“हर दिन 4 करोड़ का घाटा झेल रहा है Zomato”, ऐसा ही चलता रहा तो जल्दी ही दिवालिया हो जाएगा जोमैटो!

यह कंपनी खुद को बचाने के लिए हाथ पैर मार रही है लेकिन इसका कोई लाभ होता नहीं दिख रहा है।

Zomato loss

SOURCE TFI

Zomato loss: अकड़ स्वास्थ्य के लिए बहुत ही घातक होती है। इसमें घर बार तो जाता ही है, व्यक्ति का अस्तित्व भी उपहास बनकर रह जाता है। रावण तो रावण, आज अकड़ में कभी विश्व का सर्वशक्तिशाली राष्ट्र माने जाने वाला अमेरिका भी उसकी परछाई मात्र रह गया है। परंतु कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो आज भी अपना ही घर फूंक कर उसके समक्ष ब्रेक डांस करते हैं। ज़ोमैटो और इसके संस्थापक इसी बात का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।

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ज़ोमैटो ने कुछ बदलाव किए हैं

हाल ही में ज़ोमैटो ने कुछ बदलाव किए हैं। एक तरफ जहां युद्धस्तर पर कंपनी में छंटनी की जा रही है, तो वहीं कंपनी ने कुछ 800 पोस्ट्स के लिए वैकेंसी बताई है। परंतु केवल यही बात नहीं है – ज़ोमैटो अपनी प्रीमियम सर्विस यानी ज़ोमैटो गोल्ड को रीलॉन्च करने पर विचार कर रहा है। इसके अतिरिक्त ये भी कहा जा रहा है कि ज़ोमैटो अपनी कथित 10 मिनट की डिलीवरी सर्विस को भी बंद करने जा रही है। परंतु इस पर कंपनी की पुष्टि होना शेष है।

अब आप सोच रहे होंगे कि भई इस बार तो ज़ोमैटो अपने कंपनी को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाएंगे, नहीं? देखो बंधु, जैसे दिया बुझने से पूर्व कुछ अधिक फड़फड़ाने लगता है, वैसे ही ज़ोमैटो अनाधिकारिक रूप से दिवालिया घोषित होने से पूर्व अपने आप को बचाने के लिए जबरदस्ती के हाथ पांव मार रहा है। कल्पना कीजिए कि एक ऐसा क्रिकेटर है, जिसके रिटायरमेंट का समय आ चुका है, और बल्ले या गेंद से तो छोड़िए, क्षेत्ररक्षण में भी उसका योगदान निल बट्टे सन्नाटा है, परंतु नखरे तो ऐसे है कि ये न हो, तो टीम ही न चले। ज़ोमैटो उसी क्रिकेटर समान है।

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व्यापार मॉडल

वो कैसे? इसके लिए आपको इनके पिछले 4 वर्षों के व्यापार मॉडल पर ध्यान देना होगा। व्यापार में लाभ और हानि बिल्कुल वैसे ही है, जैसे दिन और रात, इनका होना स्वाभाविक है। परंतु जिस कंपनी में हानि ही हानि हो, और उसका मालिक स्थिति को संभालने के बजाए दुनिया भर के नखरे पाले, उसे आप क्या कहेंगे?

विश्वास न हो तो इनके एक वर्ष के वित्तीय स्टेटमेंट देख लें। ज़ोमैटो में लाभ ढूंढना लगभग असंभव है, और इनके शेयर्स दिन प्रतिदिन धड़ाम होते रहते हैं। जोमैटो का रोज़ का (Zomato loss) घाटा क़रीब ₹4 करोड़ है। ये आँकड़ा मार्च 2022 में ख़त्म वित्त वर्ष का है। परंतु इनके CEO हैं कि कभी सेक्युलरिज़्म पर ज्ञान देंगे, तो कभी रेवड़ी की भांति सेवाओं का आदान प्रदान करेंगे। अभी तो हमने इनके अति नारिवाद पर प्रकाश भी नहीं डालागा, जहां एक बदतमीज़ कस्टमर के पीछे इन्होंने अपने ही कर्मचारी को नौकरी से निकाल दिया। इन्हीं सब कारणों से कंपनी की प्रमुख टेक्निकल अधिकारी गुंजन पाटीदार से लेकर उच्च पदों पर आसीन कई कर्मचारियों ने कंपनी त्याग दी है, तिस पे BlinkIt [पूर्व में Grofers] जैसे कंपनी का टेकओवर करके मानो आग में घी, पेट्रोल डलवाया है, वो भी टैंकर जितनी मात्रा में!

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Zomato loss : करोड़ों का घाटा

परंतु ज़ोमैटो इस (Zomato loss) स्थिति में आया कैसे? इसका कारण भी वही व्यक्ति है जिसके कारण ज़ोमैटो अस्तित्व में आया – संस्थापक दीपिंदर गोयल। इन्होंने तब कंपनी को आईपीओ सेगमेंट में प्रवेश कराया, जब कंपनी को अपना वार्षिक बजट रिकवर कराने के भी लाले पड़े थे। मूल रूप से Zomato एक सर्विस आधारित कंपनी है। इस कंपनी ने 30 जून, 2021 को समाप्त तिमाही के दौरान 356.2 करोड़ का समेकित घाटा (Zomato loss) दर्ज किया। दीपिंदर गोयल की अगुवाई वाली इस कंपनी ने एक साल पहले 99.8 करोड़ का नुकसान दर्ज किया था। देखा जाए तो एक तरफ Zomato प्रतिस्पर्धी Food Delivery Segment में जूझ रही है, तो वहीं Paytm, Digital Payment की दुनिया में संघर्ष कर रही है। अगर यह कहा जाए कि आने वाले समय में Zomato और Paytm दोनों ही घाटे में जाने वाले हैं, तो यह गलत नहीं होगा।

इसके अतिरिक्त शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के तीन महीने बाद, Zomato ने 2021 सितंबर तक की तिमाही में 435 करोड़ रुपये का समेकित शुद्ध घाटा [Pure Loss] दर्ज किया, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में इस कंपनी को 230 करोड़ रुपये का घाटा (Zomato loss) हुआ था। इस वर्ष भी इनके आंकड़ों में कोई विशेष अंतर नहीं आया है, उल्टे ये अपने घाटों को छुपाते हुए अधिक प्रतीत होते हैं। बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि जितनी चादर हो, उतने ही पांव फैलाए, परंतु ऐसा प्रतीत होता है कि दीपींदर गोयल को सुझाव और समझदारी से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है।

 

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