बॉलीवुड में रीमेक तो सभी बनाते हैं, चलते हैं केवल अजय देवगन

अब भोला की बारी है!

रिमेक अजय देवगन

Source: NaiDuniya

इन दिनों बॉलीवुड को रीमेक पे रीमेक बनाने का भूत सवार हैं। ऐसा नहीं कि इससे पूर्व कभी रीमेक नहीं बनी या अन्य उद्योग रीमेक बनाने में रुचि नहीं रखते परंतु बॉलीवुड जिस स्पीड से रीमेक बनाने को आतुर है, उस अनुसार यदि अभी नहीं, तो कालांतर में बॉलीवुड के लिए “रीमेकवुड” का टैग वास्तविकता बन जाएगा। उस पर जो रिमेक बन भी रहे हैं, वो भी बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिर रहे हैं, लेकिन एक एक्टर (अजय देवगन) की बनाई रिमेक फिल्में सुपरहिट सिद्ध हो रही हैं।

इस लेख में पढ़िए कि  कैसे बॉलीवुड में रिमेक बनाते तो सभी हैं लेकिन रिमेक चलते केवल अजय देवगन के हैं।

अजय देवगन की रिमेक सुपरहिट

रीमेक के मौसम में हाल ही में दो रीमेक प्रदर्शित हुई, “शहज़ादा” एवं “सेल्फ़ी”। जहां कार्तिक आर्यन अभिनीत “शहज़ादा” बहुचर्चित तेलुगु फिल्म “आला वैकुंठपुरमलू” का रीमेक है, तो वहीं अक्षय कुमार एवं इमरान हाशमी स्टारर “सेल्फ़ी” पृथ्वीराज सुकुमारन द्वारा निर्मित एवं अभिनीत मलयालम मूवी “ड्राइविंग लाइसेंस” की रीमेक है, जिसे वे स्वयं सह निर्मित भी किये हैं। परंतु जहां शहज़ादा कुछ अच्छे परफ़ॉर्मेंस के बाद भी फ्लॉप सिद्ध हुई, तो वहीं “सेल्फ़ी” का भविष्य भी कुछ बहुत अच्छा नहीं लग रहा।

तो अजय देवगन इन सबसे अलग कैसे हैं? उन्होंने ऐसा क्या किया जिसके पीछे उनके रीमेक बनाने की कला औरों से अलग है? ज्यादा कुछ करने की आवश्यकता नहीं, बस पिछले वर्ष का रिकॉर्ड देख लीजिए।

जहां एक के बाद एक कई बॉलीवुड फिल्म बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी, तो वहीं कार्तिक आर्यन को छोड़कर केवल अजय देवगन एकमात्र ऐसे अभिनेता थे, जिन्होंने एक विशुद्ध ब्लॉकबस्टर दिया था दृश्यम 2 के रूप में।

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बहुत कम लोगों को पता है कि अजय देवगन ने अपने करियर का प्रारंभ ही एक रीमेक से किया था। 1990 में मलयालम फिल्म “परंपरा” आई थी, जिसमें बहुचर्चित अभिनेता मामूटी ने डबल रोल किया था। इसे एक अलग रूप देते हुए कुकु कोहली ने बनाई “फूल और कांटे”, जो 1991 में प्रदर्शित हुई, और जिसने बॉलीवुड को एक नया सितारा दिया, अजय देवगन।

बस, इस फिल्म के बाद अजय देवगन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और उन्होंने एक के बाद एक कई सफल फिल्में दी। परंतु 2002 ने तो उनके करियर का रुख ही सदैव के लिए बदल दिया।

जहां “कंपनी” और “द लेजेंड ऑफ भगत सिंह” के लिए उन्हे जमकर सराहना मिली, तो वहीं “दीवानगी” में अपनी इमेज से हटकर उन्होंने तरंग भारद्वाज जैसे खल चरित्र को आत्मसात किया। यहाँ पर भी कई लोगों को पता नहीं है कि “दीवानगी” हॉलीवुड फिल्म “प्राइमल फियर” की रीमेक थे और ये अनीस बाज़मी की उन चंद फिल्मों में से थी, जहां उन्होंने कॉमेडी को नहीं अपनाया।

इसे जिस प्रकार से अनीस ने आत्मसात किया, और जिस प्रकार से अजय देवगन ने तरंग भारद्वाज को अपना टच दिया, उससे फिल्म काफी सफल सिद्ध हुई, और अजय देवगन को अगले वर्ष एक नहीं, अपितु दो दो फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिसमें से एक सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए था।

 

सिंघम ने सिंगम को पछाड़ा

परंतु ओरिजिनल को कैसे पछाड़ना है, ये अजय देवगन ने दो फिल्मों के रूपांतरण से सिद्ध किया। 2011 में आई थी फिल्म “सिंघम”, जो तमिल स्टार सूर्या शिवकुमार के फिल्म “सिंघम” का हिन्दी संस्करण था। परंतु दुरई सिंगम और बाजीराव सिंघम में जो अंतर अजय देवगन ने स्थापित किया, वो आज भी इतना प्रबल है कि जब बात सिंघम की होती है, तो सूर्या को नहीं, अजय देवगन को ही याद किया जाता है।

