कांग्रेस और कांग्रेस शासित राज्यों में सनातन संस्कृति पर हमले अब प्रतिदिन का समाचार बन गया है। कभी पूजन, कभी मान्यताओं तो कभी ईश्वर तक प्रश्न चिन्ह लगाए जाते हैं। सनातनियों के धार्मिक कार्यक्रमों में टकराव से लेकर हिंसा होना आम बात हो गई है।
महाशिवरात्रि पर हिंसा
चाहे पश्चिम बंगाल हो या केरल, छत्तीसगढ़ हो या राजस्थान- अब नया मामला झारखंड से सामने आया है यहां के पलामू में महाशिवरात्रि के दौरान हिंसा का तांडव देखने को मिला।
हिंसा के आरोपियों पर कार्रवाई करने की जगह हेमंत सोरेन के पुलिस प्रशासन ने हिंदुओं को ही इस पूरे प्रकरण का सूत्रधार बता दिया। आदिवासियों का प्रतिनिधित्व करने का दंभ भरने वाले हेमंत सोरेन ने भगवान आदियोगी के ही कार्यक्रम में जो आलोचनात्मक रवैया अपनाया है यह अब उन पर ही भारी पड़ने वाला है।
दरअसल, महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर पलामू में तोरण द्वार लगाया गया था जिसे दूसरे पक्ष ने तोड़ दिया। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच विवाद हो गया। जब हिंदू पक्ष ने तोरण द्वार तोड़ने को लेकर विरोध किया तो आस-पास के दूसरे पक्ष के लोगों ने हिंसात्मक गतिवधियों को अंजाम देना शुरू कर दिया।
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इसके बाद वहां पर पत्थरबाजी शुरू हो गई। धर्मस्थल के बाहर कुछ दुकानों को आग लगा दी गई। आरोप है कि पेट्रोल बम भी फेंके गए लेकिन पुलिस इसे गलत बता रही है क्योंकि वह हिंसक पक्ष की हितैषी दिखना चाहती है।
1000 अज्ञात पर केस दर्ज
इस मामले में एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी मज़हब विशेष के लोगों को पीड़ित दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि पलामू में हेमंत सोरेन सरकार की पुलिस ने अन्याय किया जबकि हकीकत कुछ और ही है।
जानकारी के अनुसार पलामू में महाशिवरात्रि के दिन अल्पसंख्यकों द्वारा की गई इस हिंसा को लेकर 19 फरवरी रविवार तक इंटरनेट बंद रखने का आदेश जारी किया गया है। वहीं हिंसा को लेकर अब तक 13 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। जबकि 100 नामजद और 1000 अज्ञात पर केस दर्ज कर लिया गया है।
इसमें अहम बात यह है कि ज्यादातर पीड़ित पक्ष के लोगों को ही कार्रवाई के लिए आरोपी बना दिया गया है क्योंकि पुलिस प्रशासन उन पर शांति भंग करने का आरोप लगा रहा है। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के पूजन में उत्सव मनाना कब से अपराध हो गया और कब से भगवान शिव के पूजन और उत्सव की प्रक्रिया शांति भंग करने का कारण मान ली गई।
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सीधे तौर पर कहें तो पलामू हिंसा मामले में झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पूरी तरीके से हिंदू विरोधी दिख रही है। स्वयं को आदिवासियों का नेता और प्रतिनिधि बताने वाले हेमंत सोरेन को निश्चित ही इस बात का कोई ज्ञान ही नहीं है कि भगवान शिव का एक नाम आदियोगी भी है जिसके चलते आदिवासियों के बीच भी सर्वाधिक पूजनीय माने गए हैं। हेमंत सोरेन ठीक उसी मार्ग पर निकल चुके हैं जिस पर उद्धव ठाकरे चल रहे थे और उद्धव का विनाश कैसे हुआ है, यह चुनाव आयोग के फैसले में दिख गया है।
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