भाजपा सावधान, नीतीश कुमार के नेतृत्व में दोबारा आ रहा है महागठबंधन

नीतीश कुमार ने विपक्ष को फॉर्मूला दे दिया है!

महागठबंधन

Source: India TV News

TFI पर आज हम आपको लेकर चलते हैं महागठबंधन के अति गुप्त विश्लेषण कक्ष में, जहां पर 10 जनपथ के आदेशों का अक्षरश: पालन किया जाता है, और पठान की नैतिक विजय से ओतप्रोत कांग्रेस और उसके बालक दल अब भाजपा जैसे “अभेद्य, अजेय शत्रु” का हराने की तैयारी कर रहे हैं।

महागठबंधन दोबारा आ रहा है…

किसी भ्रम में मत रहिए, इस बार “पीएम इन वेटिंग सिन्स 1977” यानि नीतीश कुमार और भारत के आठवें अजूबे की पार्टी कांग्रेस ने एक बहुत ही दमदार योजना बनाई है, जिसे स्वयं जॉर्ज सोरोस ने स्वीकृति दी है। इस योजना के लागू होते ही भाजपा “महागठबंधन” की आंधी में उड़ेगी नहीं, छूमंतर हो जाएगी!

पर प्लान क्या है? प्लान, बहुत ही सिम्पल ही बंधु। हमारे सुशासन बाबू ने अति लोकप्रिय भारत जोड़ो यात्रा की सूत्रधार कांग्रेस से अपील की है कि वे एकजुट हो जाएँ, ताकि भाजपा को हराया जा सके और नीतीश बाबू अपना वर्षों पुराना सपना पूरा कर सकें- गठबंधन सरकार का पीएम बनने का।

जब एचडी देवेगौड़ा कर सकते हैं, इन्द्र कुमार गुजराल कर सकते हैं, तो नीतीश कुमार क्यों नहीं? क्या हुआ जो लालू के लाल भी केंद्र में आना चाहते हैं, पीएम की कुर्सी पर पहला अधिकार बिहार की तरह सीएम नीतीश का ही है!

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इसी परिप्रेक्ष्य में नीतीश बाबू कहे हैं कि यदि सब एक साथ मिलकर महागठबंधन चुनाव लड़ेंगे तो भाजपा 100 सीटों पर सिमट जाएगी। नीतीश कुमार के इस बयान का कॉन्ग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने समर्थन किया है। वहीं, भाजपा ने कहा है कि जो बिहार में अकेले सरकार नहीं बना सकते वो लोकसभा में भाजपा को हराने की बात कर रहे हैं। पर इन भोले मनुष्यों के बारे में बाद में!

आप नीतीश बाबू को हल्के में लेने की भूल न करें। जो बिहार चुनाव में तीसरे नंबर पर रहकर भी सीएम की कुर्सी हथियार सकता है, जो व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी लोक कल्याण हेतु जातिगत जनगणना करा सकता है, वो भारत का प्रधानमंत्री कैसे नहीं बन सकता?

राहुल गांधी का क्या है, उन्होंने पीएम बनने के लिए नहीं, देश को जोड़ने के लिए “भारत जोड़ो यात्रा” की है। राजनीति से उनका क्या लेना देना? उन्हे वैसे ही अपने अंदर के राहुल गांधी को मार दिया था। क्या मतलब कि गुलमर्ग में जैकेट पहनकर पुनः जीवित हो गया?

महागठबंधन: नीतीश कुमार ने किया एकजुटता का आह्वान

अभी हाल ही में पटना में भाकपा माले के अधिवेशन में बोलते हुए नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता की वकालत की है। उन्होंने मंच पर मौजूद कॉन्ग्रेस नेता सलमान खुर्शीद से कहा है, “हम तो चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोग एकजुट हो जाएँ। आज आप आए हुए हैं तो आप के माध्यम से आपकी पार्टी के नेतृत्व को हम अनुरोध करेंगे कि जल्दी से जल्दी फैसला करें और हम लोगों को बुलाकर बात करें।”

इतना ही नहीं, उन्होंने ये भी कहा, “कॉन्ग्रेस नेतृत्व को फैसला करना चाहिए कि कहाँ-कहाँ और किसके-किसके साथ एकजुट होकर अगला चुनाव लड़ना है। ये फैसला जिस दिन हो जाएगा, उसी दिन हम सब लोग एकजुट हो जाएँगे और मिलकर लड़ेंगे।

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हम इंतजार कर रहे हैं। अगर मेरे सुझाव को मानेगें तो भाजपा 100 सीट के नीचे आ जाएगी। मेरी बात नहीं मानेंगे तो आप जानिए क्या होगा। इसलिए हम कह रहे हैं कि जल्दी से जल्दी फैसला कीजिए। अगर आप लोग इस बार ये सोच लेंगे तो पूरे देश के हित में अच्छा होगा और आपको भी फायदा होगा।”

