मलिकाप्पुरम: एक ऐसा रत्न जिसके बारे में अधिक चर्चाएं नहीं हो रही

'कांतारा' की भांति ये फिल्म भी सनातन संस्कृति के एक अनछुए भाग को दर्शाती है!

Malikappuram: The cult classic movie nobody is talking about

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Malikappuram movie: पठान के शोर में एक नन्हीं सी कलाकृति की किलकारी कहीं दबकर रह गई है। ये कांतारा जितनी ही अलौकिक है और उसी की भांति सनातन संस्कृति के एक अनछुए भाग को दर्शाती है। इतना ही, कांतारा की भांति ये अप्रत्याशित रूप से सफल भी हुई, परंतु इसके बारे में किसी मेनस्ट्रीम मीडिया पोर्टल ने उल्लेख भी नहीं किया, प्रशंसा तो बहुत दूर की बात रही। इस लेख में हम बात करेंगे “मलिकाप्पुरम” (Malikappuram) के बारे में जो सबरीमाला की मूल संस्कृति का आदर करती है परंतु जिसकी चर्चा भी करना “पठान” प्रेमी मीडिया ने उचित नहीं समझा। तो अविलंब आरंभ करते हैं।

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Malikappuram: छोटे बजट की शानदार फिल्म

“मलिकाप्पुरम” (Malikappuram) है क्या? ये मलयाली संस्कृति में ओतप्रोत एक अलौकिक चलचित्र, जो स्वामी अयप्पा के पवित्र धाम सबरीमाला से जुड़ी एक कथा सुनाता है। कल्याणी अथवा कल्लू एक 8 वर्षीय बालिका है, जो सबरीमाला जाने को उत्सुक है। उसके साथ उसका सहपाठी पीयूष भी निकल पड़ता है। क्या कल्याणी को अपने प्रिय स्वामीजी के दर्शन होते हैं। इसमें क्या-क्या बाधाएं आती है “मलिकाप्पुरम” इसी पर केंद्रित है!

केरल जहां सनातन धर्म की महिमा का गुणगान तो दूर है उसका उल्लेख भी पाप है वहां पर ऐसी फिल्म प्रदर्शित भी होती है और ब्लॉकबस्टर भी। इस फिल्म पर मानो स्वामी अयप्पा की कृपा है। उनकी अनूठी संस्कृति का पूर्ण सम्मान इस फिल्म में किया गया है। ये जानकर भी आपको अचंभा होगा कि इस फिल्म का मूल बजट मात्र 3.5 करोड़ रुपये था।

30 दिसंबर को प्रदर्शित Malikappuram फिल्म जब मैंने देखी, तो सर्वप्रथम प्रश्न यही उठा कि क्या सच में ये इतने कम बजट में बनी है? इसका गीत, इसके विचार इन सबको देखकर लगा कितनी भव्य फिल्म है। एक ओर जहां कई बड़ी बजट की बॉलीवुड फ़िल्म भारतीयता के नाम पर लगभग 100 करोड़ रुपये पानी की तरह बहा देती है, वहीं ऐसी फिल्में हमें बताती है: एक भारत ऐसा भी है।

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वामपंथियों ने ‘मेप्पडियन’ फिल्म को बनाया था निशाना

परंतु हम भूल रहे हैं कि Malikappuram फिल्म के प्रमुख कलाकारों में से एक उन्नी मुकुंदन भी हैं, जो आज भी मलयाली फिल्म उद्योग में सनातन संस्कृति को विद्यमान रखे हैं। पिछले ही वर्ष  प्रदर्शित मलयाली फिल्म ‘मेप्पडियन’ की आलोचना में वामपंथी बिरादरी ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। मेप्पडियन एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बात करती है, जो समाजसेवा में विश्वास रखता है परंतु ऐसा भी क्या है इस फिल्म में जिसके पीछे इस फिल्म को वामपंथियों के उलाहने सुनने को मिल रहे थे?

इसका कारण बताते हुए Indu Makkal Katchi नामक ट्विटर यूजर ने बताया- “उन्नी मुकुन्दन अभिनीत ‘मेप्पडियन’ को अब्रहमिक/ कौमी बिरादरी द्वारा इसलिए आलोचना के घेरे में लाया जा रहा है, क्योंकि इसके एक दृश्य में एम्बुलेंस सेवा भारती को दिखाया जाता है, जोकि RSS से संबंधित एनजीओ हैl इसका मुख्य अभिनेता एक धर्मनिष्ठ हिन्दू है और किसी भी दृश्य में सनातनियों और उनकी संस्कृति का अपमान नहीं किया गया है। खलनायक हिन्दू नहीं है। यह एक ऐसी फिल्म है, जिस पर सब गर्व कर सकें!”

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स्वयं उन्नी मुकुन्दन ने इस संबंध में वार्तालाप करते हुए बताया कि उन्हें नहीं समझ में आता कि आखिर किस बात की आपत्ति लोगों को ‘सेवा भारती’ से हो सकती है। उन्नी के अनुसार, “यह संगठन सेवा के लिए प्रसिद्ध है, और उनके एम्बुलेंस का उपयोग हमने अपनी फिल्म के लिए किया। हर चीज़ को राजनीति से जोड़ना नहीं चाहिए।” उन्होंने आगे ये भी कहा कि अगर किसी को उनके भगवान हनुमान जी की मूर्ति के साथ फोटो खिंचवाने से आपत्ति है तो हुआ करे, वो उनके आराध्य हैं और वो उन्हें शक्ति प्रदान करते हैंl

उन्नी मुकुंदन गलत भी नहीं है। जहां बॉलीवुड में अभी भी कुछ बालक ऐसे हैं, जिन्हें लगता है कि “पठान” जैसी फिल्में ही जनता को प्रिय लगती है, उनके मुख पर पिछले वर्ष एक के बाद एक कई चांटे पड़े हैं।

उदहारणत ‘मेप्पडियन’ हो, या फिर “कांतारा”, लोगों को वही फिल्म भा रही है, जो ज़मीन से जुड़ी हो और निरंतर सनातन संस्कृति का अपमान न करें। यदि आपने “मलिकाप्पुरम” (Malikappuram) नहीं देखी है, तो अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं , Hotstar पर ये फिल्म विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध है! आप वहां जाकर इसे देख सकते हैं।

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https://www.youtube.com/watch?v=ArfQefqoHgY

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