क्रिया किसे कहते हैं : विशेषताएं एवं उदाहरण

Kriya Kise Kahate Hain

Kriya Kise Kahate Hain : क्रिया किसे कहते हैं : विशेषताएं एवं उदाहरण 

स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Kriya Kise Kahate Hain साथ ही इससे जुड़े विशेषताएं  एवं उदाहरण के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें

जब हम कोई कार्य करते हैं तो वह हिंदी व्याकरण के अनुसार क्रिया  कहलाती है । किसी क्रिया को करने के लिए हमें दो चीज़ों की आवश्यकता होती है कर्ता और कार्य / कर्म । जब भी कोई कार्य किया जाता है तो काम करने वाला कर्ता और किया गया काम कार्य /कर्म कहलाता है।

क्रिया की विशेषताएं  –

क्रिया के उदाहरण –

सकर्मक क्रिया –

जिस क्रिया का फल कर्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़े, उसे ‘सकर्मक क्रिया’ कहते हैं।

अतएव, यह आवश्यक है कि वाक्य की क्रिया अपने साथ कर्म लाये। यदि क्रिया अपने साथ कर्म नहीं लाती है तो वह अकर्मक ही कहलाएगी। नीचे लिखे वाक्यों को देखें:

प्रवर अनू पढ़ता है। (कर्म-विहीन क्रिया)

प्रवर अनू पुस्तक पढ़ता है। (कर्मयुक्त क्रिया)

प्रथम और द्वितीय दोनों वाक्यों में ‘पढ़ना’ क्रिया का प्रयोग हुआ है; परन्तु प्रथम वाक्य की क्रिया अपने साथ कर्म न लाने के कारण अकर्मक हुई, जबकि द्वितीय वाक्य की वही क्रिया अपने साथ कर्म लाने के कारण सकर्मक हुई।

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अकर्मक क्रिया –

वह क्रिया, जो अपने साथ कर्म नहीं लाये जिस क्रिया का फल या व्यापार कर्ता पर ही पड़े, व अकर्मक क्रिया कहलाती है। जैसे-

उल्लू दिनभर सोता है।

इस वाक्य में ‘सोना’ क्रिया का व्यापार उल्लू  जो कर्ता हैद्ध ही करता है और वही सोता भी है। इसलिए ‘सोना’ क्रिया अकर्मक हुई।

कुछ क्रियाएँ अकर्मक सकर्मक दोनों होती हैं।

उदाहरण-

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