ब्रिटेन विंस्टन चर्चिल को दूसरे महायुद्ध के नायक के तौर पर याद करता है। ब्रिटेन विंस्टन चर्चिल को महान नेता के तौर पर याद करता है- हीरो के तौर पर याद करता है। ब्रिटेन और उसकी तथाकथित स्वतंत्र मीडिया विंस्टन चर्चिल को हीरो बनाने में लगी रहती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि विंस्टन चर्चिल भारत का सबसे बड़ा अपराधी था। क्या आप जानते हैं कि विंस्टन चर्चिल 30 लाख से ज्यादा लोगों की मौत का जिम्मेदार था?
इस लेख में जानेंगे कि कैसे विंस्टन चर्चिल भारत के लिए किसी कसाई से कम नहीं था।
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बंगाल में भयावह अकाल
उस वक्त तक देश का बंटवारा नहीं हुआ था, ऐसे में तब के बंगाल में आज का बांग्लादेश भी आता था। 1943 से 1944 तक बंगाल में भयावह अकाल पड़ था। लोगों के पास खाने को अन्न का दाना नहीं था, ऐसी स्थिति में लाखों लोग अकाल मृत्यु मर गए। कुछ रिपोर्ट्स में मरने वालों की संख्या 30 लाख बताई जाती है, तो कहीं कहीं 43 लाख से ज्यादा लोगों की मरने की बात कही जाती है।
उस वक्त भारत ब्रिटेन का उपनिवेश हुआ करता था। ब्रिटेन भारत पर शासन कर रहा था, ऐसे में भारत में जो कुछ भी हो रहा था उसकी सीधी जिम्मेदारी ब्रिटेन की थी और ब्रिटेन में उस वक्त प्रधानमंत्री थे विंस्टन चर्चिल। बंगाल के अकाल की जानकारी यहां का तत्कालीन वायसराय आर्चीबाल्ड वेवेल चर्चिल को भेजता था। लेकिन चर्चिल ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। चर्चिल ने लोगों को भूख से मरने दिया। चर्चिल ने लोगों को सड़कों पर तड़पता हुआ मरने के लिए छोड़ दिया।
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अंग्रेजी सैनिकों के पास भेजा अनाज
जब बंगाल के गांवों में लोगों को खाने के लिए कुछ नहीं मिल रहा था तो वो लोग शहरों की तरफ भागे। कई इतिहासकारों ने लिखा है कि शहरों में स्थिति और बदतर थी। लोगों की लाशें सड़कों पर पड़ी हुई थी। इस वक्त भारत के हिस्से का जो अनाज था वो चर्चिल ने भारत की बजाय युद्ध लड़ रहे अंग्रेजी सैनिकों के पास भेज दिया। सिर्फ यही नहीं गोरों की सरकार ने भारत का अपना सुरक्षित अनाज भी श्रीलंका भेज दिया। इसी के साथ उसी चर्चिल ने ऑस्ट्रेलिया से आए अनाज से भरे गेहूं के जहाज भारतीय बंदरगाहों की बजाय मध्य-पूर्व की तरफ भेज दिए।
चर्चिल यहीं नहीं रुका बल्कि दूसरे देशों ने भारत को गेहूं देने चाहे या फिर अन्न भेजकर मरते हुए भारतीयों को बचाना चाहे तो चर्चिल ने दूसरे देशों की मदद पर भी रोक लगा दी। चर्चिल यह सब करता गया और बंगाल में हर दिन भारतीय भूख से मरते रहे। मीडिया रिपोर्ट्स में बार-बार इस बात का जिक्र आता है कि जब चर्चिल से अधिकारियों ने बहुत जोर देकर कहा कि भारत में लोग मर रहे हैं तो उसने भारत के वायसराय को एक चिट्ठी भेजी, जिसमें चर्चिल ने लिखा कि “गांधी अभी तक मरे क्यों नहीं?”
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विंस्टन चर्चिल हीरो नहीं था
तो यह था विंस्टन चर्चिल जिसे आज ब्रिटेन में हीरो बनाकर प्रस्तुत किया जाता है। ब्रिटेन की सरकार में यदि रत्ती भर भी शर्म बची है तो उसे आधिकारिक तौर पर भारत से हाथ जोड़कर माफी मांगनी चाहिए। ब्रिटेन के लोगों में यदि रत्ती भर भी शर्म बाकी है तो उन्हें उस विंस्टन चर्चिल की मूर्तियों को उखाड़कर ब्रिटेन की सड़कों पर फेंक देना चाहिए जिसे भारत में कसाई की पदवी प्राप्त है। ब्रिटेन जो स्वयं को सभ्यता का तीस मार खां कहता है उसमें यदि रत्ती भर भी शर्म है तो जो नस्लीय आधार पर भेदभाव उसने भारतीयों के साथ वर्षों तक किया उसके लिए उसे क्षमा मांगनी चाहिए।
लेकिन ब्रिटेन ऐसा कुछ नहीं करेगा क्योंकि ब्रिटेन चर्चिल को अपना हीरो मानता है। ब्रिटेन की मीडिया आज भी भारत के विरुद्ध नस्लवादी रवैया रखती है। हाल ही में आई बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री से यह और स्पष्ट हो जाता है। इसके बाद भी ब्रिटेन को नहीं भूलना चाहिए कि तुम्हारे राक्षसी अत्याचारों के बाद भी आज भारत की अर्थव्यवस्था ब्रिटेन से ऊपर है। आज ब्रिटेन को भी एक भारतीय ही चला रहा है।
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