मानवता शर्मसार! राजस्थान पुलिस की मारपीट से गोरक्षक की पत्नी का गिरा गर्भ, सीएम गहलोत पर उठे सवाल

तुष्टीकरण की सभी सीमाएं पार!

Gahlot Rajasthan Police crosses all limits of barbarism

Source: AAJTAK

Bhiwani Case: राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कितने दंगे हुए हैं, उसके लिए आपको ज्यादा रिसर्च करने की आवश्यकता नहीं है- पिछले कुछ दंगे तो आपको याद भी होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह दंगे कांग्रेस शासित सरकार में क्यों हो रहे हैं? इसके पीछे की एक वज़ह तुष्टीकरण की राजनीति है- और अब गहलोत सरकार ने तुष्टीकरण के चक्कर में सभी नैतिकताओं की धज्जियां उड़ा दी हैं।

इस लेख में पढ़िए कैसे राजस्थान की गहलोत सरकार ने क्रूरता की सीमा पार कर दी है।

कांग्रेस का तुष्टीकरण जारी है

राजनीति में तुष्टीकरण कोई नई बात नहीं है- कांग्रेस पार्टी का तो पूरा इतिहास ही तुष्टीकरण की राजनीति से भरा पड़ा है। कांग्रेस पार्टी ने मज़हब विशेष के लोगों का इतना तुष्टीकरण किया कि एक वक्त को देश के बहुसंख्यकों को अपने ही देश में असुरक्षा महसूस होने लगी थी।

कांग्रेस सरकार के वक्त कैसे अल्पसंख्यकों को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनाईं जाती थी- यह देश अभी तक वो भूला नहीं है। इसके साथ ही देश यह भी नहीं भूला है कि कैसे तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि इस देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है।

अब आपके मस्तिष्क में प्रश्न उठ रहा होगा कि आखिरकार हम आज कांग्रेस के तुष्टीकरण की बातें क्यों कर रहे हैं- कांग्रेस का तुष्टीकरण तो जग-जाहिर है। लेकिन इस बार कांग्रेस की राजस्थान सरकार ने कुछ ऐसा किया है जिससे यह समझ आता है कि कांग्रेस ने इतने वर्षों तक केंद्र की सत्ता से बाहर रहने के बाद भी कुछ नहीं सीखा और वो आज भी अपनी वही पुरानी मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति में लगी है।

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Bhiwani Case का पूरा मामले समझिए

राजस्थान की गहलोत सरकार ने इस बार तुष्टीकरण के चक्कर में सभी सीमाओं को तोड़ दिया है, और उन्होंने एक गौरक्षक की पत्नी के गर्भ में पल रहे शिशु तक को नहीं छोड़ा है।

आइए, पूरा मामला विस्तार से समझ लेते हैं- 16 फरवरी को राजस्थान के भरतपुर में दो युवकों का शव हरियाणा के भिवानी (Bhiwani Case) में एक जली हुई बोलेरो गाड़ी में मिला था। यह दो युवक थे- जुनैद और निसार। जुनैद और निसार दोनों ही गोतस्कर थे और राजस्थान में ही इन दोनों के विरुद्ध कई मामले दर्ज थे।

दोनों गोतस्करों की कथित हत्या किसने की- यह अभी तक सामने नहीं आ पाया है, पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को आरोपी बनाया है। आरोपियों में एक श्रीकांत पंडित का भी नाम है। श्रीकांत पंडित और दूसरे जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है वो गौरक्षक हैं।

इसके बाद राजस्थान की पुलिस सक्रिय हो गई, पिछले कई महीनों से गौतस्करों पर कार्रवाई करने के मामले में आलस कर रही भरतपुर पुलिस तुरंत सक्रिय हो गई और गौरक्षकों के पीछे पड़ गई। यहीं से राजस्थान पुलिस की क्रूरता शुरू होती है।

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गर्भ में शिशु की मौत

राजस्थान पुलिस लोहारू कांड में कार्रवाई कर रही है जोकि उनका काम है लेकिन मृतक अल्पसंख्यक समुदाय से हैं- यह जानने के बाद राजस्थान पुलिस अतिसक्रिय हो गई है। भरतपुर पुलिस के जवान हरियाणा पहुंचे और गौरक्षक कथित आरोपी श्रीकांत के घर में जाकर काफी मारपीट की।

