“जिन्हें गोविंदा ने सरेआम सेट पर थप्पड़ मारकर बेइज्जत किया”, निर्देशक नीरज वोरा की अपूर्ण कथा

नीरज वोरा ने हिंदी फिल्म उद्योग को बहुत कुछ दिया है। लेकिन...

नीरज वोरा

SOURCE TFI

वर्ष 2000, इस समय ने एक नया मोड़ लिया था, दर्शक उत्सुकता से 21वीं सदी में भारतीय सिनेमा, विशेषकर बॉलीवुड के बदलते स्वरूप को देखने के लिए लालायित थे। इसी बीच एक बहुप्रतीक्षित फिल्म सामने आई, “मेला”। धर्मेश दर्शन द्वारा निर्देशित इस फिल्म में सब कुछ था – आमिर खान से लेकर ट्विंकल खन्ना तक और हां फैसल खान भी थे। इस फिल्म में यदि कुछ नहीं था तो कहानी। फिल्म इतनी बुरी थी कि आज भी जब इस फिल्म को स्मरण किया जाता है तो सिर्फ इसलिए कि कितनी बेकार फिल्म थी और लेखक को देश निकाला क्यों नहीं मिला। दरअसल, लेखक को देश निकाला इसलिए नहीं मिला क्योंकि उसी लेखक ने दो माह बाद एक ऐसी फिल्म की पटकथा लिखी, जो आज भी भारतीय कॉमेडी फिल्मों में उच्चतम मानी जाती है। यहां बात हो रही है लेखक नीरज वोरा (Neeraj Vora) की और फिल्म है “हेरा फेरी” जिसके लोटपोट कर देने वाले संवाद आज भी हम बहुत मिस करते हैं।

इस लेख में हम परिचित होगे नीरज वोरा (Neeraj Vora)से जिनके कारण आज भी कई बॉलीवुड फिल्मों के संवाद अति लोकप्रिय मीम्स के रूप में प्रचलित हैं, परंतु जिनकी प्रतिभा को बहुत ही कम लोगों ने सम्मान दिया।

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Neeraj Vora: यादगार संवाद

“पैसा ही पैसा होगा”, “यह कोई तरीका है भीख मांगने का”, “पार्टी बदल लिया साला”, “दारू नहीं बाबा दवाई है”, “अच्छा है मैं अंधा हूँ”, “मस्त प्लान है”, “वो मैं मस्त तेल में फ्राई करके वो मैं खा गया”, जैसे लोटपोट कर देने वाले संवाद, जो आज मीम्स बन चुके हैं, किसने लिखे? नीरज वोरा (Neeraj Vora) ने। इनको जैसे हास्य रस रचने की कला ईश्वर से वरदान में मिली थी। 22 जनवरी 1963 को गुजरात के भुज जिले में जन्मे नीरज वोरा कलाकारों के परिवार से संबंध रखते थे, परंतु इनके फिल्म देखने पर सख्त पाबंदी थी। इनकी मां प्रमिला बेन इन्हें चुपचाप फिल्में दिखाने ले जाती थी और यहीं से नीरज में फिल्म जगत से जुड़ने की इच्छा जागी।

नीरज वोरा (Neeraj Vora) एक उत्कृष्ट लेखक तो ही, इन्हें नाट्य मंचन में भी रुचि थी। इनके करियर का प्रारंभ थियेटर से हुआ। जब 13 वर्ष की आयु में नीरज वोरा (Neeraj Vora) के लिखे नाटक लोकप्रिय होने लगे, तो प्रसन्न होकर इनके पिता ने ही इन्हें फिल्म उद्योग में जाने के लिए प्रोत्साहित किया। कॉलेज से ही नीरज नाटकों में भाग लेने लगे और प्रारंभ में उन्होंने “होली” जैसी फिल्म की, जिससे आमिर खान और आशुतोष गोवारिकर सहित कई कलाकारों को सिनेमा जगत में लोगों ने जानना प्रारंभ किया।

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“पहला नशा” के लिए अपनी सेवाएं दीं

