अरविंद केजरीवाल को पीछे छोड़कर अब सिसोदिया बन गए हैं ‘दिल्ली के मालिक’

केजरीवाल भी यह बात समझने लगे हैं!

मनीष सिसोदिया

Source- TFI

मनीष सिसोदिया, दिल्ली के शिक्षा मंत्री, शिक्षा घोटाले के आरोपी, शराब घोटाले में आरोपी, तमाम भ्रष्टाचार के पीछे सांठगांठ और अब नेताओं और अफसरों की जासूसी मामले में भी आरोपी…जब भी किसी पार्टी के किसी नेता के विरुद्ध एक-एक कर इतने सारे भ्रष्टाचार के मामले सामने आते हैं तो आमतौर पर पार्टियां उन नेताओं को या तो साइडलाइन करती हैं या फिर उन्हें पद से हटा दिया जाता है। लेकिन दिल्ली में तो ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिल रहा है। भ्रष्टाचार के तमाम आरोपी, यहां तक कि भ्रष्टाचार के मामले में सजा पाने वाले लोग भी पार्टी में बने हुए हैं।

अब मनीष सिसोदिया के मामले में भी स्थिति यही है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या मनीष सिसोदिया का कद पार्टी में अरविंद केजरीवाल से भी बड़ा हो गया है? क्या सिसोदिया पर एक्शन लेने से केजरीवाल को अब डर लगने लगा है? इन प्रश्नों के उत्तर आपको इस लेख में मिलेंगे और साथ ही हम यह भी बताएंगे कि आखिर क्यों भ्रष्टाचार में मामले में आकंठ डूबी आम आदमी पार्टी, तमाम मामलों के आरोपी सिसोदिया पर एक्शन लेने से डर रही है।

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CBI को मिल गई मंजूरी

दरअसल, मनीष सिसोदिया के काले कारनामे समय-समय पर बाहर आते रहे हैं और अब वर्ष 2015 का पुराना मामला मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल के लिए मुसीबत बना है। दिल्ली सरकार द्वारा बनाई गई फीडबैक यूनिट को लेकर सीबीआई ने विजिलेंस विभाग को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। मनीष सिसोदिया पर विपक्षी दलों में जासूसी करने का आरोप लगा है। अब इस मामले में सीबीआई दिल्ली के डिप्टी सीएम पर केस चलाने की अनुमति चाह रही है और अनुमति मिलते ही मनीष सिसोदिया के खिलाफ एक नया केस दर्ज हो जाएगा।

शुरुआती जांच के बाद सीबीआई ने आरोपों की गंभीरता को देखते हुए इस मामले में केस दर्ज करके आगे की जांच करने के लिए नियमों के तहत दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना से अनुमति मांगी थी। नवभारत टाइम्स के अनुसार, एलजी ने सीबीआई के अनुरोध को मंजूर करते हुए डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दे दी है और इस प्रस्ताव को आगे की मंजूरी के लिए गृह मंत्रालय के जरिए राष्ट्रपति के पास भिजवा दिया है।

अब मनीष सिसोदिया तो केजरीवाल के अनुसार ‘कट्टर ईमानदार’ हैं तो उन्होंने इस मुद्दे पर नौटंकी करना शुरू कर दिया है। अभी तक सिसोदिया बिल्कुल ही चुप थे लेकिन सीबीआई द्वारा केस चलाए जाने की मांग के बाद अब उन्होंने अपना मौन व्रत तोड़ दिया हैं। उन्होंने इस दौरान बोला भी कुछ ऐसा जो कि कांग्रेस से ही संबंधित है। मनीष सिसोदिया ने ट्वीट करते हुए पेगासस का मुद्दा छेड़ दिया। उन्होंने कहा, “बीजेपी वाले मेरे खिलाफ नया आरोप लाए हैं कि मैं 2015 से इनकी जासूसी करवा रहा हूं। इतने बड़े-बड़े लोग, जिनका अस्तित्व ही CBI, ED पेगासस से विपक्षी नेताओं के खिलाफ साजिश कराने पर टिका है, अगर इतने बड़े लोग भी मुझसे डर रहे हैं तो लगता है कि अपन भी मोदी के बराबर हो गए हैं यार।”

