Surdas Biography in Hindi : सूरदास बायोग्राफी इन हिंदी : शिक्षा एवं रचनाएँ
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Surdas Biography in Hindi साथ ही इससे जुड़े शिक्षा एवं रचनाएँ के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें
नाम | सूरदास |
जन्म | 1478 ईस्वी |
जन्म स्थान | रुनकता |
पिता का नाम | रामदास सारस्वत |
कार्यक्षेत्र | कवि |
रचनायें | सूरसागर, सूरसारावली,साहित्य-लहरी |
गुरु | बल्लभाचार्य |
भाषा | ब्रजभाषा |
मृत्यु | 1580 ईस्वी |
जीवन परिचय –
सूरदास जी का जन्म संवत् 1535 अर्थात सन 1478 ईसवी माना जाता है। अधिकतर विद्वान इनका जन्म आगरा और मथुरा के बीच स्थित रुनकता नामक गांव में उनका जन्म मानते हैं। जबकि अन्य विद्वान सूरदास जी का जन्म दिल्ली के पास सीही नामक गांव को मानते हैं। इनका जन्म एक निर्धन सारस्वत ब्राह्मण के घर में हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित रामदास सारस्वत था। इनके पिता एक प्रसिद्ध गायक थे। इनकी माता जी का नाम जमुनादास था। सूरदास जी का वास्तविक नाम मदन मोहन था। सूरदास जी जन्म से ही अंधे थे।
सूरदास जी की शिक्षा –
सूरदास अपनी शिक्षा के संबंध में मथुरा आने के बाद सूरदास जी की मुलाक़ात अपने गुरु आचार्य वल्ल्भाचार्य से हुई जिनके पास रहकर सूरदास जी ने कृष्ण भक्ति , साहित्य , वेद आदि की शिक्षाएं लीं। अपनी शिक्षा समाप्त होने के बाद सूरदास जी पूरी तरह से कृष्ण भक्ति में लींन रहने लगे थे।
हिंदी साहित्य में स्थान –
महाकवि सूरदास हिंदी के भक्त कवियों में शिरोमणि माने जाते हैं। जयदेव, चंडीदास, विद्यापति और नामदेव की सरस वाग्धारा के रूप में भक्ति-श्रंगार की जो मंदाकिनी कुछ विशिष्ट सीमाओं में बंधकर प्रवाहित होती आ रही थी उसे सूर ने जन-भाषा के व्यापक धरातल पर अवतरित करके संगीत और माधुर्य से मंडित किया।
सूरदास की प्रमुख रचनाएँ –
सूरदास जी भक्तिकाल के प्रमुख कवि माने जाते है। सूरदास जी द्वारा विभिन ग्रंथो की रचना की गयी परन्तु वर्तमान में सूरदास रचित 5 प्रमुख ग्रंथ ही उपलब्ध है -सूरसागर , साहित्य-लहरी, सूरसारावली, नल-दमयन्ती एवं ब्याहलो।
सूरसागर –
यह सूरदास द्वारा रचित सबसे प्रसिद्द रचना हैं. जिसमे सूरदास के कृष्ण भक्ति से युक्त सवा लाख पदों का संग्रहण होने की बात कही जाती हैं. लेकिन वर्तमान समय में केवल सात से आठ हजार पद का अस्तित्व बचा हैं विभिन्न-विभिन्न स्थानों पर इसकी कुल 100 से भी ज्यादा प्रतिलिपियाँ प्राप्त हुयी हैं
साहित्य-लहरी –
श्रृंगार रस की प्रधानता से युक्त साहित्य-लहरी सूरदास जी का लघु-ग्रन्थ है जिसमे 118 पद है।
सूरसारावली–
1107 छंदो से युक्त सूरसारावली एक “वृहद् होली” गीत है जिसकी रचना सूरदास जी द्वारा 67 वर्ष की उम्र में की गयी।
नल-दमयन्ती-
सूरदास रचित नल-दमयन्ती ग्रन्थ में महाभारत काल से सम्बंधित कथा संग्रह है।
ब्याहलो –
इस ग्रन्थ को सूरदास जी के 5 प्रमुख ग्रंथों में शामिल किया जाता है।
सूरदास के पद
चरन कमल बंदौ हरि राइ।
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै , अंधे कौ सब कुछ दरसाइ॥
बहिरौ सुनै , गूँग पुनि बोलै , रंक चलै सिर छत्र धराइ।
सूरदास स्वामी करूनामय , बार – बार बंदौं तिहिं पाइ॥
व्याख्या – इस पद में सूरदास जी कहते हैं कि जिस पर हरि की कृपा हो जाती है। उसके लिए असंभव भी संभव हो जाता है। लूला-लंगड़ा मनुष्य भी पर्वत को पार कर जाता है। अंधे को गुप्त और प्रगट, सब कुछ देखने की शक्ति प्राप्त हो जाती है। बहरा सुनने लगता है। गूंगा बोलने लगता है। कंगाल भी राज-छत्र धारण कर लेता है। ऐसे करुणामय प्रभु की, चरण वंदना कौन अभागा है, जो नहीं करेगा।
FAQ-
Ques-सूरदास की काव्य भाषा क्या है?
Ans-महाकवि सूरदास हिंदी के श्रेष्ठ भक्त कवि थे। उनका संपूर्ण का ब्रजभाषा का श्रृंगार है, जिसमें विभिन्न राग, रागिनियों के माध्यम से एक भक्त ह्रदय के भावपूर्ण उद्धार व्यक्ति हुए हैं।
Ques-सूरदास का जन्म कब हुआ था ?
Ans-सूरदास जी का जन्म संवत् 1535 अर्थात सन 1478 ईसवी माना जाता है।
Ques- सूरदास के गुरु कौन थे ?
Ans-सूरदास के गुरु श्री वल्लभाचार्य जी थे।
Ques-सूरदास की रचनाओं के नाम लिखिए?
Ans-सूरदास जी के तीन प्रमुख ग्रंथ माने जाते हैं। जिनमें पहला सूरसागर, दूसरा सूर सारावली और तीसरा साहित्य लहरी है।
Ques-सूरदास की मृत्यु कब हुई
Ans-सूरदास जी का निधन विक्रम संवत 1640 अर्थात सन 1583 ईस्वी में पारसोली में हुआ।
आशा करते है कि Surdas Biography in Hindi के बारे में सम्बंधित यह लेख आपको पसंद आएगा एवं ऐसे लेख पढ़ने के लिए हमसे फेसबुक के माध्यम से जुड़े।