Bhiwani case: “मोनू मानेसर के घटनास्थल पर होने के सबूत नहीं”, गहलोत के पुलिस अधिकारी ने स्टिंग ऑपरेशन में सत्य उगल दिया

गोरक्षकों को जानबूझकर फंसाया गया?

Bhiwani case

Source: India Today

Bhiwani case: हरियाणा के भिवानी (Bhiwani case) में कार के अंदर जली मिली दो लोगों की लाश के मुद्दे पर राजस्थान पुलिस कुछ ज्यादा ही आक्रामक दिख रही थी। पुलिस को जैसे ही इस घटना की सूचना मिली, वैसे ही इस मामले में गौरक्षकों पर आरोप मढ़ दिए गए।

अब जब खुलासे हो रहे हैं तो राजस्थान की गहलोत सरकार की पुलिस पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर उन्होंने इतना ढुलमुल रवैया कैसे अपनाया। वहीं यह भी सामने आया है कि जो लोग इस मामले में शामिल तक नहीं थे उन्हें भी आरोपी बना दिया गया है और यह सारे खुलासे राजस्थान के भरतपुर इलाके के पुलिस अधिकारी के स्टिंग ऑपरेशन में ही हो गए हैं।

Bhiwani case: न्यूज़ चैनल ने किया स्टिंग ऑपरेशन

दरअसल, भरतपुर के गोपाल गढ़ इलाके में तैनात एसएचओ राम नरेश का एक न्यूज़ चैनल ने स्टिंग ऑपरेशन किया था लेकिन राजस्थान पुलिस इस मुद्दे पर चर्चा तक नहीं करना चाहती है। एसएचओ ने बताया कि जिसने भी हत्या को अंजाम दिया है, उसने सभी तरह के सबूत मिटाने के लिए कार में आग लगाई है।

राम नरेश के मुताबिक जैसे ही यह पता चला था कि नासिर और जुनैद घर से निकले हैं, तैसे ही उन्हें सूचना मिल गई थी और बोलेरो का नंबर भी उनके मोबाइल पर आ गया था। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जब पुलिस को यह सारी बातें पता थीं तो कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

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राम नरेश ने बताया कि मृतक जुनैद एक बड़ा गैंगस्टर और गौतस्कर थे। उसे पुराना बदमाश माना जाता था और पुलिस भी उससे परेशान हो गई थी। Bhiwani case स्टिंग ऑपरेशन में सामने आया कि जुनैद एक शातिर गौतस्कर था जिसके चलते उससे काफी लोग परेशान थे।

एसएचओ ने इस घटना के लिए 5 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने की बात कही है लेकिन उन्होंने बताया कि मोनू मानेसर के घटनास्थल पर होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं। हालांकि राम नरेश मोनू राणा नाम के शख्स का जिक्र करते दिख रहे हैं।

Bhiwani case: गहलोत सरकार पर सवाल

अब सवाल खड़े हो रहे हैं कि अगर मोनू मानेसर का कहीं उल्लेख ही नहीं है तो फिर मानू को मुख्य आरोपी किस आधार पर बनाया जा रहा है और उसके खिलाफ राजस्थान पुलिस एक्शन की तैयारी किस आधार पर कर रही है।

भले ही यह कांड हरियाणा के भिवानी में हुआ हो लेकिन इस पूरे कांड में राजस्थान पुलिस बुरी तरह फंस गई है। एक शातिर अपराधी और गौतस्कर भरतपुर में मजे से रह रहा था और उस पर कभी कोई एक्शन नहीं लिया गया, क्या इसके पीछे गहलोत सरकार और उनकी पुलिस की तुष्टीकरण की नीति नहीं थी?

जब पुलिस को पता चल गया था तो वे उसी समय घटना को रोकने के लिए क्यों नहीं निकले जो यह सवाल उठाता है कि क्या इस केस की आड़ में गहलोत सरकार हिंदुओं को आरोपी बनाने का प्लान पहले से तैयार कर चुकी थी?

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राजस्थान पुलिस पहले ही Bhiwani case में कथित आरोपी श्रीकांत के घर में जाकर गुंडागर्दी कर चुकी है और श्रीकांत की गर्भवती पत्नी के साथ मारपीट कर राजस्थान पुलिस ने उसके नवजात बच्चे को गर्भ में ही मार डाला।

इस मामले में हरियाणा पुलिस ने केस दर्ज करते हुए श्रीकांत के घऱ पहुंचे पुलिस अधिकारियों को आरोपी बनाया है। वहीं अब गोपालगढ़ के एसएचओ द्वारा स्टिंग ऑपरेशन में जो खुलासे किए गए हैं उससे राजस्थान पुलिस की नीयत पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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