2023 में मनोरंजन के जगत से कई अनोखी खबरें सुनने को मिली है। कहीं पठान के चर्चे हैं तो कहीं आगामी बहुभाषीय प्रोजेक्ट्स के, चाहे वह सही हो या नहीं। परंतु एक खबर ऐसी भी है, जिसे सुनकर कई सिनेमाप्रेमी खुशी से उछल पड़ेंगे। अभी “गदर 2” की घोषणा से मचा कोलाहल शांत भी नहीं हुआ है कि ये सामने आया है कि निर्देशक राजकुमार संतोषी और सनी देओल कई दशकों बाद एक साथ आ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार दोनों 1947 के विभाजन से संबंधित एक फिल्म पर एक साथ काम करने को तैयार हैं। परंतु जिस जोड़ी ने “घायल”, “दामिनी”, “घातक” जैसे ब्लॉकबस्टर्स दिए, उसे एक होने में इतने वर्ष क्यों लगे?
इस लेख में हम उन कारणों को जानने का प्रयास करेंगे जिनके पीछे राजकुमार संतोषी और सनी देओल की सुपरहिट जोड़ी टूट गई थी और वर्षों बाद वे किन परिस्थितियों में एक हुए।
और पढ़ें-कालापानी- वह दुर्लभ फिल्म जिसमें वीर सावरकर का निष्पक्ष चित्रण किया गया
ब्लॉकबस्टर की गारंटी
सनी देओल और राजकुमार संतोषी, माने ब्लॉकबस्टर की गारंटी। “अर्धसत्य” एवं “विजेता” से अपने करियर का प्रारंभ करने वाले राजकुमार संतोषी ने अपनी प्रथम फिल्म “घायल” के लिए सनी देओल को चुना। उस समय सनी देओल एक उभरते हुए एक्शन स्टार थे, जो कुछ फिल्में कर चुके थे, और बॉक्स ऑफिस पर उनका सामना हुआ आमिर खान से, जो “कयामत से कयामत तक” की ब्लॉकबस्टर सफलता को “दिल” के माध्यम से दोहराना चाहते थे।
“दिल” सफल तो हुई, परंतु उसके कलेक्शन में “घायल” ने जबरदस्त सेंध लगाई, और वह वर्ष की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर बनने से कुछ ही अंतर से चूक गई। इतना ही नहीं, घायल को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में भी सम्मान मिला और सनी देओल को उनके अभिनय के लिए स्पेशल मेन्शन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
और पढ़ें- “हिंदी फिल्मों से गायब हो गई उर्दू”, नसीरुद्दीन शाह की कुंठा साफ तौर पर दिख रही है
दूसरी बड़ी ब्लॉकबस्टर में भी सनी देओल
इसके बाद तो राजकुमार संतोषी ने पुनः मुड़के नहीं देखा और उनकी दूसरी बड़ी ब्लॉकबस्टर में भी सनी देओल ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महिला सशक्तिकरण पर आधारित “दामिनी” में सनी देओल एडवोकेट गोविंद के लिए राजकुमार संतोषी की मूलभूत पसंद नहीं थे। परंतु परिस्थितियां ऐसी हुईं कि सनी देओल पुनः उनकी सेवा में उपस्थित हुए। असल में एडवोकेट गोविंद एक नहीं दो किरदार थे: एक अधिवक्ता का, जो सत्य के लिए जी जान लड़ा दे, जिसे ओम पुरी निभाते, और दूसरा एक शराबी का, जिसके किरदार में शक्ति कपूर थे।
परंतु किन्हीं कारणों से दोनों ने ही फिल्म करने से मना कर दिया और दोनों किरदारों को एक कर ये भूमिका सनी देओल को ऑफर हुई। फिर क्या था, 1993 में वो रिकॉर्ड टूटे, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं की गई थी। जिस किरदार का आगमन इंटरवल के बाद हुआ हो, उस एडवोकेट गोविंद श्रीवास्तव की भूमिका पर सबसे अधिक सीटियां बाजी और “दामिनी” फिल्म के लिए सनी देओल पर लगभग हर पुरस्कार न्योछावर हुआ, चाहे फिल्मफेयर हो या राष्ट्रीय पुरस्कार।
