दिल्ली नगर निगम में हाथापाई, लात-जूते, ‘सेब लड़ाई’, ‘जल युद्ध’ फिर भी समस्या का हल नहीं

ऐतिहासिक लड़ाई में महिलाएं भी पीछे नहीं रहीं!

A day after Narayanmurthy bashed Delhi, elected representatives prove him right

Source: Dainik Jagran

दिल्ली की जनता को अपना मेयर तो मिल गया, लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान जो दृश्य जनता ने देखे उसे देखकर जनता भी ये सोच रही होगी कि ये पार्षद उनका कल्याण क्या ही करेंगे? दिल्ली नगर निगम में जो भी हुआ, वह नजारा देखकर यही कहा जाएगा कि ये राजनीति नही गुंड़ागर्दी है। ये दिल्ली का नगर निगम नही बल्कि मानो कोई कुश्ती का अखाड़ा बन गया हो। जिसमें पार्षद एक दूसरे को चित करने के प्रयासो में लगे हैं।

इस लेख में आप पढ़ेंगे कि कैसे मेयर के चुनाव के दौरान दिल्ली नगर निगम में जूतम पैजार हुई।

आम आदमी पार्टी राजनीति बदलने के लिए आई थी- और वो उन्होंने करके दिखा दिया, नहीं तो बताइए, मेयर के चुनाव में जूतम पैजार पहले कभी आपने देखी है। आम आदमी पार्टी ने यह करके दिखाया है।

जमकर हुई हाथापाई

आपको विश्वास नहीं हो रहा तो नगर निगम की इन तस्वीरों को देख लीजिए और समझिए कि कैसे आम आदमी पार्टी ने राजनीति को बदलकर रख दिया है। नगर निगम की इस कुश्ती प्रतियोगिता में बीजेपी के पार्षद रुप पहलवान ने भी कम हुड़दंग नहीं मचाया। उन्होंने भी आम आदमी पार्टी के पार्षदों का जमकर टक्कर दी। कहने को तो यह सभी पार्षद जनता द्वारा चुने हुए थे- पार्टियों के टिकटों पर जीतकर आए थे- लेकिन लड़ाई ऐसी कर रहे हो मानो स्कूल में ग्यारहवीं क्लास के छात्र 9वीं क्लास वालों से भिड़ गए हों।

दिल्ली नगर निगम के सदन में देर रात जबरदस्त हंगामा हुआ। बात इतनी बिगड़ गई कि मेयर चुनाव के बाद स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव को लेकर बीजपी और AAP पार्षद आपस में हाथापाई करने लगे। दोनों पक्षों के पार्षदों ने एक दूसरे का डटकर सामना किया। मानो दिल्ली का नगर कोई संवैधानिक परिसर ना होकर शास्त्री नगर की गली नंबर 5 के लोगों की आपसी रंजिश हो।

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सभी पार्षदों ने धक्का-मुक्की और हाथापाई करके जनता को ये विश्वास दिलाने का भरपूर प्रयास किया कि उनका नगर निगम सही हाथों में नही है। पार्षदों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही चार बार स्थगित करनी पड़ी। हाथापाई, धक्का-मुक्की, वाद-विवाद तो बच्चों के तरीके हैं और हमारे दिल्ली नगर निगम के पार्षद इस मामले में कोई कच्चे खिलाड़ी तो हैं नहीं, इसलिए इन्होंने सदन के अंदर ही जल युद्ध छेड़ दिया। जमकर एक-दूसरे के ऊपर पानी फेंका।

कार्यवाही के दौरान के जो वीडियो सामने आए हैं, उनमें पार्षद एक दूसरे पर पानी की बोतलें फेंकते दिख रहे हैं। और जब पानी खत्म हो गया तो जूते, चप्पल, लात, घूंसे, सेब अर्थात जो भी हाथ में हो रहा है उसी से एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं। एमसीडी को चौथे प्रयास में अपना नया मेयर तो मिल गया लेकिन बीजेपी का आरोप है कि स्टैंडिंग कमिटी मेम्बर्स के चुनाव में धांधली हुई है।

