राम मंदिर निर्माण का कार्य अयोध्या में जोर-शोर से जारी है। हर भक्त भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर का कार्य पूरा होने का उत्सुकता के साथ इंतेजार कर रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तो ऐलान कर दिया है कि एक जनवरी 2024 को राम मंदिर का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा। खास बात ये है कि मंदिर में जो भगवान राम की मूर्तियां लगाई जाएंगी वे सभी शालिग्राम शिला की होंगी। इतना ही नहीं, इन मूर्तियों को आकार देने की जिम्मेदारी शिल्पकार राम वनजी सुतार को दी गई है। वे देश में अनेकों मूर्तियां बना चुके हैं। तो चलिए आज आपको बताते हैं कि आखिर ये शालिग्राम शिला क्यों अहम हैं और कौन हैं राम वनजी सुतार जो कि राम मंदिर की प्रमुख मूर्तियों बनाएंगें?
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अयोध्या पहुंची शिलाएं
नेपाल के जनकपुर से 40 टन वजनी शालिग्राम की दो शिलाएं सात दिनों का सफर करने के पश्चात बुधवार रात को अयोध्या पहुंचीं। इन्हीं शिलाओं से भगवान राम और माता सीता की भव्य मूर्तियां बनाई जाएंगी। इस दौरान भक्तों की भारी भीड़ ने शिलाओं का जोरदार स्वागत किया। अब अहम यह है कि इस शिला से भगवान राम की मूर्ति बनाने का काम देश के सुप्रसिद्ध शिल्पकार राम वनजी सुतार करने वाले हैं और वो देश के सबसे कुशल मूर्ति शिल्पकार के तौर पर जाने जाते हैं।
राम वनजी सुतारकौन हैं?
दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी है जो भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति हैं। इस मूर्ति को बनाने वाले भी कोई और नहीं विश्व प्रसिद्ध शिल्पकार राम वनजी सुतार ही हैं। उनकी उम्र करीब 98 साल है। इनका जन्म 19 फरवरी 1925 को महाराष्ट्र के धूलिया जिले के गोंडूर गांव में हुआ है। कला के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा इन्होंने श्रीराकृष्ण जोशी से ली थी। राम वनजी सुतार ने तत्कालीन बॉम्बे (अब मुंबई) के जेजे स्कूल ऑफ आर्ट में एडमिशन लिया। इसके बाद वर्ष 1959 में वह दिल्ली आए और भारत सरकार के सूचना-प्रसारण मंत्रालय में काम करने लगे।
वर्ष 1990 से नोएडा में बस गए थे। 2006 में उन्होंने साहिबाबाद में अपनी कास्टिंग फैक्ट्री स्थापित की थी। शुरू में राम वनजी सुतार को महात्मा गांधी से काफी प्रभावित थे। एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि स्कूल के समय में ही उन्होंने सबसे पहले महात्मा गांधी का एक मुस्कुराता हुआ चित्र बनाया था जो काफी आकर्षक थी। इन्होंने भारतीय ऐतिहासिक धरोहरों को पुनर्स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्ष 1954 से 1958 के बीच उन्होंने अजंता और एलोरा की गुफाओं की कई पुरानी नक्काशियों को फिर से स्थापित करने में योगदान दिया। पत्थर की एक ही चट्टान से उन्होंने मध्य प्रदेश में चंबल स्मारक को शानदार तरीके से तराशा है। भाखड़ा-नांगल बांध बनाने वाले मजदूरों को सम्मानित करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 50 फुट के लेबर स्टैच्यू के शिल्प का काम सुतार को दिया था। यह प्रतिमा 16 जनवरी 1959 को स्थापित की गई, जो आज भी मई दिवस की प्रतिनिधि तस्वीर मानी जाती है। राम वनजी सुतार ने भारत में राजनेताओं से लेकर ऐतिहासिक नायकों तक की इतनी मूर्तियों को बनाने में योगदान दिया है।
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UNSC मुख्यालय में लगी महात्मा गांधी की प्रतिमा इन्होंने बनाई
दिल्ली की 10 फीट लंबी गोविंद वल्लभपंत की कांस्य प्रतिमा से लेकर बिहार में कर्पूरी ठाकुर, अनुग्रह नारायण सिन्हा की मूर्ति समेत अनेकों मूर्तियों को इन्होंने आकार दिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मुख्यालय पर पिछले वर्ष महात्मा गांधी की एक प्रतिमा स्थापित की गई थी। इस प्रतिमा का शिल्प भी किसी और ने नहीं बल्कि राम वनजी सुतार ने ही किया था। महात्मा गांधी की यह पहली मूर्ति है, जिसे यूएन मुख्यालय में स्थापित किया गया। इसके अतिरिक्त अयोध्या में लता मंगेशकर को समर्पित चौक पर लगी वीणा की विशाल प्रतिमा भी सुतार ने ही तैयार की है।
इन कार्यों के चलते यदि इन्हें आज का विश्वकर्मा कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। भगवान विश्वकर्मा को देवों के शिल्पकार, वास्तुकला का ज्ञाता और संसार का पहला इंजीनियर माना जाता है। कहा जाता है कि शिव के निर्देश पर सोने की लंका को बनाने में उनका ही हाथ है। ठीक इसी प्रकार भगवान शिव से लेकर अब भगवान राम तक की भव्य मूर्तियों को आकार देने में राम वनजी सुतार का योगदान ऐतिहासिक हो गया है।
कई अन्य मूर्तियों पर भी कर रहे हैं कार्य
वर्तमान समय में सुताप कई बेहतरीन प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। बहुप्रतीक्षित राम मंदिर में भगवान राम की प्रतिमा का शिल्प तैयार तो वो करेंगे ही। इसके साथ ही अयोध्या में बनने वाली दुनिया की सबसे ऊंची भगवान राम की मूर्ति को भी बनाने में वह अपने बेटे अनिल सुतार के साथ लगे हैं। इसके अलावा मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज की 212 मीटर ऊंची और बाबा साहेब की 137.2 मीटर ऊंची प्रतिमा को बनाने में भी वह अपना योगदान दे रहे हैं। वहीं, कर्नाटक में भगवान शिव की 46.6 मीटर ऊंची मूर्ति को भी सुतार ही तैयार कर रहे हैं।
राम वनजी सुतार को उनकी प्रतिभा के लिए वर्ष 1999 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने पद्मश्री से अलंकृत किया था। इसके अतिरिक्त उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार और टैगोर कल्चरल अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। बॉम्बे आर्ट्स सोसाइटी की ओर से इन्हें 3 पुरस्कारों से सम्मानित किया गया हैं। इसके अलावा साहित्य कला परिषद नई दिल्ली की ओर से भी उन्हें पुरस्कार और सम्मान प्राप्त कर चुके हैं।
अब देखा जाये तो जिसके नाम में ही राम हो, उसका जीवन भक्तिमय होना तो स्वाभाविक सी बात है। भगवान शिव से लेकर भगवान राम की मूर्ति का निर्माण करना स्वयं में दिखाता है कि वह सकारात्मक ऊर्जा से किस तरह ओत प्रोत हैं। यह निश्चित हैं कि अयोध्या में भगवान राम की इस मूर्ति का अलौकिक निर्माण करके रामजी वनजी सुतार हमेशा के लिए अजर और अमर होने वाले हैं और यह उनके लिए उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
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