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तो क्या अजय कभी फ्लॉप नहीं हुए? ऐसा भी नहीं है, उन्होंने “हिम्मतवाला” जैसी फिल्म करने की भी भूल की थी। परंतु कुछ ही समय बाद उन्होंने फिर एक ऐसी फिल्म को उठाया, जो एक चर्चित साउथ फिल्म की रीमेक थी। अजय देवगन इस फिल्म के लिए मूल विकल्प नहीं थे, परंतु परिस्थितियाँ ऐसी बनी कि निशिकांत कामत को उन्हें साइन करना पड़ा, और परिणाम था “दृश्यम”।

हम जानते हैं कि वीडियो को देखने वाले कई दर्शक मोहनलाल अन्ना के भी फैन हैं, परंतु अपने हृदय पे हाथ रखके पूछिए, जब देश भर में 2 अक्टूबर की चर्चा होती है, तो किसकी चर्चा अधिक होंगी? जॉर्ज कुट्टी की या विजय सालगांवकर के परिवार की?

यह बिल्कुल ऐसे ही जैसे अलीबाबा से प्रेरणा लेकर जेफ़ बेजौस ने अमेजॉन बनाया लेकिन आज अमेजॉन के आगे अलीबाबा कहीं नहीं ठहरता- यूपीआई के मार्केट में पेटीएम पहले आया था लेकिन पेटीएम की भूलों को सुधारते हुए फोन पे आया और आज यूपीआई के मार्केट पर फोन पे का कब्जा है।

ठीक इसी प्रकार जब पिछले वर्ष “दृश्यम 2” आई, तो एक अलग ऑनलाइन विवाद प्रारंभ हो गया, कि कौन श्रेष्ठ है: मोहनलाल या अजय देवगन। कुछ तो ये भी कहने लगे कि “दृश्यम 2” इसलिए सफल हुई क्योंकि इसका हिन्दी डब प्रदर्शित नहीं हुआ, जैसे “विक्रम वेधा” और “जर्सी” के केस में हुआ था।

पॉइंट तो है, परंतु यही बात होती, तो फिर “सिंघम” और “दृश्यम” के हिन्दी संस्करण कैसे ब्लॉकबस्टर हुए? अब डबिंग उद्योग 2014 में तो नहीं प्रारंभ हुई थी न….कोई माने न माने, परंतु “दृश्यम 2” की सबसे उत्कृष्ट बातें थी इसका मूल संस्करण से अलग करने के लिए एक अनोखा अप्रोच, जहां हर किरदार का अपना महत्व था। इतना ही नहीं, मूल संस्करण के ठीक विपरीत यहाँ आईजी के किरदार को और अधिक बल दिया गया।

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अब भोला की बात

ऐसे में जो लोग कह रहे हैं कि अजय देवगन की वर्तमान फिल्म “भोला” फ्लॉप होंगी, वे या तो अजय देवगन के बारे में कुछ नहीं जानते, अन्यथा उन्हे हल्के में लेने की भूल कर रहे हैं।

“दृश्यम” सीरीज़ की भांति ये फिल्म भी बहुचर्चित तमिल फिल्म “कैथी” का रीमेक है, जिसमें सूर्या के अनुज, कार्ति शिवकुमार ने प्रमुख भूमिका निभाई थी, और ये फिल्म जबरदस्त ब्लॉकबस्टर सिद्ध हुई, क्योंकि एक वो दिन था, और एक आज का दिन है, निर्देशक लोकेश कनागराज ने अपना फिल्मी ब्रह्मांड स्थापित जो कर लिया है।

परंतु अजय देवगन की “भोला” अलग प्रतीत होती है। केवल इसलिए नहीं क्योंकि इसके कर्ता धर्ता अजय देवगन हैं, अपितु इसलिए क्योंकि इसके कुछ झलकियों से स्पष्ट होता है कि यह “कैथी” की फ्रेम बाई फ्रेम रीमेक नहीं होंगी, अन्यथा पुलिस अफसर के रूप में तब्बू को क्यों कास्ट करते?

इसके अतिरिक्त अभिषेक बच्चन की संभावित उपस्थिति इस फिल्म को एक अलग स्तर पर ले जाने का प्रॉमिस भी देती है, और जब साथ में संजय मिश्रा से लेकर दीपक डोबरियाल जैसे मंझे हुए कलाकार हों, तो फिर और क्या चाहिए? और अभी हमने वेबसीरीज़ की बात तो की ही नहीं, अजय देवगन की वेबसीरीज़ रुद्रा: द एज ऑफ़ डार्कनेस, भारत में सबसे ज्यादा देखी जाने वाली वेबसीरीज़ है– लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह वेबसीरीज़ भी ब्रिटिश सीरीज़ लुथर की रिमेक थी, इसके बाद भी यह भारत की सबसे ज्यादा देखी जाने वाली वेबसीरीज़ बनी।

ऐसे में यह स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि बॉलीवुड में रिमेक तो सभी बनाते हैं लेकिन सुपरहिट रिमेक अजय देवगन ही बनाते हैं।

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