और पढ़ें- सौरभ शुक्ला: वो अभिनेता जो फिल्मों में लीड एक्टर को ही डकार जाता है
सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर्स में से एक थी घातक
फिर आई 1996 में “घातक”, जो कई मायनों में एक अनोखी फिल्म थी। सनी देओल अब तक बॉलीवुड में एक जाना माना नाम थे, और पहली बार अमरीश पुरी अपनी छवि के विपरीत एक सकारात्मक रोल कर रहे थे। ये फिल्म अपने कॉन्टेन्ट, अपने एक्शन और विशेषकर अपने संवादों के लिए इतना प्रसिद्ध हुई कि यह उस वर्ष की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर्स में से एक सिद्ध हुई, और आज भी सनी देओल के किरदार काशीनाथ का अनुसरण करने से कुछ सिनेमा प्रेमी पीछे नहीं हटते।
तो फिर ऐसा क्या हुआ था, जिससे यह ब्लॉकबस्टर जोड़ी टूट गई? बात है सन 2001 के आसपास की थी, जब राजकुमार संतोषी और सनी देओल, दोनों ही अपने करियर के शिखर पर थे। दोनों ने मिलकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी एक फिल्म बनाने की सोची। परंतु सनी देओल चाहते थे कि मुख्य किरदार वही निभाए। लेकिन राजकुमार संतोषी को यह विचार अच्छा नहीं लगा। फिर सनी देओल ने सोचा कि बॉबी देओल को उक्त रोल में कास्ट करते हैं, और राजकुमार संतोषी को वह विचार भी नहीं पसंद आया।
और पढ़ें- “किशोर कुमार चाहते थे कि चलती का नाम गाड़ी फ्लॉप हो जाए”, लेकिन जब फिल्म चल गई तब क्या हुआ?
“द लीजेंड ऑफ भगत सिंह”
इससे क्रोधित होकर सनी देओल ने राजकुमार संतोषी से नाता ही तोड़ लिया और, फिर गुड्डू धनोआ के साथ मिलकर उसी विषय पर एक अलग फिल्म निर्मित की। परंतु इस लड़ाई का अप्रत्याशित लाभ अजय देवगन, जिन्होंने राजकुमार संतोषी की उक्त फिल्म, “द लीजेंड ऑफ भगत सिंह” में सरदार भगत सिंह का किरदार आत्मसात कर उसे अमर कर दिया, और आगे क्या हुआ, इसके लिए किसी विशेष शोध की आवश्यकता नहीं।
तो फिर दोनों पुनः एक कैसे हुए? इसके पीछे का कारण स्वयं राजकुमार संतोषी जानते हैं। उनके शब्दों में, “कुछ चीजों को लेकर बीच में मनमुटाव था लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं रहा। वह मुझे बहुत प्यार करते हैं। दोस्त हैं हमारे। उनके साथ बहुत बड़े बजट की फिल्म बना रहे हैं। बीच में कई फिल्में बनाने की सोची लेकिन बात बन नहीं पाई। अब अच्छा वक्त आया है। ‘जिन लाहौर नहीं वेख्या’ एक नाटक पर आधारित बहुत ही बढ़िया विषय है। यह बहुत बड़े बजट की फिल्म होगी। सनी देओल को विषय बहुत पसंद आया है। जल्द ही हम इसकी आधिकारिक घोषणा करेंगे। ‘जिन लाहौर नहीं वेख्या’ नाटक को हम ‘लाहौर 1947’ के नाम से बना रहे हैं”।
राजकुमार की माने तो वे सनी ही थे, जिन्होंने उनके बुरे समय में उनकी सहायता की। इसीलिए अब वर्षों बाद दोनों भारत के इतिहास के एक अमिट पन्ने को अपनी शैली में व्यक्त करेंगे। ये कितनी सफल होगी या नहीं ये इसके विषय पर निर्भर है, परंतु यदि राजकुमार संतोषी और सनी देओल अपनी पर आ गए, तो एक और क्लासिक आपकी प्रतीक्षा कर रही है।
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।