स्टील की खपत में भारत ने चीन को पछाड़ा, उत्पादन पर करना होगा काम

भारत को घरेलू आपूर्ति की पूर्ति के लिए आयात पर निर्भरता खत्म करनी होगी।

There is an imminent need to de-hyphenate steel and China

Source- TFI

चिराग तले अंधेरा, वस्तु, साधन सब आपके पास हो फिर भी आप वही वस्तु और साधन पड़ोस के घर से ले आएं तो यह बात हास्यास्पद प्रतीत होने लगती है। भारत भी कुछ ऐसा ही कर रहा है, यह दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक देश है लेकिन फिर भी भारत चीन से स्टील (China steel) क्रय करता है। चीन जो अभी लौह इस्पात की डिमांड के मामले में पिछड़ रहा है, इसके बावजूद अभी भी भारत चीन से स्टील (China steel) का आयात करता है। ऐसे में अब वह समय आ गया है कि इस क्षेत्र में भारत पूरी तरह आत्मनिर्भर बने जिससे चीन को स्टील उद्योग में पछाड़ा जा सके।

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इन्फ्रास्ट्रक्चर और निर्माण का काम ठप

दरअसल, Mint की एक रिपोर्ट बताती है कि चीन में बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर के लिहाज से खतरा मंडरा रहा है। चीन में विपरीत स्थितियों के चलते पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर और निर्माण का काम ठप हो चुका है। इसके अलावा दावा यह किया जा रहा है कि अमेरिका और यूरोप में भी इसके चलते भारी मंदी की संभावनाएं हैं। ऐसे मुश्किल वक्त में इस्पात यानी स्टील (China steel) की डिमांड को पूरा करने में अब भारत एक बड़ी भूमिका निभा सकता है।

चीन वैश्विक महामारी कोरोनावायरस से लेकर कई और मुश्किलों में घिर चुका है। एक तरफ जहां ज़ीरो कोविड पॉलिसी के चलते अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान हुआ है, वहीं दूसरी ओर चीन का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ठप पड़ा हुआ है।‌ इसके चलते डिमांड भी कम हो गई और सारी अर्थव्यवस्था भी बैठ गई। इसमें रूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर अमेरिका के साथ ट्रेंड वॉर भी चीन के लिए मुसीबत बनता रहा है। इन सब के बीच भारत अपने लाभ को भी भुना सकता है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग के लिहाज से भी यह एक बेहतरीन अवसर बनने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत चीन के साथ एक विनिर्माण केंद्र के रूप प्रतिस्पर्धा करने को तैयार है। यहां परिवहन से लेकर रेल नेटवर्क और बंदरगाहों का आधुनिकीकरण तेजी से हो रहा है और यह भारत के लिए अहम होने वाला है।

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दुनिया की डिमांड

एक रिपोर्ट बताती है कि भारत का कच्चे इस्पात का उत्पादन नवंबर 2022 में करीब 5 प्रतिशत बढ़कर 1.034 करोड़ टन रहा है। अनुसंधान कंपनी स्टीलमिंट के अनुसार देश की शीर्ष छह इस्पात कंपनियों यानी सेल, टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, जेएसपीएल, एएमएनएस इंडिया और आरआईएनएल ने कुल 62.8 लाख टन कच्चे इस्पात का उत्पादन किया। शेष 40.5 लाख टन का उत्पादन द्वितीयक क्षेत्र ने किया।  पिछले वित्त वर्ष के समान महीने में देश का कच्चे इस्पात का उत्पादन 98.8 लाख टन रहा था।

बता दें कि नवंबर 2021 में बड़े इस्पात विनिर्माताओं ने संयुक्त रूप से 60.9 लाख टन इस्पात का उत्पादन किया, जबकि द्वितीयक श्रेणी के उत्पादकों ने 37.9 लाख टन का उत्पादन किया। वहीं तैयार इस्पात का उत्पादन नवंबर 2021 के 92.3 लाख टन से 3.41 फीसदी बढ़कर नवंबर 2022 में 95.5 लाख टन हो गया है।