ये तो केवल ट्रेलर है, नीतीश कुमार अपने लोकप्रिय “सुशासन मॉडल” का अनुभव पूरे देश को देना चाहते हैं। अखिलेश यादव कहाँ अपने चेलों से रामचरितमानस जलवाने के चक्कर में पड़े हैं, उन्हे नीतीश बाबू से सीखना चाहिए कि कैसे समान रूप से सभी जातियों को तंग करना चाहिए।

यहीं नहीं, रोजगार भी बिहार में खूब फल फूल रहा है। अब पुल चोरी करना, पटरी चोरी करना, बोगी चोरी, यहाँ तक कि मोबाइल टावर चुराना भी एक कला है, जिसमें सब सफल नहीं होते। नीतीश बाबू शायद यही सलाह उद्धव बाबू को भी देना चाहते थे, पर टाइम से न देने के चक्कर में उद्धव को सत्ता और संगठन दोनों गंवाना पड़ गया।

इसीलिए नीतीश कुमार के इस बयान का कॉन्ग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने समर्थन किया है। उन्होंने कहा है, “नीतीश कुमार ने इशारों में और स्पष्ट रूप से जो बातें कहीं हैं इस पर मैं इतना ही कहूँगा कि जो आप चाह रहे हैं वह कॉन्ग्रेस भी चाह रही है। लेकिन प्यार में एक समस्या होती है कि पहले आई लव यू कौन बोलेगा।”

वाह वाह, क्या बात है! अगर “पड़ोसन” वाले भोला प्रसाद के गुरु विद्यापति आज यहाँ होते, तो ये देखकर प्रफुल्लित हो उठते कि चलो, कोई तो है जो कलकतिया, बनारसी और लाहौरी की भांति उनके स्क्रिप्ट का कबाड़ा कर देता।

सलमान भाई इसीलिए यहाँ आए हैं, ताकि एक अटूट साझेदारी का निर्माण हो, जो मुरली विजय और के एल राहुल से भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सके, और विपक्ष को उतना ही सशक्त कर सके, जितना 2019 में हुआ था। अब तो उनकी राह में रोड़ा बनने वाले मणिशंकर अय्यर जैसे लोग भी नहीं है।

गिरिराज सिंह का पलटवार

नीतीश कुमार के इस बयान के बाद भाजपा के खेमे में त्राहिमाम मचा हुआ है। आनन फानन में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ट्वीट कर कहा है, “जो बिहार में उधार के तेल से ख़ुद के दीये को रोशन कर रहे है, वो क्या भारत को नया दिन दिखाएँगे।

17 साल बिहार का विकास नहीं हुआ और नीतीश जी एक महीने से समाधान ढूँढ रहे हैं। इनके शासन से राज्य उबर नहीं पाया है और प्रधानमंत्री के लिए एकजुटता की तलाश कर रहे है।”

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परंतु इनका भय भी स्वाभाविक है, विगत कुछ माह में नीतीश कुमार की पार्टी इतनी सशक्त हो चुकी है, इतनी सशक्त हो चुकी है, जितनी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी नहीं हो पाई। नीतीश बाबू ने अपनी पार्टी को इतना मजबूत बना लिया है, कि वे सदैव तेजस्वी और तेज प्रताप की सुनते हैं, और इनकी लगभग आधी पार्टी साफ हो चुकी है।

मूर्ख हैं प्रशांत किशोर जैसे लोग, जो बेहतर भविष्य के पीछे पार्टी छोड़ दिए, आपको देखना चाहिए कि कैसे “सुशासन बाबू” के नेतृत्व में JDU नगरपालिका चुनावों में भी अपने से ऊपर आरजेडी को प्राथमिकता देती है। ऐसा त्याग और समर्पण कहीं देखा है आपने!

खैर, जैसे पठान ने दर्शकों, क्षमा करें, विरोधियों के मुंह पर ताला जड़ दिया है, ठीक वैसे ही अपने “सुशासन बाबू” भाजपा समेत अन्य दलों को दर्पण दिखाने के लिए जमकर मेहनत करने में जुट गए हैं।

चंद्रबाबू नायडू, यशवंत सिन्हा, अरविन्द केजरीवाल जैसे लोग तो बालक हैं, अब नीतीश बाबू बताएंगे कि लोकसभा चुनाव कैसे लड़ा जा सकता है और कैसे देश में समाजवाद को पुनः स्थापित किया जाता है और हम आशा करते हैं कि कांग्रेस महागठबंधन का वैसे ही साथ देगी, जैसे 2017 में अखिलेश यादव का दिया था.

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