SCR मॉडल: यूपी के छोटे जिलों को भारत के आर्थिक केंद्र में बदल रहे हैं सीएम योगी

योगी आदित्यनाथ की सरकार में उत्तर प्रदेश आर्थिक रूप से तीव्र गति से विकास कर रहा है। निवेशकों की नजरों में प्रदेश की छवि ऐसी बदली है कि वे यहां के बाराबंकी और उन्नाव जैसे शहरों को देख रहे हैं और भारी भरकम निवेश कर रहे हैं।

बाराबंकी मॉडल

Source- TFI

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही राज्य के विकास को पंख मिले हैं। आज देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश तेजी से विकास की ओर अग्रसर है। निवेशकों के लिए यूपी पहली पसंद बन रहा है। इस बीच 10 फरवरी को उत्तर प्रदेश में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 का आयोजन होने जा रहा है। परंतु इससे पहले हर तरफ “बाराबंकी मॉडल” की काफी चर्चाएं हो रही है और यह पूरे उत्तर प्रदेश के लिए उदाहरण बन रहा है।

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बाराबंकी-उन्नाव में निवेश

दरअसल, फरवरी में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिये बाराबंकी जिले ने 500 करोड़ लक्ष्य के सापेक्ष 867 करोड़ का निवेश हासिल किया है।19 दिसंबर 2022 को बाराबंकी इन्वेस्टर्स समिट आयोजित करने वाला पहला जिला बन गया। इस दौरान जिले को उम्मीद से अधिक 867.2 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्ताव मिला। इस तरह बाराबंकी में इन्वेस्टर्स समिट काफी सफल हुई।

इसी तरह उन्नाव को भी हाल ही में 738 करोड़ रुपये का निवेश हासिल हुआ है। हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, लखनऊ के सटे जिले उन्नाव में 738 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव पारित हुआ है। इसमें रिमझिम इस्पात में 400 करोड़, मिर्जा इंटरनेशनल लिमिटेड में 150 करोड़, वृंदावन बाटलिंग प्लांट में 111 करोड़ रुपये, रेशम रोसेन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में 30 करोड़ और सासो सरेमिका में 20 करोड़ का निवेश शामिल है। उन्नाव में निवेश के लिहाज से यह एक बड़ी रकम आई है।

उन्नाव और बाराबंकी में आया यह निवेश काफी अहम है। देखा जाये तो एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार ने भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है, तो वहीं इसमें उत्तर प्रदेश ने एक ट्रिलियन डॉलर के योगदान का वादा किया है। वहीं, उत्तर प्रदेश भारतीय राज्यों में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।

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बाराबंकी मॉडल: यूपी में राज्य राजधानी क्षेत्र

वहीं इन सबसे इतर योगी सरकार NCR की तर्ज पर यूपी में SCR तैयार करने की योजना पर काम कर रही है। प्रदेश में तेजी से बढ़ रही शहरी आबादी को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) की तर्ज पर लखनऊ और आसपास के कई जिलों को मिलाकर उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र (SCR) के गठन की योजना बनाई है। NCR इस बात का उदाहरण है कि कैसे बाराबंकी मॉडल के विकास ने न केवल आसपास के क्षेत्र बल्कि यूपी और हरियाणा जैसे राज्यों के लिए भी अपार संभावनाओं का द्वार खोल दिया। अब यूपी सरकार इसी तर्ज पर राजधानी लखनऊ के आसपास के शहरों को स्टेट कैपिटल रीजन घोषित करने की दिशा में काम कर रही है।

योगी सरकार जानती है कि एक ट्रिलियन की इकोनॉमी वाला राज्य बनने है तो जल्द से जल्द निवेश को बढ़ाना होगा। नोएडा और गाजियाबाद जैसे जिलों में पहले ही निवेश काफी हो चुका है। ऐसे में अब आवश्यकता अन्य शहरों की है‌। यदि बाराबंकी मॉडल लागू हो जाता है तो जिस प्रकार नोएडा आगरा के आसपास एक विशेष रौनक दिखती है कुछ वैसा ही लखनऊ और उसके आसपास के 7-8 जिलों में भी देखने को मिलेगी।

SCR के तहत लखनऊ के आसपास के शहरों की बात करें तो इसमें सीतापुर, बाराबंकी, उन्नाव, रायबरेली, कानपुर नगर और कानपुर देहात शामिल हैं। SCR, लखनऊ सहित इन सात जिलों के 28,016 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला होगा। सरकार के दावे के अनुसार SCR संतुलित और समावेशी विकास का मॉडल बनेगा। दावे के अनुसार SCR, आम आदमी को ईज ऑफ  लिविंग के सभी मानकों पर विश्वस्तरीय अहसास कराने वाला होगा। राजधानी क्षेत्र विकसित करने वाला यूपी पहला राज्य बन सकता है।

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देखा जाये तो यह कुछ दिन पूर्व की ही बात है जब पंजाब के कई निवेशक लखनऊ पहुंचे थे और राज्य में निवेश का वादा किया था। इसके पीछे का प्रमुख कारण है कि उत्तर प्रदेश में सुरक्षित कामकाजी माहौल के साथ-साथ व्यापार करने में आसानी था। पिछली सरकार की तुलना में यूपी की कानून-व्यवस्था की स्थिति काफी सुधर गई है।  जहां पहले की सरकारों में यूपी में अपराध और भ्रष्टाचार के मामलों की संख्या में वृद्धि हो गई थी, जिसने निवेशकों को यूपी में निवेश करने के लिए अनिच्छुक बना दिया था। इस प्रकार राज्य का आर्थिक विकास भी रुक गया था। हालांकि योगी सरकार ने प्रशासन में सुधार किया और औद्योगिक विकास के लिए ‘निवेश मित्र’ नामक एकल खिड़की निकासी प्रणाली भी शुरू की। योगी सरकार के द्वारा उठाये गये इन कदमों का ही परिणाम है कि आज उत्तर प्रदेश की तरफ निवेशक इतना आकर्षित हो रहे हैं।

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