक की कुछ फिल्मों को देखा हो, तो आपने संजय दत्त की लेदर जैकेट के लिए रुचि भी अवश्य देखी होगी। आज तक समझ में नहीं आया कि इस चॉइस का क्या सेंस था। अगर एक्शन फिल्म में माचो मैन दिखना हो तो एक बार को समझ में आता है, लेकिन संजू बाबा तो 90 के दशक की आधी से अधिक फिल्मों में वो यही स्टाइल अपनाने लगे और कई लोग इसी का अनुसरण करने लगे क्योंकि कूल लगना है ब्रो!
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4) जीतेंद्र के सफेद ट्राउज़र –
अगर जीतेंद्र की फिल्में न देखी, तो क्या खाक सिनेमा देखा? एक समय सबके चहेते थे जीतेंद्र, जिनको देखने के लिए क्या लड़के, क्या लड़कियां, सभी लालायित होते थे। परंतु जीतेंद्र के सफेद ट्राउज़र वाला ड्रेसिंग शैली भी ऐसी थी कि आज कोई देखे, तो बोल पड़े – क्या सोचकर सफेद ट्राउज़र पहने थे जीतेंद्र बाबू?
कारण था इनका सफेद ट्राउज़र के लिए प्रेम, जो इन्होंने लगभग आधी से अधिक फिल्मों में पहना। ऊपर कुछ भी पहना हो, परंतु सफेद ट्राऊज़र मस्ट था, और उसी में नाच, गाना, यहां तक कि सारी कलामुंडियाँ भी कर लेते थे। बस एक बात नहीं समझ आई – इतना सब होने के बाद भी ट्राउज़र नई जैसी सफेद कैसे?
परंतु ऐसे निखट्टू ऊटपटांग ट्रेंड्स को अंधाधुंध फ़ॉलो करने से इतना तो स्पष्ट हुआ कि हमारे देश का फैशन सेंस बहुत अधिक विकसित नहीं हुआ, और भारतीय सिनेमा, विशेषकर बॉलीवुड ने तो इसे बहुत नुकसान पहुंचाया। पर छोड़िये, जब बॉलीवुड गोरे लंगूरों की नकल करने में आधी उम्र बिता दी, तो फिर कैसे व्यवहारिकता की आशा करें?
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