“वोडा-आइडिया का रिमोट कंट्रोल सरकार के पास”, इसके पीछे सरकार की बड़ी रणनीति है

समझिए क्यों सरकार ने वोडा-आइडिया में पैसा झोंक दिया!

Voda Idea modi government

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बड़ी कंपनियां, छोटी कंपनियों को खा जाती है। उन्हें या तो अपने साथ ले लेती हैं या उन्हें बर्बाद कर देती हैं या उनकी हालत ऐसी कर देती हैं कि वह चाह भी कुछ न कर पाए। इसके अलावा बड़ी कंपनियां बाजार में अपना वर्चस्व ऐसे कायम कर लेती हैं कि छोटी कंपनियों के लिए विकल्प ही बंद हो जाते हैं या सीमित हो जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में टेलीकॉम क्षेत्र में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल है और वोडाफोन एवं आइडिया का विलय एवं उसकी हालत से आप भली भांति परिचित होंगे। इन्हीं सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए टेलीकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने का निर्णय लिया है।

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सरकार के कंट्रोल में कंपनी

वोडाफोन और आइडिया के विलय से आपलोग परिचित होंगे। पर कम ही लोग इस बात से परिचित हैं कि वोडाफोन को ऐसा क्यों करना पड़ा? कारण स्पष्ट था, लगातार हो रहा घाटा और मार्केट में कमजोर होती पकड़। हालांकि, अभी भी कंपनी की हालत कुछ ठीक नहीं है। इसी बीच केंद्र सरकार ने वोडाफोन-आइडिया को बड़ी राहत देते हुए 16,133 करोड़ रुपये से अधिक के बकाये ब्याज को इक्विटी में बदलने की मंजूरी दी है। जिसका अर्थ स्पष्ट है कि अब भारत सरकार इस कंपनी की सबसे बड़ी शेयरधारक बन चुकी है।

लेकिन यह यूं ही नहीं हुआ, इसके पीछे एक विशेष शर्त है, जिसके बारे में टेलीकॉम मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभालने वाले अश्विनी वैष्णव ने इसकी जानकारी दी है। असल में दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक महत्वपूर्ण सम्मेलन में शुक्रवार को कहा, “वोडाफोन आइडिया के ब्याज बकाया को हिस्सेदारी (इक्विटी) में बदलने का फैसला सरकार ने आदित्य बिड़ला समूह से कंपनी चलाने और जरूरी निवेश लाने की निश्चित प्रतिबद्धता मिलने के बाद किया है।” इस फैसले के बाद घाटे में चल रही वोडाफोन-आइडिया में सरकार की हिस्सेदारी करीब 33 प्रतिशत हो जाएगी। ज्ञात हो कि इस कंपनी पर लगभग 2 लाख करोड़ रुपये की देनदारी है।

परंतु बात यहीं तक सीमित नहीं है। असल में सरकार को टेलीकॉम क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा चाहिए, जिसके बारे में विस्तार से बताते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा, “हमारी सरकार भारतीय दूरसंचार बाजार में BSNL के अलावा तीन कंपनियों की मौजूदगी चाहती है ताकि उपभोक्ताओं को इनकी स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का लाभ मिल सके। सरकार ने वोडाफोन आइडिया को बकाया देनदारी से राहत, सितंबर 2021 में घोषित दूरसंचार राहत पैकेज के तहत दी है।”

कंपनी के पास 24.3 करोड़ मोबाइल ग्राहक

ध्यान देने योग्य है कि मौजूदा समय में टेलीकॉम क्षेत्र में एक ही कंपनी का वर्चस्व दिखाई पड़ता है और वह है रिलायंस के स्वामित्व वाला जियो टेलीकॉम। तो क्या यह निर्णय जियो के वर्चस्व को कम करने के लिए है? बिल्कुल नहीं, क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा अपनी बात में BSNL को सम्मिलित करने से संकेत स्पष्ट है कि प्रतिस्पर्धा वन साइडेड नहीं होनी चाहिए।

तो इससे Vi यानि वोडाफोन-आइडिया को कैसे लाभ होगा? असल में वोडाफोन और आइडिया के एक इकाई में विलय के बाद बनी नई कंपनी देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम ऑपरेटर थी और इसके पास 2018 में 35 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ 43 करोड़ मोबाइल ग्राहक थे। परंतु आज स्थिति यह है कि यह कर्ज में डूबकर तीसरे स्थान पर पहुंच गई है। इस समय कंपनी के पास 24.3 करोड़ मोबाइल ग्राहक हैं और इसके ब्याज को इक्विटी में परिवर्तित कर केंद्र सरकार ने एक प्रकार से वोडाफोन-आइडिया को न केवल जीवनदान दिया है, अपितु टेलीकॉम क्षेत्र को विविधता से परिपूर्ण रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी उठाया है।

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