महिलाएं भी नहीं रहीं पीछे

इस हाथापाई में महिला पार्षद भी पुरुष पार्षदों से पीछे नही रहीं, उन्होंने भी इस झड़प में बराबर की टक्कर ली। एक बार को भी नहीं लगा कि ओह! महिलाएं ऐसे माहौल में क्या करेंगी? महिलाएं तो और आगे बढ़कर निगम के युद्ध में प्रतिभाग कर रही थी। ना महिलाएं पीछे रहीं और ना पुरुष लेकिन इन तस्वीरों के सामने आने के बाद दिल्ली की जनता अवश्य पीछे छूट गई।

दिल्ली में बुधवार को शैली ओबेरॉय को नया मेयर चुन लिया गया। आम आादमी पार्टी की उम्मीदवार शैली ओबरॉय तो मेयर चुन ली गईं लेकिन अब MCD में स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव को लेकर नया बवाल शुरू हो गया है। बुधवार की रात से गुरुवार की सुबह तक लगातार हंगामा और नारेबाजी चलती रही, जिसके बाद सदन की कार्यवाही शुक्रवार की सुबह 10 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है।

बुधवार की रात से गुरुवार की सुबह तक 13 बार स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव के लिए प्रयास किए गए लेकिन आम आदमी पार्टी और बीजेपी के पार्षदों के बीच जमकर मारपीट हुई और हंगामा घंटों तक जारी रहा। आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच दिल्ली नगर निगम में शुरू हुई जंग शर्मनाक स्तर पर पहुंच गई है।

 

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सदन के अंदर ही सोए पार्षद

 

आठ से ज्यादा बार नगर निगम की कार्यवाही बाधित होने के बीच दोनों दलों के सदस्यों ने एक दूसरे पर आरोप मंढे सभी सदस्यो ने सदन में ही नाश्ता किया और कुछ सदस्य सदन के अंदर ही सोते हुए दिखाई पड़े।

इस पूरे विवाद के बीच यह बड़ा प्रश्न खड़ा हो गया है कि यदि सत्ता पक्ष और विपक्ष के दोनों प्रमुख दलों में इस स्तर पर टकराव होता रहा, तो अगले पांच साल निगम की कार्यवाही कैसे चलेगी। इससे दिल्ली का विकास कार्य प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है।

वहीं इस पूरी घटना पर दिल्ली प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि गुप्त मतदान की निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए मोबाइल व कलम नहीं ले जाने के लिए आप के नेता सदन मुकेश गोयल के प्रस्ताव को भाजपा ने स्वीकार किया था।

महापौर व उपमहापौर का चुनाव शांतिपूर्ण हुआ। बाद में महापौर ने स्थायी समिति के चुनाव में मोबाइल व कलम ले जाने की अनुमति दे दी जिसका भाजपा पार्षदों ने विरोध किया तो आप पार्षदों ने हमला कर दिया।

साथ ही भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने कहा कि महापौर की तुलना में उपमहपौर चुनाव में आप को कम वोट मिले। इससे आप को लगा कि उसके पार्षद स्टैडिंग कमेटी के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में वोट देंगे।

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इस कारण महापौर ने स्थायी समिति के चुनाव में मोबाइल व कलम ले जाने की अनुमति दे दी। आप पार्षदों ने मोबाइल से मतदान की फोटो मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री व संजय सिंह को भेजी है। यह गुप्त मतदान के अधिकार का उल्लंघन है।

अब कुछ लोगों के मन में ये प्रश्न उठ रहा होगा कि आखिर ये स्टैंडिंग कमेटी होती क्या है। दरअसल, दिल्ली नगर निगम में स्टैंडिंग कमेटी का ख़ास महत्व है। बता दें कि स्‍टैंडिंग कमेटी निगम की सबसे ताकतवर कमेटी होती है। ऐसे में भाजपा और आप दोनों चाहते हैं कि स्‍टैंडिंग कमेटी पर उसका वर्चस्‍व हो।

