BharOS के लॉन्च के साथ ही मोदी सरकार ने ‘डेटा प्रोटेक्शन’ की ओर अपने कदम बढ़ा दिए हैं

देश का पहला स्वदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम है BharOS, जो गूगल के एंड्रॉयड और एप्पल के iOS के वर्चस्व में सेंध लगाने का काम करेगा।

BharOS

Source- TFI

कभी सोचा है कि एंड्रॉयड और iOS के अलावा मोबाइल संचालन प्रणाली यानी ऑपरेटिंग सिस्टम का कोई विकल्प क्यों नहीं है? क्या आपने कभी सोचा है कि एंड्रॉयड और iOS के अलावा भी कोई ऐसा सिस्टम हो, जो आपके स्मार्टफोन को दमदार बना सके और उनका असरदार विकल्प बन सके? अगर हां, तो चिंता मत करिए, भारतीय टेक्नोक्रैट एवं केंद्र सरकार आपके लिए भारतीय ऑपरेटिंग सिस्टम BharOS लेकर आ गए हैं, जो बिग टेक का एकाधिकार भी निष्क्रिय करेगा एवं देश के डेटा प्रोटेक्शन में सहकारी भी सिद्ध हो सकेगा।

दरअसल, हाल ही में एंड्रॉयड और iOS ऑपरेटिंग सिस्टम को टक्कर देने हेतु भारत का स्वदेशी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम BharOS लॉन्च हो गया है। IIT मद्रास की ओर से तैयार किए गए इस मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम को भारत सरकार द्वारा हरी झंडी मिल गई है। लॉन्चिंग के दौरान बताया गया है कि फिलहाल इसे कमर्शियल ऑफ द शेल्फ हैंडसेट पर इंस्टॉल किया जा सकता है और इसकी पुष्टि स्वयं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने की है।

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इसमें डिफॉल्ट ऐप्स नहीं होंगे

तो BharOS में ऐसा क्या है, जो इसे अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम्स से अलग बनाता है और यह गूगल के एंड्रॉयड एवं एप्पल के iOS को कैसे टक्कर देगा? सर्वप्रथम, BharOS का प्रमुख उद्देश्य अपने उपभोक्ताओं के डिवाइस को सुरक्षित रखना और उनकी निजता को ताक पर न जाने देना है। इसमें किसी भी प्रकार के ब्लोटवेयर या डिफॉल्ट ऐप्स शामिल नहीं हैं यानी यूज़र्स के स्टोरेज स्पेस पर सेंध नहीं लगाई जाएगी।

इसके अतिरिक्त इस सिस्टम की बनावट ऐसी है कि उपभोक्ताओं को किसी ऐसे ऐप का प्रयोग करने हेतु विवश नहीं किया जा सकता, जिस पर वे भरोसा नहीं कर सकते हैं। एंड्रॉयड की भांति BharOS नेटिव ओवर द एयर (NOTA) अपडेट प्रदान करता है अर्थात् सॉफ्टवेयर अपडेट, डिवाइस में ऑटोमैटिक रूप से डाउनलोड और इंस्टॉल हो जाएंगे। इस प्रणाली के अंतर्गत नया OS प्राइवेट ऐप स्टोर सेवाओं (PASS) तक भी पहुंच प्रदान करेगा, जो विशेष संस्थाओं से विश्वसनीय ऐप प्रदान करते हैं।

ऐसे में सवाल यह है कि क्या BharOS एंड्रॉयड औऱ iOS से भिन्न है या लगभग एक जैसा ही है? प्रारम्भिक रिपोर्ट्स के अनुसार, एंड्रॉयड और BharOS दोनों का मूल स्त्रोत एक है। वो कैसे? असल में दोनों ही प्रणाली Linux कर्नेल पर बेस्ड हैं। तो फिर अंतर क्या हुआ? अंतर प्रमुख है कि BharOS पर Google सर्विस नहीं है और इसमें डिफॉल्ट ऐप्स नहीं हैं और यूज़र्स अपनी ईच्छा अनुसार कोई भी ऐप इंस्टॉल कर उसका उपयोग कर सकते हैं। फिलहाल के लिए यह कुछ चुनिंदा संगठनों को उपलब्ध कराया गया है परंतु अभी इस बात पर स्पष्टीकरण बाकी है कि BharOS कब आधिकारिक रूप से लॉन्च होगा और कैसे अन्य स्मार्टफोन यूजर्स इसका लाभ उठा सकते हैं?

डेटा प्रोटेक्शन को लेकर कटिबद्ध है सरकार

ये तो रही BharOS की बात लेकिन प्रश्न तो अब भी व्याप्त है कि यह एंड्रॉयड का विकल्प कैसे बनेगा और यह केंद्र सरकार के “डेटा प्रोटेक्शन” के प्रयासों को कैसे सशक्त करेगा? यदि आपको स्मरण हो, तो केंद्र सरकार पिछले लंबे समय से डेटा प्रोटेक्शन को लेकर सख्त अधिनियम लाना चाहती है ताकि भारतीय टेक यूज़र्स की निजता का हनन भी न हो और राष्ट्रीय संप्रभुता भी अक्षुण्ण रहे।

परंतु डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम से बिग टेक कंपनियां काफी पहले से ही असहज दिखाई दे रही हैं, जो उन्होंने समय समय पर प्रकट भी किया है। स्वयं अश्विनी वैष्णव ने इसकी ओर संकेत देते हुए कहा है, “देखिए, चुनौती तो प्रथम दिन से ही आएगी और हमें सुनिश्चित करना है कि इस पूरे समय न हमें थकना है, न झुकना है”। बिना बिग टेक का नाम लिए उन्होंने एकाधिकार की समस्या को भी चिन्हित करते हुए बताया कि “ऐसे ही आने वाले समय में भिन्न भिन्न प्रकार की कठिनाइयां और बाधाएं आएंगी और संसार में तो ऐसे कई संगठन हैं, जो चाहेंगे ही नहीं कि ऐसे OS सफल भी हों”।

बताते चलें कि डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन लॉ पर सरकार काफी तेजी से काम कर रही है और इस बात की पूरी संभावना है कि संसद के आगामी सत्र में इसे पेश भी किया जा सकता है। ऐसे में इस बात की संभावना भी प्रबल है कि BharOS को डेटा प्रोटेक्शन लॉ के सभी मानकों को ध्यान में रखकर ही डिजाइन किया गया होगा। अगर इसके स्टोर्स पर फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप जैसे ऐप्स होंगे तो उन्हें भी पूरी प्रक्रिया से गुजरना होगा यानी एक तरह से वो बाध्य होंगे।

ऐसे में BharOS के लॉन्च से इतना तो स्पष्ट है कि केंद्र सरकार किस प्रकार से डेटा प्रोटेक्शन को लेकर कटिबद्ध है और यह अप्रत्यक्ष रूप से बिग टेक के लिए चेतावनी भी है कि यदि आप अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आए, तो भारत के पास और भी विकल्प हैं। अगर यह सिस्टम सफल रहा तो UPI की भांति BharOS भी डिजिटल क्रांति लाएगा और बिगटेक की मनमानी और उनकी हेकड़ी को रोकने में सफल होगा।

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