रूसी राष्ट्रपति पुतिन और NSA अजीत डोभाल के बीच हुई बातचीत का क्या अर्थ हैं? समझिए

समय के साथ और अधिक सशक्त हो रहा है भारत

The New Axis of Influence: Here's Trying to Understand Putin and Doval's dialogue

Source- TFI

Putin Doval meeting: भारत वैश्विक स्तर पर आगे की ओर तीव्र गति से बढ़ता जा रहा है- चाहे बात आर्थिक क्षेत्र की हो या फिर रक्षा क्षेत्र की। यही कारण है कि आज विश्व के कई देश भारत के साथ हाथ मिलाना चाहते हैं। अब हाल ही में एनएसए अजीत डोभाल के मैराथन दौरे को ही देख लीजिए। जहां पहले एनएसए अजीत डोभाल ने अमेरिका और ब्रिटेन का दौरा किया और फिर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ उनकी विशेष भेंट हुई। पुतिन और एनएसए अजीत डोभाल के बीच यह भेंट रूस की राजधानी मॉस्को में हुई। इस लेख में इसी Putin Doval meeting का अर्थ जानेंगे।

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भारत-रूस संबंध

कुछ समय पहले तक रूस और भारत के बीच के संबंधों की चर्चा हर ओर होती रही है। भारत और रूस के बीच हुई रक्षा साझेदारी, जैसे कि उन्नत हथियारों की आपूर्ति, सैन्य तकनीकी सहयोग और हथियारों के संयुक्त विकास, इन कदमों ने दोनों देशों को बहुत निकट ला दिया है। भारत के सैन्य आधुनिकीकरण में रूस ने निस्संदेह एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेकिन अब रक्षा क्षेत्र में रूस का एकक्षत्र राज नहीं रहा है क्योंकि नरेंद्र मोदी सरकार भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में लगातार कदम उठा रही है। इसके लिए सरकार अपने ‘मेक इन इंडिया’ को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने पर जोर दे रही है। वहीं भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। ऐसे में भारत महत्वपूर्ण रक्षा प्रणालियों और सामरिक हथियारों के लिए दूसरे देशों पर अधिक निर्भर नहीं रह सकता है। ये तो रहा एक पहलू।

दूसरे पहलू पर ध्यान दें तो रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध से वैश्विक हथियार उद्योग को लेकर होड़ बढ़ गई है। इस बदलते वैश्विक राजनीतिक परिस्थिति में भारत भी रक्षा उद्योग के संबंध में पीछे नहीं रहना चाहता है। रूस यूक्रेन युद्ध के कारण एक दुविधा अवश्य खड़ी हुई थी कि इस युद्ध में भारत, अमेरिका या रूस दोनों में से किसके तरफ स्वयं को रखे। ऐसे में भारत निष्पक्षता दिखाते हुए रूस के साथ सौहार्दपूर्ण संबंधों को आगे बढ़ाता रहा है। हालांकि भारत रूस से पश्चिमी देशों के दबाव के बाद भी तेल की खरीद को जारी रखा।

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डोभाल-पुतिन की भेंट

जहां अब एनएसए अजीत डोभाल और रूसी राष्ट्रपति व्लादमिर पुतिन के बीच हुई यह भेंट (Putin Doval meeting) कई अर्थों में विशेष है। बताया ये भी जा रहा है कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ आमने-सामने की बैठक के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सभी प्रतिनिधियों और अधिकारियों से कमरा खाली करवा लिया था। बताया गया कि पुतिन और डोभाल के बीच लगभग 55 मिनट तक बातचीत हुई। रूसी राष्ट्रपति पुतिन और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बीच आमने-सामने की बैठक के महत्व को पर्याप्त रूप से रेखांकित करती है। किसी राष्ट्राध्यक्ष के लिए राजनयिक या सुरक्षा अधिकारी के साथ इस तरह बंद कमरे में लंबी गहन चर्चा अपने आप में कई कूटनीतिक कयासों को जन्म देती है।