आप यह सुनकर चौंक जाएंगे कि दूसरे नंबर का उत्पादक होने के बावजूद भारत देश में उत्पन्न अधिकतर स्टील की खपत यहीं कर लेता है और जरूरत तथा मांग की अधिकता के चलते आयात तक करना पड़ता है। पिछले साल अप्रैल से अक्टूबर की मांग की तुलना में इस बार 15 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी। स्थानीय उत्पादकों को बाजार में आयात कर सस्ते स्टील के आने पर चिंता हो रही है। अहम बात यह है कि चीन अकेला ही एक चौथाई स्टील (China steel) सप्लाई कर रहा है और इसके बाद रूस से स्टील आयात हो रहा है।

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वैश्विक विकल्प

इंडियन स्टील एसोशिएशन के एके हाजरा का कहना है कि आयात हो रहे कुछ स्टील निम्न स्तर के हैं, सरकार को मामले को देखना चाहिए। उनका कहना है कि भारत में आयात हो रहा स्टील भारतीय मानकों पर खरा उतरना चाहिए। ऐसे में यह खबरें भी आई हैं कि भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिहाज से आयात होने वाला स्टील यदि खराब होता है तो यह एक बड़ी समस्या भी हो सकती है।

ऐसे में भारत को यदि स्टील उत्पादन के मुद्दे पर चीन की जगह पर वैश्विक विकल्प बनना है तो उसे पहले अपनी जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर बनना होगा, इसके बाद उत्पादन बढ़ाना होगा ताकि दुनिया की मांग को भी पूरा किया जा सके।

देश में स्टील (Steel) का उत्पादन बढ़ने के साथ ही सरकार का ध्यान कच्चे माल की सप्लाई और खास किस्म के स्टील का प्रोडक्शन बढ़ाने पर रह सकता है। भारत ने जनवरी-नवंबर 2022 की अवधि में 11.34 करोड़ टन कच्चे स्टील का उत्पादन किया जो सालाना आधार पर 10 प्रतिशत ज्यादा है। सरकार का लक्ष्य कच्चे स्टील की उत्पादन क्षमता को 15 करोड़ टन के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 30 करोड़ टन करने तक पहुंचाना है स्टील राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि साल 2023 में स्टील सेक्टर के लिए और पहल की जाएगी जिसके परिणाम सकारात्मक तौर पर सामने आएंगे।

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स्टील का निर्यात

बता दें कि मोदी सरकार ने पिछले साल उच्च गुणवत्ता वाले अयस्क का उत्पादन बढ़ाने के लिए विशिष्ट श्रेणी वाले स्टील के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की थी। बिजली, पोत परिवहन, रेलवे और ऑटो सहित विभिन्न क्षेत्रों में विशेष श्रेणी के स्टील का उपयोग किया जाता है। इस स्टील की मांग को आयात के माध्यम पूरा किया जा रहा है।

ऐसा नहीं है कि सरकार के दावे हवा हवाई हैं। सरकार ने 2022 में स्टील वस्तुओं पर निर्यात शुल्क को खत्म करके और लोहे तथा स्टील के लिए निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और कर छूट योजना के तहत निर्यात लाभों को बढ़ाकर प्रोत्साहन दिया था। भारतीय स्टील संघ (ISA) के महासचिव आलोक सहाय ने कहा कि स्टील का निर्यात अप्रैल-अक्टूबर 2022 में सालाना आधार पर लगभग 55 प्रतिशत गिर गया था लेकिन अब इसे पुनः विस्तार देने के लिए उद्योगों की मदद कर रही है।

ऐसे में यह स्पष्ट दिख रहा है कि भारत चीन को स्टील (China steel) उत्पादन के मुद्दे पर टक्कर देने के लिए सभी तरह के संभव प्रयास कर रहा है। अब आवश्यकता यह है कि इस रफ्तार को बढ़ाने के लिए उत्पादन को और तेज करना होगा ताकि चीन को इस क्षेत्र में मात दी जा सके।

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