Budh Pradosh vrat Katha : बुध प्रदोष व्रत कथा महत्व एवं पूजन सामग्री
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Budh Pradosh vrat Katha साथ ही इससे जुड़े महत्व के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें
बुध प्रदोष व्रत कथा –
बहुत पुरानी बात है एक पुरुष का नया नया विवाह हुआ था वह गौने के बाद पत्नि को लेने अपने ससुराल पहुंचा और उसने सास से कहा कि वह बुधवार के दिन ही अपनी पत्नि को लेकर जाएगा। उस पुरुष के सास ससुर, साले सालियों ने समझाया कि बुधवार को पत्नि को विदा कराकर ले जाना शुभ नहीं है। लेकिन वह पुरुष नहीं माना, विवश होकर सास ससुर ने अपने जमाई और पुत्री को भारी मन से विदा किया। पति पत्नि बैल गाड़ी में चले जा रहे थे।
एक नगर के बाहर निकलते ही पत्नि को प्यास लगी। पति लोटा लेकर पत्नि के लिए पानी लेने गए, जब वह पानी लेकर लौटा, तब उसने देखा की उसकी पत्नि पराये व्यक्ति द्वारा लाए लोटे से पानी पीकर हस हस कर बात कर रह थी। वह पराया पुरुष उस ही व्यक्ति की शक्ल सूरत वाला था। ऐसा देखकर वह व्यक्ति पराया व्यक्ति से आग बबूला होकर लड़ाई करने लगा। धीरे धीरे वहां कॉफी भीड़ एकत्रित हो गई और सिपाही भी आ गए
सिपाही ने स्त्री से पूछा की सच सच बताओं की तुम्हारा पति इन दोनों में कौन है। लेकिन वह स्त्री चुप रही, क्योंकि दोनों ही व्यक्ति हमशक्ल थे। बीच रहा में अपनी पत्नि को लुटा देख कर वह व्यक्ति मन ही मन शंकर भगवान की प्रार्थना करने लगा।
हे भगवान मुझे और मेरी पत्नि को इस मुसिबत से बचा लो। मैने अपनी पत्नि को बुधवार के दिन विदा कराकर जो अपराध किया है उसके लिए मुझे क्षमा कर दो। भविष्य में मैं ऐसी गलती कभी नही करूंगा। भगवान शिव उसकी प्रार्थना से भ्रवित हो गए और दूसरा व्यक्ति उसी समय कई अंतर ध्यान हो गया। इसके बाद वह अपनी पत्नि के साथ वह सही सलामत अपने नगर पहुंच गया। इसके बाद से दोनों पति पत्नि नियमपूर्वक बुधवार के दिन प्रदोष व्रत को करने लेगे।
बुध प्रदोष व्रत का महत्व –
त्रयोदशी अर्थात् प्रदोष का व्रत करने वाला मनुष्य सदा सुखी रहता है। उसके सम्पूर्ण पापों का नाश इस व्रत से हो जाता है। इस व्रत के करने से सुहागन नारियों का सुहाग सदा अटल रहता है, बंदी कारागार से छूट जाता है। जो स्त्री पुरुष जिस कामना को लेकर इस व्रत को करते हैं, उनकी सभी कामनाएं कैलाशपति शंकर जी पूरी करते हैं। सूत जी कहते हैं- त्रयोदशी व्रत करने वाले को सौ गऊ दान का फल प्राप्त होता है। इस व्रत को जो विधि विधान और तन, मन, धन से करता है उसके सभी दु:ख दूर हो जाते हैं।
पूजन सामग्री –
- धूप
- दीप
- घी
- सफेद पुष्प
- सफेद फूलों की माला
- आंकड़े का फूल
- सफेद मिठाइयां
- सफेद चंदन
- सफेद वस्त्र
- जल से भरा हुआ कलश
- कपूर
- आरती के लिये थाली
- बेल-पत्र
- धतुरा
- भांग
- हवन सामग्री
- आम की लकड़ी
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