बतौर लेखक इन्होंने 1993 से ही काम प्रारंभ कर दिया था, जब इन्होंने आशुतोष गोवारिकर के निर्देशन में डेब्यू फिल्म “पहला नशा” के लिए अपनी सेवाएं दीं। इन्हें फिर पहचान मिली 1995 में, जब “बाज़ी” और “रंगीला” के लिए इन्होंने संवाद लिखे, और दोनों फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल भी हुई। परंतु विशुद्ध रूप से हास्य और व्यंग्य रचने की दिशा में अपने आप को नीरज वोरा (Neeraj Vora) ने 1999 में मोड़ा, जब “बादशाह” की पटकथा इन्होंने रची, और इसमें इन्होंने अभिनय भी किया।

परंतु 2000 इनके करियर का टर्निंग पॉइंट बना। तब तक नीरज विभिन्न प्रकार की कथाओं को रचने में अपना हाथ आजमा रहे थे। परंतु “हेरा फेरी” से इन्हें जो सफलता मिली, इन्होंने अपना समस्त ध्यान कॉमेडी फिल्मों में अपने आप को निखारने में लगाया। इनके कारण परेश रावल, अक्षय कुमार एवं अजय देवगन को एक नयी शैली के फिल्मों के लिए जाना जाने लगा, और जॉनी लीवर, राजपाल यादव, संजय मिश्रा जैसे कॉमेडियन को जन जन में लोकप्रिय बनाने में इनकी भी महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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फिर पूर्णत्या कॉमेडी की ओर ही मुड़ गए

परंतु नीरज ने पूरी तरह से विविधता को नहीं त्यागा। “हंगामा” फिल्म के संवाद से जो सफलता का सिलसिला प्रारंभ हुए, उसके बाद वे पूर्णत्या कॉमेडी की ओर ही मुड़ गए। “हलचल”, “गरम मसाला”, “दीवाने हुए पागल”, “चुपके चुपके” से इन्होंने बॉलीवुड में अपने लिए एक अलग स्थान प्राप्त कर लिया था।

परंतु 2006 में कुछ ऐसा हुआ, जिसके बाद नीरज वोरा (Neeraj Vora) ने सफलता का शिखर प्राप्त कर लिया। तीन  फिल्में आई – “फिर हेरा फेरी”, “गोलमाल – फन अनलिमिटेड” और “भागम भाग”। “फिर हेरा फेरी” को वे स्वयं निर्देशित कर रहे थे, जिसपर पुरानी फिल्म की सफलता को दोहराने का दबाव था, तो “गोलमाल” में न केवल दर्शकों को मनोरंजन प्रदान करना था, अपितु इस फिल्म के माध्यम से रोहित शेट्टी और अजय देवगन भी अपने करियर को पटरी पर लाना चाहते थे। इन दोनों ही उद्देश्यों को नीरज वोरा (Neeraj Vora) ने अपने लेखन से न केवल पूरा किया, अपितु यह फिल्में इतनी लोकप्रिय बन गई कि आज भी इनके मीम्स और क्लिप्स देश के कोने-कोने में शेयर किये जाते हैं!

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अधिक मौके क्यों नहीं मिले?

तो फिर ऐसा क्या हुआ कि जो नीरज वोरा (Neeraj Vora) जनता में इतने लोकप्रिय थे, उन्हे बॉलीवुड में अधिक मौके क्यों नहीं मिले? कुछ कहते हैं कि उनके स्वभाव के कारण ऐसा हुआ, तो कुछ का मानना है कि बॉलीवुड में बढ़ती नकारात्मकता एवं कलाकारों के लिए तिरस्कार उन्हें रास नहीं आया। इसके भुक्त भोगी वे स्वयं भी थे, क्योंकि “रन भोला रन” नामक फिल्म के सेट पर एक छोटी सी घटना पर गोविंदा इतना भड़क गए कि नीरज वोरा को उसने तमाचा जड़ दिया। इस बात का असर नीरज पर कहीं न कहीं पड़ा, क्योंकि वे इसके बाद बहुत कम ही फिल्मों में सक्रिय रहे।

परंतु इसे भुलाकर वे 2018 से “हेरा फेरी 3” से बॉलीवुड में वापसी करने वाले थे, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। 14 दिसंबर 2017 को ब्रेन स्ट्रोक से इनकी असामयिक मृत्यु हो गई, और नीरज वोरा (Neeraj Vora) के साथ मानो बॉलीवुड से कॉमेडी भी विदा हो गई।

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