Ganesh ji ki katha : गणेश जी की कथा नाम और उनका अर्थ
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Ganesh ji ki katha साथ ही इससे जुड़े नाम और उनका अर्थ के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें
एक बुढ़िया थी। वह बहुत ही ग़रीब और अंधी थीं। उसके एक बेटा और बहू थे। वह बुढ़िया सदैव गणेश जी की पूजा किया करती थी। एक दिन गणेश जी प्रकट होकर उस बुढ़िया से बोले-
‘बुढ़िया मां! तू जो चाहे सो मांग ले।’
बुढ़िया बोली- ‘मुझसे तो मांगना नहीं आता। कैसे और क्या मांगू?’
तब गणेशजी बोले – ‘अपने बहू-बेटे से पूछकर मांग ले।’
तब बुढ़िया ने अपने बेटे से कहा- ‘गणेशजी कहते हैं ‘तू कुछ मांग ले’ बता मैं क्या मांगू?’
पुत्र ने कहा- ‘मां! तू धन मांग ले।’
बहू से पूछा तो बहू ने कहा- ‘नाती मांग ले।’
तब बुढ़िया ने सोचा कि ये तो अपने-अपने मतलब की बात कह रहे हैं। अत: उस बुढ़िया ने पड़ोसिनों से पूछा, तो उन्होंने कहा- ‘बुढ़िया! तू तो थोड़े दिन जीएगी, क्यों तू धन मांगे और क्यों नाती मांगे। तू तो अपनी आंखों की रोशनी मांग ले, जिससे तेरी ज़िन्दगी आराम से कट जाए।’
इस पर बुढ़िया बोली- ‘यदि आप प्रसन्न हैं, तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आंखों की रोशनी दें, नाती दें, पोता, दें और सब परिवार को सुख दें और अंत में मोक्ष दें।’
यह सुनकर तब गणेशजी बोले- ‘बुढ़िया मां! तुने तो हमें ठग दिया। फिर भी जो तूने मांगा है वचन के अनुसार सब तुझे मिलेगा।’ और यह कहकर गणेशजी अंतर्धान हो गए। उधर बुढ़िया माँ ने जो कुछ मांगा वह सबकुछ मिल गया। हे गणेशजी महाराज! जैसे तुमने उस बुढ़िया माँ को सबकुछ दिया, वैसे ही सबको देना।
श्री गणेश के नाम और उनका अर्थ –
- बालगणपति – सबसे प्रिय बालक
- भालचन्द्र – जिसके मस्तक पर चंद्रमा हो
- बुद्धिनाथ – बुद्धि के भगवान
- धूम्रवर्ण – धुंए को उड़ाने वाले
- एकाक्षर – एकल अक्षर
- एकदन्त – एक दांत वाले
- गजकर्ण – हाथी की तरह आंखों वाले
- गजानन – हाथी के मुख वाले भगवान
- गजवक्र – हाथी की सूंड वाले
- गजवक्त्र – हाथी की तरह मुंह है
- गणाध्यक्ष – सभी जनों के मालिक
- गणपति – सभी गणों के मालिक
- गौरीसुत – माता गौरी के बेटे
- लम्बकर्ण – बड़े कान वाले देव
- लम्बोदर – बड़े पेट वाले
- महाबल – अत्यधिक बलशाली
- महागणपति – देवादिदेव
- महेश्वर – सारे ब्रह्मांड के भगवान
- मंगलमूर्ति – सभी शुभ कार्यों के देव
- मूषकवाहन – जिनका सारथी मूषक है
- निदीश्वरम – धन और निधि के दाता
- प्रथमेश्वर – सब के बीच प्रथम आने वाले
- शूपकर्ण – बड़े कान वाले देव
- शुभम – सभी शुभ कार्यों के प्रभु
- सिद्धिदाता – इच्छाओं और अवसरों के स्वामी
- सिद्दिविनायक – सफलता के स्वामी
- सुरेश्वरम – देवों के देव
- वक्रतुण्ड – घुमावदार सूंड वाले
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