यहां समझिए पूरी कहानी

मनीष सिसोदिया पर आरोपों की बात करें तो उनके विरुद्ध यह मामला वर्ष 2015 का है। आरोप हैं कि सत्ता में आने के बाद केजरीवाल सरकार ने विजिलेंस डिपार्टमेंट में गलत तरीके से ‘फीडबैक यूनिट’ (एफबीयू) का गठन किया और इसकी मदद से नेताओं की जासूसी कराई गई। सीबीआई की ओर से केस दर्ज किए जाने की मांग की गई। सीबीआई ने अपनी एक प्रारंभिक जांच में पाया है कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए गठित एफबीयू ने ‘राजनीतिक खुफिया जानकारी’ एकत्र की थी।

दिल्ली सरकार ने इस पूरी फीडबैक यूनिट के काम को लेकर तर्क दिया था कि इसका काम केवल दिल्ली के सरकारी विभागों में होने वाले भ्रष्टाचारों पर नजर रखना और अधिकारियों पर कार्रवाई करना होगा। बाद में भाजपा समेत विपक्षी दलों ने आरोप लगया कि अरविंद केजरीवाल सरकार इस फीडबैक यूनिट के जरिए विपक्षी दलों के बड़े नेताओं की जासूसी कर रही है और उनकी पल-पल की जानकारी जुटा रही है। आरोपों के बढ़ने के बीच इस मामले की जांच सीबीआई को दे दी गई थी और अब जब सीबीआई ने इस मामले को प्रारंभिक तौर पर देखा है तो उसे भी इस जासूसी के कुछ सुराख मिले हैं, जिसके कारण उसने केस चलाने की अनुमति मांगी है।

सर्वाधिक कमाल की बात यह है कि आम आदमी पार्टी सदैव यह दावा करती रही है कि वह दूध की धुली है और जब भी पार्टी के नेताओं पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप होगा तो सबसे पहले पार्टी के नेताओं पर ही एक्शन लिया जाएगा, किंतु स्थिति पूरी तरह से विपरीत है। आम आदमी पार्टी छोटे-छोटे मुद्दों पर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से लेकर मंत्रियों और प्रधानमंत्री तक से इस्तीफा मागंती है लेकिन वह मनीष सिसोदिया के खिलाफ एक शब्द नहीं बोल रही। शुरू से लेकर अभी तक प्रत्येक मुद्दे पर AAP मनीष सिसोदिया के साथ खड़ी दिखी है। सवाल यही है कि क्या आम आदमी पार्टी के अंदर मनीष सिसोदिया का कद इतना बड़ा हो गया कि अब केजरीवाल भी उन पर कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं?

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पार्टी में नंबर दो हैं सिसोदिया

ध्यान देने योग्य है कि आम आदमी पार्टी में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है। यह बात तो सभी जानते हैं कि विधानसभा से लेकर पार्षद तक के चुनाव में पार्टी ‘कैश फॉर टिकट’ का अभियान चलाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो उम्मीदवार अधिक पैसे देता है, उसे पार्टी प्रत्याशी बना देती है। पार्टी का मुख्य मुद्दा ही सत्ता और पैसे इकट्ठा करना हो गया है! कांग्रेसी भ्रष्टाचार और परिवारवाद का विरोध कर खड़ी हुई पार्टी भ्रष्टाचार में टॉप पर तो है ही, साथ ही अपने विधायकों के रिश्तेदारों को टिकट भी देती दिखाई देती है।

यही कारण है कि अन्ना आंदलोन के समय बनी अरविंद केजरीवाल की टीम वर्ष दर वर्ष छोटी होती चली गई। योगेंद्र यादव से लेकर किरण बेदी, अलका लांबा, आशुतोष जैसे लोगों ने आप का साथ छोड़ना शुरू कर दिया था। वर्ष 2015 के बाद जैसे जैसे अरविंद केजरीवाल का रवैया बदलता गया, वैसे वैसे साफ होता गया है कि उनकी राजनीतिक में कुछ नया नहीं है और नतीजा यह हुआ कि कुमार विश्वास जैसे एक विराट चेहरे ने पार्टी की आलोचना शुरू कर दी और आज भी प्रत्येक मंच से अरविंद केजरीवाल को कोसते हैं लेकिन इन सबके बीच एक शख्स पार्टी में बना रहा, वो हैं- मनीष सिसोदिया।

मनीष सिसोदिया को पार्टी में नंबर दो कहा जाता है। अरविंद केजरीवाल जो काम नहीं देख पाते हैं, वे सारे काम मनीष सिसोदिया ही देखते हैं लेकिन अहम बात यह है कि सिसोदिया को जो अहम मंत्रालय दिए गए हैं, उसे लेकर सर्वाधिक क्रेडिट लेने की कोशिश होती है। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि सिसोदिया के मंत्रालयों से ही सर्वाधिक भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं। मनीष सिसोदिया के कामों को लेकर केजरीवाल ने पंजाब से लेकर गुजरात में वोट मांगे लेकिन हकीकत यह है कि सिसोदिया के काम ही सर्वाधिक सवालों के घेरे में हैं।

