सविनय अवज्ञा आंदोलन : कारण एवं आन्दोलन

Savinay avagya andolan

Savinay avagya andolan : सविनय अवज्ञा आंदोलन : कारण एवं आन्दोलन

स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Savinay avagya andolan साथ ही इससे जुड़े कारण एवं आन्दोलन के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें

असहयोग आन्दोलन के पश्चात् भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का संघर्ष चलता रहा और 1930 ई. तक कांग्रेस ने भारत की स्वतंत्रता के लिए सरकार से कई माँगें कीं, लेकिन कांग्रेस की सभी माँगें सरकार द्वारा ठुकरा दी जाती थीं. जनता के मन में यह बात घर कर गई थी कि सरकार को कुछ करने के लिए मजबूर किया ही जाना चाहिए. ब्रिटिश सरकार ने नेहरू रिपोर्ट को भी अस्वीकृत कर भारतीयों को क्रुद्ध कर दिया था. अंततः 1930 ई. में कांग्रेस की कार्यकारिणी ने महात्मा गाँधी को सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाने का अधिकार प्रदान किया. सविनय अवज्ञा आन्दोलन  की शुरुआत नमक कानून के उल्लंघन से हुई. उन्होंने समुद्र तट के एक गाँव दांडी जाकर नमक कानून को तोड़ा. सारा देश जाग उठा. हर आदमी गाँधीजी के नेतृत्व की राह देख रहा था. मार्च 1930 से महात्मा गांधी के नेतृत्व में राष्ट्रीय आन्दोलन ने एक नयी दिशा अख्तियार की, जिसकी शुरुआत सविनय अवज्ञा आन्दालेन और दांडी मार्च से हुई. इस प्रकार एक महान् आन्दोलन प्रारम्भ हुआ, जिसकी प्रतिक्रिया के रूप में सरकार का दमनचक्र भी तेजी से चला.

आन्दोलन का कार्यक्रम

क़ानून तोड़ने की नीति –

क़ानूनों को जानबूझ कर तोड़ने की इस नीति का कार्यान्वयन औपचारिक रूप से उस समय हुआ, जब महात्मा गांधी ने अपने कुछ चुने हुए अनुयायियों के साथ साबरमती आश्रम से समुद्र तट पर स्थित डांडी नामक स्थान तक कूच किया और वहाँ पर लागू नमक क़ानून को तोड़ा। लिबरलों और मुसलमानों के बहुत वर्ग ने इस आन्दोलन में भाग नहीं लिया। किन्तु देश का सामान्य जन इस आन्दोलन में कूद पड़ा। हज़ारों नर-नारी और आबाल-वृद्ध क़ानूनों को तोड़ने के लिए सड़कों पर आ गए।

आन्दोलन के कारण –

ब्रिटिश सरकार ने नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकृत कर भारतीयों के लिए संधर्ष के अतिरिक्त अन्य कोई मार्ग नहीं छोड़ा. उनके पास संघर्ष के अलावा और कोई चारा नहीं था देश की आर्थिक स्थिति शोचनीय हो गयी थी. विश्वव्यापी आर्थिक मंदी से भारत भी अछूता नहीं रहा. एक तरफ विश्व की महान आर्थिक मंदी ने, तो दूसरी तरपफ सोवियत संघ की समाजवादी सफलता और चीन की क्रान्ति के प्रभाव ने दुनिया के विभिन्न देशों में क्रान्ति की स्थिति पैदा कर दी थी. किसानों और मजदूरों की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गयी थी. फलस्वरूप देश का वातावरण तेजी से ब्रिटिश सरकार विरोधी होता गया. गांधीजी ने इस मौके का लाभ उठाकर इस विरोध को सविनय अवज्ञा आन्दोलन की तरफ मोड़ दिया.

भारत की विप्लवकारी स्थिति ने भी आन्दालेन को शुरू करने को प्रेरित किया. आंतकवादी गतिविधियाँ बढ़ रही थीं. ‘मेरठ षड्यंत्र केस’ और ‘लाहौर षड्यंत्र केस’ ने सरकार विरोधी विचारधाराओं को उग्र बना दिया. किसानों, मजदूरों और आंतकवादियों के बीच समान दृष्टिकोण बनते जा रहे थे. इससे हिंसा और भय का वातावरण व्याप्त हो गया. हिंसात्मक संघर्ष की संभावना अधिक हो गयी थी.

31 अक्टूबर, 1929 को वायसराय लार्ड इर्विन ने यह घोषणा की कि – मुझे ब्रिटिश सरकार की ओर से घोषित करने का यह अधिकार मिला है कि सरकार के मतानुसार 1917 की घोषणा में यह बात अंतर्निहित है कि भारत को अन्त में औपनिवेशिक स्वराज प्रदान किया जायेगा वायसराय के निमंत्रण पर गाँधीजी, जिन्ना, तेज बहादुर सप्रु, विठ्ठल भाई पटेल इत्यादि कांग्रेसी नेताओं ने दिल्ली में उनसे मुलाक़ात की. वायसराय डोमिनियन स्टटे्स के विषय पर इन नेताओं को कोई निश्चित आश्वासन नहीं दे सके. दूसरी ओर, ब्रिटिश संसद में इर्विन की घोषणा (दिल्ली घोषणा पत्र) पर असंतोष व्यक्त किया गया. इससे भारतीय जनता को बड़ी निराशा हुई और सरकार के विरुद्ध घृणा की लहर सारे देश में फैल गयी ।

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आज़ादी –

सन 1942 में ‘अंग्रेज़ों, भारत छोड़ो’ का जो नारा गांधीजी ने दिया था, उसके ठीक पाँच वर्षों के बाद अगस्त, 1947 ई. में ब्रिटेन को भारत छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।

FAQ-

Ques-1929 में सविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य क्या था?

Ans-सविनय अवज्ञा आंदोलन का मुख्य उद्देश्य नमक कर के खिलाफ था।

Ques-गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन क्यों शुरू किया?

Ans-महात्मा गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन इसलिए चलाया क्योंकि लॉर्ड इरविन ने नमक कर को समाप्त करने सहित गांधी की ग्यारह मांगों को नजरअंदाज कर दिया था । गांधीजी ने प्रसिद्ध दांडी मार्च के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया।

Ques-सविनय अवज्ञा आंदोलन कितने समय तक चला?

Ans-1930-1934 से। संकेत: सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी ने अपनी दांडी यात्रा से की थी। यह मार्च ब्रिटिश नमक कानून की अवहेलना करने के लिए किया गया था।

Ques-सविनय अवज्ञा आंदोलन कब वापस ले लिया गया?

Ans-1934 में इस आंदोलन को वापस ले लिया गया। 1934 में कांग्रेस के द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया।

Ques-भारत में पहली बार सविनय अवज्ञा कैसे जीती गई?

Ans-भारत में गांधीजी का पहला सविनय अवज्ञा आंदोलन 1917 में चंपारण सत्याग्रह था।

Ques-3 सत्याग्रह आंदोलन कौन से हैं?

Ans-प्रसिद्ध सत्याग्रह आंदोलन में शामिल हैं – चंपारण सत्याग्रह, अहमदाबाद मिल हड़ताल और खेड़ा सत्याग्रह ।

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