आरोप है कि पुलिस इस मामले में इतनी ज्यादा क्रूर होती चली गई कि उसने श्रीकांत की गर्भवती पत्नी के साथ भी मारपीट की जिससे गर्भ में ही उसके शिशु की मौत हो गई।

 

https://twitter.com/KumaarSaagar/status/1627008585766158336

गौरक्षक श्रीकांत की पत्नी की जान बड़ी मुश्किल से बचाई जा सकी और उसके गर्भ से बच्चे का शव निकाला गया। भले ही राजस्थान पुलिस यह स्वीकार करने को तैयार नहीं है लेकिन मीडिया के द्वारा जो जानकारियां सामने आ रही हैं- वो डराने वाली हैं।

जानकारी के मुताबिक श्रीकांत पंडित की पत्नी के गर्भ से निकाले गए मृत शिशु के शव का 23 घंटे बाद पोस्टमार्टम हो पाया। और यही नहीं बच्चे का शव श्मशान घाट की मिट्टी से निकालकर दोबारा अस्पताल ले जाया गया था।

इस मामले में अब राजस्थान पुलिस के विरुद्ध FIR की तलवार लटक रही है। नगीना थाना एसएचओ राजबीर ने कहा कि नवजात का पोस्टमॉर्टम हो गया है। पुलिस को डॉक्टरों की रिपोर्ट का इंतजार है।

रिपोर्ट में बच्चे की मौत के कारणों को खुलासा होगाा और आगे की कार्रवाई उसके आधार पर ही होगी। ऐसे में यदि यह साबित होता है कि राजस्थान पुलिस द्वारा महिला से हुई मारपीट के चलते ही बच्चे की मौत हुई है तो राजस्थान पुलिसकर्मियों के विरुद्ध केस दर्ज होना तय है।

Bhiwani Case: महिला आयोग हुआ सक्रिय

हरियाणा की महिला आयोग अध्यक्ष भी इस मामले को लेकर सक्रिय हो गईं हैं। उन्होंने यह मामला केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक के पास ले जाने की बात कही है। महिला आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया ने कहा कि राजस्थान पुलिस की रेड के दौरान कोई महिला पुलिस अधिकारी नहीं थी जोकि राजस्थान पुलिस ने बहुत बड़ी गलती की है। रेनू भाटिया ने इस मामले में फिरोजपुर झिरका के डीएसपी सतीश कुमार को जमकर फटकार लगाई।

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Bhiwani Case में प्रश्न तो हरियाणा पुलिस पर भी खड़े हो रहे हैं कि आखिर ऐसा कैसे हो गया कि राजस्थान की पुलिस उनके राज्य के एक थाना क्षेत्र में जांच के लिए आकर मारपीट करती है और उन्हें पता नहीं चलता है।

हालांकि अब हरियाणा पुलिस सक्रिय हो गई है और उन्होंने स्पेशल जांच टीम बनाई है। जिसकी अगुवाई अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नूंह उषा कुंडू कर रही हैं। नूंह के SP वरूण सिंगला ने कहा कि इस मामले में पुलिस सभी साक्ष्य, सबूत व गवाहों के आधार पर अपनी निष्पक्ष जांच में जुटी हुई है। अभी केस दर्ज नहीं किया गया है।

गौतस्करों की हत्या किसने की, गौरक्षकों ने या किसी और ने, यह जांच का विषय है लेकिन जैसे ही यह पता चला कि मृत युवकों के नाम जुनैद और नासिर हैं- वैसे ही राजस्थान पुलिस ने मामले को अलग चश्मे से देखना शुरु कर दिया।

इसी का परिणाम है कि बिना हरियाणा पुलिस को सूचित किए राजस्थान पुलिस ने हरियाणा में जाकर जांच शुरू कर दी और गर्भवती महिला के साथ मारपीट तक की, और पेट में पल रहे एक बच्चे की जान तक ले ली।

ऐसे में अब प्रश्न यह है कि क्या सभी मामले में राजस्थान की पुलिस इतनी ही सक्रियता से कार्य करती है? प्रश्न यह भी है कि राजस्थान की गहलोत सरकार उन पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है- जिन पर मारपीट के आरोप लगे हैं? इसके साथ ही प्रश्न यह भी है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत Bhiwani Case पर चुपी क्यों साधे हैं? क्या यह भी राजस्थान की गहलोत सरकार का तुष्टीकरण नहीं है?

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