इन दिनों एस एस राजामौली का प्रभाव चारों ओर है। एक ओर उनकी फिल्म “रौद्रम रणम रुधिरम” यानी RRR को हर जगह से प्रशंसा और सम्मान मिल रहा है, वही गोल्डन ग्लोब में नाटु नाटु को बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग का पुरस्कार प्राप्त हुआ, जिसके बाद RRR ने ऑस्कर के लिए अपनी दावेदारी मजबूत कर ली है। निस्संदेह यह भारतीय सिनेमा के लिए बड़े गर्व की बात है और हम सब को राजामौली एवं उनकी टीम पर गर्व है। परंतु वैश्विक मंच पर राजामौली और जूनियर एनटीआर ने जो बयान दिए हैं, उसे लेकर जनता के मन में कुछ ऐसे प्रश्न हैं, जिनके उत्तर ढूंढ़ना अवश्यंभावी हैं।
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राजामौली का तेलुगु ‘जाप’
दरअसल, RRR को लेकर अभी हाल ही में कुछ ऐसे विचार आये हैं, जिनके उत्तर देना जनता के हित में भी होगा और फिल्म के सदस्यों के भी। नहीं नहीं, हमें यह बिल्कुल नहीं पूछना कि RRR इतना राष्ट्रवादी क्यों है या इस फिल्म के गीतों में हमारी संस्कृति की महिमा क्यों गाई गई है? हमारे प्रश्न तनिक स्पष्ट और गंभीर हैं, जिनका सम्बन्ध टीम के सदस्यों के वर्तमान बयानों से है।
हाल ही में गोल्डन ग्लोब पुरस्कार प्राप्त करने के बाद पत्रकारों से वार्ता करते हुए राजामौली ने कहा, “आप भ्रम में है कि ये (RRR) एक बॉलीवुड फ़िल्म है। ये मूल रूप से तेलुगु फिल्म है, जो भारत के दक्षिणी हिस्से को चित्रित करती है, जहां का मैं वासी हूं। केवल गीत और नृत्य से सब कुछ नहीं होता। यदि हमारे प्रयासों से आपको ऐसा लगे कि 3 घंटे का समय पता ही नहीं चला, तो हम अपने प्रयास में सफल रहे।”
ऐसे में सवाल है कि राजामौली गारू, आपके इस बयान का कोई सेंस नहीं बनता। केवल बॉलीवुड के आधिपत्य को ध्वस्त करने की बात होती, तो कोई समस्या नहीं है परंतु आपका यह कहना कि ये मूल रूप से तेलुगु फिल्म है काफी भ्रमित करता है। वहां पर आप भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे या केवल तेलुगु समाज का? क्या बाहुबली, RRR इत्यादि को केवल तेलुगु भाषियों ने हिट कराया है?
यदि आपके बयान का अर्थ अन्य क्षेत्रों के सिनेमा को महत्व देना था तो आपने ढंग से बात नहीं की। इसके अतिरिक्त जब आप स्वयं अपने कई बयानों में मानते हैं कि भारतीय सिनेमा, विशेषकर बॉलीवुड की दुर्गति का कारण जनता को अच्छा कंटेंट न देना है, तो आपके इस बयान का न कोई सर है ना पैर, वह भी तब, जब आप ही ने गोल्डन ग्लोब के पश्चात कहा कि यह भारतीय सिनेमा की विजय है।
ट्रोल हो रहे हैं जूनियर NTR
यह तो रही राजामौली की बात लेकिन जब हम जूनियर NTR के कर्मकांड पर नजर डाले तो उसका कोई अर्थ ही नहीं निकाला जा सकता है। अमेरिकी फिल्म सम्मेलन में एक इंटरव्यू के दौरान उनका जो एक्सेंट था, उसकी चर्चा जोर शोर से हो रही है। उनकी बोली इतनी अजीब और हास्यासपद है कि उन्हें ट्रोलिंग का सामना करना पड़ रहा है। देखिये NTR महोदय, यह बात सही है कि जैसा देश, वैसा वेश, परंतु इसे इतनी भी गंभीरता से नहीं लेना था कि आप उपहास का पात्र बन जाओ।
यदि आपको अपनी बात रखनी ही थी तो आप वैसे ही रखते जैसे भारत में रख रहे थे। आप तेलुगु और हिंदी सहित अंग्रेज़ी में भी निपुण हैं, जो अनेक साक्षात्कारों में हमने देखा भी है। तो फिर ऐसे नकली एक्सेंट की कोई आवश्यकता ही नहीं थी। लेकिन यह प्रपंच किसलिए? आपसे अच्छा तो एम एम कीरावाणी निकले, जिन्होंने पुरस्कार स्वीकार करते हुए सबका मान रखा और किसी प्रकार का तुष्टीकरण प्रदर्शित नहीं किया।
ऐसे में जिस फिल्म को पूरे देश से सम्मान मिला, पूरे देश ने उसे सर-आंखों पर सजाया। जिस फिल्म ने पूरे भारत में भाषाई मर्यादा को तोड़ते हुए कई रिकॉर्ड्स स्थापित किए, उस फिल्म को वैश्विक मंच पर जाकर भारतीय सिनेमा न बताकर ‘तेलुगु सिनेमा’ बताना, गले से उतर नहीं रहा। जिस कारण से RRR ने धूम मचाई है, वह है उसकी रचनात्मकता, जो भारतीय संस्कृति में रची बसी है। फिर आपको उल्टी गंगा बहाने का क्या चस्का चढ़ा है?
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https://www.youtube.com/watch?v=IMag3XlTUp8
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