भारत के साथ ऊर्जा सहयोग को नए सिरे से प्रारंभ करना चाहता अमेरिका

भारत की लीथियम खोज के तुरंत बाद ही क्यों?

Just after India's Lithium discovery, Americans want energy cooperation with India

Source: TFI MEDIA

जब अमेरिका किसी के साथ किसी भी प्रकार की साझेदारी प्रारंभ करना चाहता है, तो विगत कुछ वर्षों के अनुभवों से इतना तो स्पष्ट है कि उसके पीछे इस देश का अपना कोई स्वार्थ तो अवश्य है। ये बात भारत से बेहतर कौन जान सकता है, जिसके साथ साझेदारी करने हेतु अमेरिका जल बिन मछली की भांति तड़प रहा है।

भारत महत्वपूर्ण भागीदार

इसी परिप्रेक्ष्य में अमेरिका ने एक नई घोषणा की है। हाल ही में उर्जा संसाधनों के लिए अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री जेफ्री आर पायट ने 16 और 17 फरवरी को दिल्ली में भारतीय वार्ताकारों के साथ बातचीत की। इस दौरान उन्होंने स्वच्छ ऊर्जा (क्लीन एनर्जी) क्षेत्र सहित 2008 के भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के ढांचे के तहत द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने के तरीकों पर प्रमुखता से चर्चा की थी।

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इस दौरान उन्होंने उन्होंने वैश्विक उर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत को अमेरिका के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण भागीदार बताया। पायट के अनुसार, “अमेरिका 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 500 गीगावाट ऊर्जा प्राप्त करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी ऊर्जा संक्रमण लक्ष्य (एनर्जी ट्रांजिशन गोल्स) का समर्थन करता है। हम इस पर फोकस कर रहे हैं कि भविष्य के असैन्य परमाणु सहयोग के लिए हम अवसर कैसे विकसित कर सकते हैं। यदि हम मुद्दों पर अटके हुए हैं तो हमें लायबिलिटी के सवालों के जरिए उन पर काम करना होगा।”

संयोग या मज़बूरी?

उन्होंने बिना ज्यादा जानकारी दिए कहा, “नागरिक परमाणु उद्योग (सिविल न्यूक्लियर इंडस्ट्री) का बिजनेस मॉडल बदल रहा है। अमेरिका में हमनें छोटे और हाशिए के रिएक्टरों के लिए एक बड़ा कमिटमेंट किया है, जो खासतौर पर भारतीय माहौल के लिए उपयुक्त हो सकते हैं”।

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अब कहने को यह बड़ा ही उच्च विचार है, परंतु आपको कुछ अटपटा नहीं लगता? कुछ ही दिनों पूर्व भारत ने जम्मू प्रांत के रियासी जिले में लिथियम का बहुत बड़ा भंडार पाया, जो भारत के वैकल्पिक ऊर्जा समेत कई आवश्यकताओं के लिए रामबाण इलाज समान है।

इसके ठीक कुछ दिनों बाद अमेरिका एक अति महत्वपूर्ण डील के लिए भारत का आभार जताता है और साथ ही गैर-सैन्य परमाणु डील के लिए हाथ भी आगे बढ़ाता है। क्या केवल संयोग है, या फिर एक सुनियोजित प्रयोग?

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