हेरा फेरी 3: अगर आप अपराध की दुनिया से थोड़ा-बहुत भी परिचित है तो आपने “जैक द रिपर” के बारे में अवश्य सुना होगा। विक्टोरियन इंग्लैंड में एक ऐसा व्यक्ति था जो महिलाओं की हत्याएँ इतने जघन्य तरह से करता था कि उसे देखना तो छोड़िए, उसका उल्लेख करने में भी लोग सिहर जाएँ।
आज तक कोई नहीं जान पाया कि “जैक द रिपर” कौन था? परंतु हमारे फिल्म उद्योग में एक ऐसा ही व्यक्ति है, जिसका नाम भी है और जिसके कार्य से लगभग सभी परिचित हैं और 2013 से ही उसका एक उद्देश्य है: भारतीय कॉमेडी फिल्मों का सर्वनाश करना।
इस लेख में आप पढ़ेंगे फरहाद सामजी से परिचित करवाने जा रहा हूं, जिनका एक मात्र उद्देश्य है कॉमेडी फिल्मों का सर्वनाश।
फरहाद सामजी करेंगे हेरा फेरी 3 निर्देशित
यदि आप “लक्ष्मी”, “बच्चन पांडे”, “हाऊसफुल 4” के ख्याल से ही कांप उठते हैं, यदि आपको लगता है कि “गोलमाल” सीरीज़ पहले संस्करण की तरह धमाल क्यों नहीं मचा रही है, यदि आप सोचते हैं कि कौन है वो व्यक्ति जिसके कारण लोग बॉलीवुड की कॉमेडी फिल्मों के नाम से बगलें झांकने लगते हैं, तो हम आपको बताते हैं वो व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि फरहाद सामजी हैं- अभी हाल ही में “हेरा फेरी” के तीसरे संस्करण (हेरा फेरी 3) के प्रोमो की शूटिंग हुई और इसमें मूल तिकड़ी यानी अक्षय कुमार, परेश रावल एवं सुनील शेट्टी ने भी भाग लिया।
परंतु जब से ये खबर आ रही है कि फरहाद सामजी इस संस्करण का निर्देशन कर सकते हैं, हेरा फेरी 3 फिल्म के अधिकतम प्रशंसक तंत्र मंत्र से लेकर हनुमान चालीसा तक का जाप करने लगे हैं। सबका एक ही विचार है: कुछ भी हो जाए पर “हेरा फेरी” को फरहाद सामजी की नज़र न लगे। प्रथम फिल्म प्रियदर्शन ने निर्देशित की थी और द्वितीय फिल्म नीरज वोरा ने और दर्शक नहीं चाहते कि इस अद्वितीय फ्रैन्चाइज़ का सर्वनाश हो जाए।
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परंतु फरहाद सामजी ने ऐसा क्या किया है, जिसके पीछे लोग उनसे इतना चिढ़ते हैं? इसके लिए भाईसाब के करियर पर दृष्टि डालनी होंगी। इन्होंने अपने भाई, एवं अभिनेता साजिद सामजी के साथ डायलॉग लिखना प्रारंभ किया था। बहुत कम लोगों को ज्ञात होगा कि फरहाद सामजी को बतौर संवाद लेखक राम गोपाल वर्मा ने ब्रेक दिया था।
2006 में अपनी फिल्म “शिवा” के लिए। यही नहीं, इन लोगों ने 2007 में रामगोपाल वर्मा के बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट “रामगोपाल वर्मा की आग”, जो “शोले” का रीमेक थी, उसके लिए संवाद लिखे। एक वो दिन था और एक आज का दिन, अब राम गोपाल वर्मा कहाँ है, किसी को कोई फ़र्क नहीं पड़ता।
इसके बाद से इन्होंने कई फिल्मों के लिए संवाद लिखे और कभी-कभी तो गीत-संगीत भी दिया। परंतु लोग “रामगोपाल वर्मा की आग” से उबरे ही थे, कि 2012 और 2013 में उन्हें एक साथ डबल अटैक सिनेमाघरों में झेलना पड़ा, “हाऊसफुल 2” और “हिम्मतवाला”।
सिंघम इनकी एक मात्र उपलब्धि
इतना ही नहीं “चेन्नई एक्सप्रेस” से लेकर “एंटरटेन्मेंट”, “दिलवाले”, “जुड़वा 2”, “कुली नंबर 1”, आप बोलते जाइए और फरहाद ने अपने भाई के साथ कॉमेडी का अस्थि पंजर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ढिंचक पूजा, केआरके जैसी विभूतियां तो बाद में आईं, पहले इन्होंने ही फिल्मों में अर्थ का अनर्थ करना प्रारंभ किया। इनकी एकमात्र उपलब्धि थी 2011 में आई फिल्म “सिंघम” जिसकी पटकथा से लेकर संवाद सब इन्होंने ही रचे थे।
परंतु “सिंघम” के बाद इनके संवादों से लॉजिक एवं रचनात्मकता ऐसे गायब हुई, जैसे गधे के सर से सींग। अजय देवगन को छोड़ दें, तो रामगोपाल वर्मा, डेविड धवन, यहाँ तक कि अक्षय कुमार और वरुण धवन के करियर की लंका लगाने का क्रेडिट फरहाद सामजी एवं उनके भाई निस्संकोच ले सकते हैं। हालांकि अजय देवगन भी “हिम्मतवाला” में इनके बनाए दलदल में अवश्य फंस गए थे।
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परंतु इतने से भी फरहाद का मन नहीं भरा। 2014 में ‘एंटेरटेन्मेंट’ से निर्देशन से फिल्मों में कदम रखने वाले फरहाद ने 2019 से कॉमेडी का सर्वनाश करने का जो ठेका ले लिया। “हाउसफुल 4”, “बागी 3”, “लक्ष्मी”, “बच्चन पांडे”, यहाँ तक कि “कुली नंबर 1” इन्ही की कलम की देन है।
वह तो भला हो कि रोहित शेट्टी ने “सूर्यवंशी” की पटकथा का विभाग स्वयं संभाल लिया और “भूल भुलैया 2” में इन्हे केवल संवाद तक सीमित रखके कथा और पटकथा की ज़िम्मेदारी आकाश कौशिक को दी गई अन्यथा 2021 में कोविड के पश्चात बॉलीवुड की प्रतिष्ठा को बचाने में सहायक रही इन दोनों फिल्मों का क्या हाल होता, आप स्वयं समझदार हैं।
परंतु फरहाद सामजी इतने पे मान जाए, ऐसा शायद ही होगा। अब इनका अगला निशाना कोई और नहीं, सलमान खान हैं, जिनके करियर की लंका लगाने के लिए उनकी फिल्म “किसी का भाई, किसी की जान” का ज़िम्मा अपने ऊपर लिया है।
ऐसे में देश के प्रत्येक सिनेमा प्रेमी की एक ही मांग है: कॉमेडी फिल्मों और स्क्रीनप्ले से फरहाद सामजी को जितना दूर रखा जाए, उतना ही अच्छा। हम सब कुछ सह सकते हैं, परंतु “हेरा फेरी” फ्रैन्चाइज़ का विनाश नहीं।
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