अब समय आ गया है कि जम्मू और कश्मीर में ग्राम रक्षा समिति को फिर सक्रिय किया जाए !

आतंकी हमलों को जब सरकार ने नेस्तनाबूत कर दिया तो अब वो टारगेट किलिंग को हथियार बना रहे हैं।

Village defence committee is the plausible solution to counter target killing in Jammu and Kashmir

SOURCE TFI

ग्राम रक्षा समिति: जम्मू-कश्मीर में 90 के दशक में जो कुछ हुआ उसे कभी नहीं भुलाया जा सकता है, जिहाद के नाम पर कश्मीरी पंडितों का सरेआम नरसंहार करने की दर्दनाक कहानी आज भी रोंगटे खड़े कर देती है। आतंकवादी कश्मीरी पंडितों के परिवार के सदस्यों को बड़ी ही बेहरहमी से उनकी ही आंखों के सामने मौत के घाट उतार रहे थे। राज्य की कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त थी और स्थिति बद से बदतर थी। ऐसे में एक रास्ता निकाला गया जिसके तहत ग्राम रक्षा समितियों का गठन किया गया। लेकिन आज फिर से ग्राम रक्षा समितियों की आवश्यकता प्रतीत होने लगी है।

इस लेख में हम जानेंगे कि क्या हैं ग्राम रक्षा समितियां जिनका गठन जम्मू-कश्मीर के लोगों की रक्षा के लिए बहुत आवश्यक हो गयी है।

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ग्राम सुरक्षा समिति का गठन

दरअसल, ग्राम सुरक्षा समिति का गठन पहली बार 1990 के दशक में आतंकी हमलों से परेशान होकर तत्कालीन जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने किया था ताकि दूरस्थ पहाड़ी गांवों के निवासियों को हथियार प्रदान किया जा सके और उन्हें अपनी रक्षा के लिए हथियारों का प्रशिक्षण दिया जा सके। उस दौरान ग्राम सुरक्षा समिति में जम्मू कश्मीर के अलग-अलग क्षेत्रों के हजारों स्थानीय लोगों को स्वयंसेवक के तौर पर शामिल कर उन्हें उनकी रक्षा के लिए हथियार दिए गए थे। जिससे ये स्थानीय लोग अपनी और परिवार की रक्षा के लिए दहशतगर्दों के हमलों का सामना कर सकें।

सबसे अधिक राजौरी जिले से लोगों को ग्राम रक्षा समिति में शामिल किया गया था। कमेटी में शामिल किए गए लोगों को हथियार मुहैया करा दिए गए और उन्हें गांव की रक्षा की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी। ग्राम सुरक्षा समितियों के लोगों ने जम्मू के कई क्षेत्रों में आतंकवाद के खात्मे में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद जब चरम पर था तो इस समिति के सदस्यों ने लगभग 500 आतंकियों का सफाया किया था।

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युवाओं को ट्रेनिंग देने का उद्येश्य

हालांकि बाद में जब प्रशासन ने स्थितियों को स्वयं संभाला तो इन समितियों को भंग कर दिया गया और समितियों के सदस्यों से हथियार वापस जमा करवा लिए गए। हालांकि पुलिस का कहना ये है कि उस दौरान सभी से हथियार जमा नहीं करवाए गए थे बल्कि साठ साल की उम्र पार कर चुके सदस्यों को हथियार जमा करना था। जिसके पीछे का उद्येश्य युवाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें मौका देना था।

वहीं हाल के मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस डीजी दिलबाग सिंह ने कहा है कि ग्राम रक्षा समिति से अब बंदूकें वापस नहीं ली जाएंगी। बता दें कि पिछले साल वीडीसी यानी ग्राम रक्षा समिति का वीडीजी यानी ग्राम रक्षा समूह के रूप में पुनर्गठन करने का प्रस्ताव दिया गया था। जिसे मार्च 2022 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू कश्मीर प्रशासन को मंजूरी दे दी थी। जिसके बाद गृह मंत्रालय के फैसले की प्रशंसा करते हुए बीजेपी महासचिव सुनील शर्मा ने कहा कि वीडीसी का वीडीजी के रूप में पुनर्गठन करने से जम्मू कश्मीर के सुरक्षा तंत्र को मजबूती मिलेगी।
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हिंदुओं की टारगेट किलिंग

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आतंकियों के द्वारा चार लोगों की हत्या कर दी गई थी। ऐसे में जब एक बार फिर आतंकियों के द्वारा विशेषकर कश्मीरी पंडितों, गैर कश्मीरियों और भारत के हितैशियों को निशाना बनाया जा रहा है, आतंकी घरों में घुसकर आधार कार्ड देखकर लोगों को चुन चुनकर मौत के घाट उतार रहे हैं। पिछले कुछ समय में हिंदुओं की टारगेट किलिंग के कई मामले सामने आ चुके हैं जिससे घाटी के लोग एक बार फिर दहशत में हैं।

ऐसे में अब अपनी रक्षा के लिए लोगों के द्वारा इन समितियों के पूर्नगठन की मांग उठाई जा रही है और आज ग्राम रक्षा समूह का गठन समय की मांग भी हो गई है जिसके जबाव में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी लोगों को आश्वासन दिया है कि उन्हें ग्राम रक्षा समिति के तहत सुरक्षा मिलेगी। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है अगर इन लोगों को प्रशिक्षण देकर इन्हें अपनी रक्षा के लिए एक बार हथियार दिए जाते हैं तो ये राज्य में आतंकियों के खात्मे में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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