स्‍टैंडिंग कमेटी के पास कई महत्वपूर्ण वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार होते हैं। स्टैंडिंग कमेटी की बैठक हर हफ्ते होती है। लगभग सभी महत्वपूर्ण मामले इस कमेटी से पास होकर ही मेयर की अध्यक्षता वाले सदन में जाते हैं। जिससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ये कमेटी कितनी शक्तिशाली है।

सभी इस बात से परिचित हैं कि दिल्ली नगर निगम का प्रम्मुख मेयर होता हैं लेकिन उसके पास बहुत ही सीमित शक्तियां होती हैं। स्टैंडिंग कमेटी ही दिल्ली नगर निगम को प्रभावी तरीके से संचालित करती है।

स्टैंडिंग कमिटी का महत्व

यहीं कमेटी निगम के प्रतिदिन के कामकाज का प्रबंधन करती है। किसी भी प्रोजेक्ट के लिए वित्तीय मंजूरी स्टैडिंग कमेटी ही देती है, साथ ही नातियों को लागू करने की जिम्मेदारी भी स्टैंडिंग कमेटी की है। यही कारण है कि बीजेपी और आम आदमी के पार्षदों के बीच स्टैडिंग कमेटी में वर्चस्व को लेकर विवाद छिड़ा हुआ।

आपको बता दें कि स्थायी समिति के छह सदस्यों का चुनाव होना था। दिन में महापौर और उप-महापौर पद पर आप की शैली ओबेरॉय और आले मोहम्मद ने जीत दर्ज की। लेकिन स्टैडिंग कमेटी के चुनाव को लेकर बात अटक गई और हंगामा खड़ा हो गया।

भाजपा ने आम आदमी पार्टी पर स्थायी समिति के चुनाव में एक सोची समझी साजिश के तहत हंगामा करने और भाजपा पार्षदों पर हमला करने का आरोप लगाया है। उसका कहना है कि जब महापौर व उपमहापौर के चुनाव में मोबाइल व कलम ले जाने पर प्रतिबंध था तो स्थायी समिति के चुनाव में इसे ले जाने की अनुमति क्यों दी गई? यह निष्पक्ष गुप्त मतदान की प्रक्रिया का उल्लंघन है।

वहीं भाजपा नेता मनोज तिवारी ने आरोप लगाया है कि पूरा विवाद स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों के चुनाव के दौरान मोबाइल सहित कोई आपत्तिजनक वस्तु न लेकर जाने को लेकर हुआ था।

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उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी सदस्यों के अनुरोध पर ही स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों के लिए मतदान के दौरान मोबाइल-पेन न ले जाने पर सहमति बनी थी। लेकिन आरोप है कि मेयर चुने जाने के बाद सदन की पीठासीन अधिकारी शैली ओबेरॉय ने आम आदमी पार्टी सदस्यों को मोबाइल और पेन ले जाने की अनुमति दे दी। भाजपा ने कुछ वीडियो जारी कर कहा है कि उनके पार्षदों के साथ मारपीट की गई।

भाजपा नेता ने कहा कि आम आदमी पार्टी यह पूरा विवाद स्टैंडिंग कमेटी में अपनी संभावित हार को टालने के लिए कर रही है। आम आदमी पार्टी नेताओं ने अपने पार्षदों को ये आदेश दिया है कि वे स्टैंडिंग कमेटी में वोट देने के बाद अपने मतदान की फोटो पार्टी नेताओं को भेजें। उन्होंने इसे अलोकतांत्रिक और अपने ही पार्षदों पर अविश्वास करने का मामला बताया।

गौरतलब है कि एक दिन पहले ही इंफोसिस  के फाउंडर नारायण मूर्ति ने दिल्ली को सबसे अनुशासनहीन शहर बताया है। दिल्ली के ट्रैफिक नियमों को लेकर लोगों के रवैये से नारायण मूर्ति नाराज दिखें थे। अब दिल्ली के इन पार्षदों ने नारायण मूर्ति द्वारा दिल्ली को लेकर कही गई बातों को सही ठहराने में कोई प्रयास नही छोड़ा।

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