“पुलिस-प्रशासन तय नहीं कर सकते कि…” हाईकोर्ट ने ‘भगवा’ रंग विवाद को लेकर आईना दिखा दिया

केरल पुलिस के इस आदेश पर बवाल मचा था।

Kerala Temple-saffron flag

Source- TFI

Kerala Temple-Saffron Flag: सनातन धर्म में भगवा रंग का विशेष महत्व है। सनातन हिंदू मंदिरों से लेकर विभिन्न प्रकार की पूजन सजावटों और सांस्कृतिक प्रतिष्ठानों में भगवा रंग का प्रयोग किया जाता है। परंतु वामपंथियों और इस्लामिक कट्टरपंथियों को यह भगवा रंग कभी पसंद नहीं आता। कई लोगों की भगवा के प्रति घृणा भी खुलकर सामने आती रही है। जहां भाजपा और हिंदू विरोधी मानसिकता वाली सरकारें हैं वहां आए दिन सनातन से लेकर भगवा के अपमान की खबरें सामने आती रहती हैं। कुछ ऐसा ही हाल केरल का भी ही है।

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भगवा रंग को लेकर केरल पुलिस का आदेश

दरअसल, केरल पुलिस ने एक हिंदू विरोधी (Kerala Temple-Saffron Flag) आदेश पारित कर दिया जिस पर बवाल मच गया है। इस आदेश में कहा गया कि तिरुवनंतपुर, केरल के वेल्लयानी भद्रकाली मंदिर के अधिकारियों को भगवा रंग हटाना होगा। इस आदेश के पीछे वजह दी गई कि इससे कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है जो कि भगवा विरोधी सोच और विजयन सरकार को खुश करने की कोशिश माना जा रहा था।

केरल के इस खास मंदिर को भद्रकाली उत्सव के लिए सजाया गया था और यह भी परंपरा है कि पूजन में शामिल होने वाले सभी लोग भगवा ही पहनते हैं। इन सारे ही मुद्दों पर पुलिस को कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका पर कुछ अधिक ही आपत्ति थी। ऐसे में भगवा का यह विरोध विजयन सरकार की पुलिस को ही भारी पड़ गया।

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प्रशासन को लगी फटकार

पुलिस और जनता के बीच इस (Kerala Temple-Saffron Flag) टकराव को लेकर केरल हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा। केरल हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि पुलिस या प्रशासन इस बात पर जोर नहीं दे सकता है कि उत्सव के दौरान मंदिरों को किस रंग से सजाया जाए। कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (TDB) का कर्तव्य है कि वह त्योहार को रीति-रिवाजों और प्रथाओं के अनुसार आयोजित करें। केरल हाईकोर्ट ने कहा, “मंदिरों में दैनिक पूजा, समारोहों और त्योहारों के आयोजन में राजनीति की कोई भूमिका नहीं है। जिला प्रशासन या पुलिस इस बात पर जोर नहीं दे सकती है कि केवल ‘राजनीतिक रूप से तटस्थ’ रंगों का उपयोग मंदिर पर सजावट के लिए किया जाना चाहिए। जिला प्रशासन या पुलिस मंदिर के  रीति-रिवाजों और प्रथाओं के अनुसार कलियुट्टू उत्सव आयोजित करने में दखल नहीं दे सकती है।”

बता दें कि पुलिस प्रशासन के आदेशों को लेकर जनता सरकार पर भी भड़क गई थी। मंदिर के अधिकारियों ने इसे सत्तारूढ़ सीपीआई (एम) द्वारा हिंदू अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों को नष्ट करने की कोशिश बताया। गौरतलब है कि 70 दिनों तक चलने वाला भद्रकाली उत्सव मंगलवार 14 फरवरी से शुरू हो गया है।

केरल हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर राज्य की पिनराई विजयन सरकार को बड़ा झटका दिया है। बता दें कि केरल में हाईकोर्ट में आए हिंदू विरोधी फैसले लेने को लेकर विजयन सरकार कठघरे में रहती है लेकिन इस बार कोर्ट ने सरकार आईना दिखा दिया है।

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