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दिल्ली का कायाकल्प करने का दावा करने वाले अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की ‘शिक्षा व्यवस्था’ को वर्ल्ड क्लास बताया है। आम आदमी पार्टी यह दावा करती रही है कि दिल्ली के जो भी स्कूल हैं वे सर्वाधिक बेहतरीन हैं। दिल्ली सरकार का कहना है कि यहां के निजी स्कूलों से ज्यादा सुविधाएं सरकारी स्कूलों में मिल रही है लेकिन अहम बात यह है कि दिल्ली सरकार आज तक यह नहीं बता पाई है कि आखिर केजरीवाल सरकार ने पिछले 7 वर्षों में कितने नए स्कूल कॉलेज या यूनिवर्सिटी बनाई है।

उनके लिए यह बताना असंभव है क्योंकि कुछ किया ही नहीं है। मंत्रालय सिसोदिया जी के पास है तो अच्छाई का ढोल पीटा जा रहा है। मनीष सिसोदिया के पास दिल्ली सरकार का अहम वित्त विभाग भी है। सीधे तौर पर कहें तो वित्तीय मामले में सिसोदिया पूरी पकड़ रखते हैं। मुफ्त रेवड़ी बांटने की नौटंकियों को सिसोदिया कैसे अंजाम दे रहे हैं, यह एक बड़ा सवाल है क्योंकि वो इस विभाग पर कुंडली मार के बैठे हैं।

आबकारी नीति पर बवाल

इसके अलावा दिल्ली का आबकारी मामला तो आपको याद ही होगा। दिल्ली की शराब नीति, पंजाब चुनाव के पहले दिल्ली सरकार के अंतर्गत मनीष सिसोदया ने बदली थी और फिर इस शराब नीति को पंजाब में चुनाव जीतने के बाद फिर बदला गया, जिससे सिसोदिया फंस गए। भाजपा लगातार यह आरोप लगाती रही है कि शराब नीति के जरिए मनीष सिसोदिया असल में भ्रष्टाचार कर रहे थे। मनीष सिसोदिया समेत पूरी पार्टी पर आरोप हैं कि पंजाब चुनाव के लिए फंड जुटाने के उद्देश्य से शराब नीति में बदलाव कर भ्रष्टाचार के दरवाजे खोले गए थे और चुनाव जीतने के बाद स्वयं को पाक साफ दिखाने की नीति के तहत फिर से शराब नीति में बदलाव कर सबकुछ सामान्य कर दिया गया।

अब अहम बात यह है कि इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने मनीष सिसोदिया के खिलाफ केस दर्ज कर रखा है और आए दिन शराब घोटाले के तहत कार्रवाई हो रही है। शराब घोटाले से जुड़े कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है, जिससे पार्टी की साख दांव पर लगी है। ईडी दफ्तर में मनीष सिसोदिया को पूछताछ के लिए जाना भी पड़ा था और पूरा एक दिन ईडी दफ्तर में गुजार कर सिसोदिया जब बाहर आए तो खुद को पाक साफ दिखाकर केजरीवाल की तरह ही नौटंकी करने लगे। प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने उनके आधिकारिक आवास पर छापेमारी भी की और इस दौरान ही सीएम केजरीवाल यह तक दावा करने लगे कि सिसोदिया की गिरफ्तारी भी हो सकती है। यह दिखाता है कि केजरीवाल, मनीष सिसोदिया को बलि का बकरा बनाकर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश में लगे थे लेकिन इन सब के चक्कर में सिसोदिया का राजनीतिक कद बड़ा होता चला गया है।

अरविंद केजरीवाल अगर चाह लें तो वो अपनी पार्टी में किसी के भी खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं। वो पार्टी में नंबर वन हैं लेकिन अनेकों विवादित मामले होने के बावूजद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया के खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले रहे हैं। सिसोदिया पर कोई भी आरोप लगता है तो केजरीवाल से लेकर उनके नेता तक सिसोदिया के बचाव में उतर जाते हैं। यह दिखाता है कि मनीष सिसोदिया का कद अब आम आदमी पार्टी में अरविंद केजरीवाल के बराबर का हो गया है। ऐसे में आने वाले समय में स्थिति क्या होगी, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।

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