अपनी दो दिवसीय मास्को यात्रा के दौरान, एनएसए डोभाल ने सुरक्षा परिषदों के सचिवों या एनएसए की पांचवीं बहुपक्षीय बैठक में भी भाग लिया। बैठक अफगानिस्तान मुद्दे पर थी और इसकी आतिथ्य रूस ने की थी।

अपने संबोधन के माध्यम से एनएसए डोभाल ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर उसे स्पष्ट चेतावनी दी। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी भी देश को आतंकवाद के निर्यात के लिए अफगान क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत आवश्यकता पड़ने पर अफगानिस्तान के लोगों को कभी अकेला नहीं छोड़ेगा। भारतीय और रूसी प्रतिनिधियों के साथ, बहुपक्षीय बैठक में ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, चीन, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

एनएसए अजीत डोभाल और राष्ट्रपति पुतिन की भेंट (Putin Doval meeting) के संदर्भ में मॉस्को में भारतीय दूतावास ने एक ट्वीट करते हुए कहा कि एनएसए अजीत डोभाल ने महामहिम राष्ट्रपति पुतिन से भेंट की। इस दौरान द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई। भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी को लागू करने की दिशा में काम जारी रखने पर सहमत हुए।

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अमेरिका दौरे पर भी गए थे डोभाल

देखने वाली बात ये है कि भारत रूसी हथियारों और रक्षा प्रणाली का दुनिया का सबसे बड़ा खरीददार है। भारतीय वायुसेना, नौसेना और थल सेना के लगभग 85 प्रतिशत हथियार रूसी हैं। कई बार अमेरिका ने भारत को हथियार बेचने का प्रयास किया है लेकिन उनकी सफलता सीमित रही है।
हाल ही में अजीत डोभाल अमेरिका के दौरे पर गए थे जहां इस दौरान भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच आपसी समन्वय और रक्षा सहयोग बढ़ाने पर भी बातचीत की गई थी। इस दौरान भारत और अमेरिका के बीच iCET डील हुई थी। इसके लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भेंट हुई। डोभाल इस डील के लिए ही 30 जनवरी को वॉशिंगटन पहुंचे थे। इस डील को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का भी कहना था कि इस डील के माध्यम से दोनों देश चीन के सेमीकंडक्टर्स, मिलिट्री इक्विपमेंट्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सामना कर सकेंगे। वहीं अजीत डोभाल के इस दौरे को लेकर व्हाइट हाउस ने कहा कि- हम आपसी विश्वास और भरोसे पर आधारित एक ओपन, एक्सेसबल और सिक्योर टेक्नोलॉजी ईकोसिस्टम को बढ़ावा देना चाहते हैं। ये हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों और लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करेगा।

वैश्विक रूप से भारत की शक्ति से बाकी के देश तब भी और निकटता से परिचित होंगे जब भारत G20 और SCO बहुराष्ट्रीय की अध्यक्षता की भूमिका निभाएगा। जिस कारण रूस को उम्मीद है कि भारत एक मित्र राष्ट्र होने के नाते रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित करने और युद्ध को समाप्त करने में मदद करेगा। उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया के बाली में हाल ही में संपन्न हुई जी20 बैठकों में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारत के अथक प्रयासों का कारण था कि पश्चिमी देश रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस को घेर नहीं सके। रूस समझता है कि भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जिसका इस युद्ध में दोनों देशों के साथ समान भाव रखता है।

सारगर्भित बात करें तो एनएसए अजीत डोभाल की राष्ट्पति पुतिन के साथ हुई यह भेंट (Putin Doval meeting) कई कारणों से विशेष रही क्योंकि एनएसए अजीत डोभाल जी-20 के विदेश मंत्रियों की दिल्ली में कुछ सप्ताह बाद होने वाली बैठक से पहले रूस गए हैं। दूसरी बात ये कि वर्तमान समय में रक्षा उपकरणों के संबंध में भारत की रूस पर से निर्भरता कम हुई है। रूस चाहता है कि रक्षा उपकरणों को लेकर भारत की निर्भरता रूस पर पहले की तरह ही बनी रहे लेकिन भारत अब आत्मनिर्भरता पथ पर तीव्र गति से चल पड़ा है और आज उसके सामने कई विकल्प हैं।

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