अभिजीत भट्टाचार्य: जिनका करियर म्यूजिक माफिया लील गया

एक समय ऐसा था जब शाहरुख खान की आवाज अभिजीत भट्टाचार्य हुआ करते थे। परंतु फिर भाग्य ने ऐसा खेल खेला कि आज वह आवाज गुमनामी के अंधेरे में कहीं खो गई है।

The Unforgotten Voice of Abhijeet Bhattacharya whose career destroyed by Bollywood Music Mafia

Source- TFI

भारतीय फिल्म उद्योग में हर स्टार की एक आवाज़ निश्चित है, अर्थात हर प्रसिद्ध अभिनेता को पर्दे पर एक गायक की आवाज़ प्रभावशाली बनाती है। जैसे राज कपूर के लिए मुकेश, दिलीप कुमार के लिए मोहम्मद रफी, मनोज कुमार के लिए महेंद्र कपूर, वैसे ही एक ऐसी भी आवाज़ थे, जिन्होंने शाहरुख खान को शिखर पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, परंतु भाग्य ने ऐसा खेल खेला कि वह आज आवाज गुमनामी के अंधेरे में कहीं खो सी गई है। इस लेख में हम जानेंगे अभिजीत भट्टाचार्य के बारे में जो अपने आप में एक गुणवान गायक थे, परंतु जिनका करियर म्यूजिक माफिया एवं बॉलीवुड का संयुक्त गठजोड़ लील गया।

और पढ़ें: Cringe Consumers भी हैं टी सीरीज के खराब कंटेंट के दोषी

भाग्य आजमाने मुंबई आ गये

हाल ही में आप सबने अक्षय कुमार की बहुचर्चित फिल्म “सेल्फ़ी” के कुछ क्लिप्स और ट्रेलर तो अवश्य देखे होंगे। यदि हां, तो आपने एक बहुचर्चित गीत “मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी” गीत के भी कुछ छंद भी सुने होंगे। परंतु इसमें केवल उदित नारायण ही सम्मिलित नहीं थे, उस गीत को क्लासिक बनाया एक अन्य व्यक्ति ने और वो थे अभिजीत भट्टाचार्य। 30 अक्टूबर 1958 को कानपुर में जन्में अभिजीत भट्टाचार्य प्रारंभ से ही फिल्मी संगीत के प्रति आकर्षित थे एवं किशोर कुमार को अपना आदर्श मानते थे।

1981 तक कानपुर के क्राइस्टचर्च कॉलेज से स्नातक करने के पश्चात अभिजीत ने बॉम्बे (अब मुंबई) अपना भाग्य आजमाने के लिए प्रस्थान किया। प्रारंभ में इन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली। 1982 में “सितम” फिल्म में उन्हें अपना हिन्दी डेब्यू मिला।

शाहरुख की कई फिल्मों में गाने गाए

प्रारंभ के कुछ वर्षों तक अभिजीत भट्टाचार्य छोटे मोटे गीतों से ही संतुष्ट थे। परंतु 1992 में दो फिल्मों ने इनके करियर को नई उड़ान दी। अक्षय कुमार के बहुचर्चित फ्रेंचाइज “खिलाड़ी” के सर्वप्रथम संस्करण को अभिजीत ने ही अपने सुरों से सजाया। इसके बाद 1994 में “यह दिल्लगी” का “ओले ओले” और “मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी” का शीर्षक गीत ऐसा ब्लॉकबस्टर हुआ कि इसके बाद अभिजीत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

और पढ़ें: पर्दे पर म्यूज़िक और पीछे कुछ और – अल्लाह रखा रहमान की असलियत

तो फिर अभिजीत का शाहरुख खान से नाता कब जुड़ा और ऐसा क्या हुआ कि अभिजीत, जो कभी बॉलीवुड के सबसे जाने माने गायकों में से एक थे, अचानक से गुमनाम हो गए? यूं तो अभिजीत का नाता SRK से 1993 के बहुचर्चित फिल्म “डर” से ही जुड़ गया, परंतु 1995 में आई “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे” के बहुचर्चित गीत “ज़रा सा झूम लू मैं” ने इन्हें शाहरुख खान का प्रिय बना दिया। फिर लगभग हर फिल्म में ये शाहरुख खान की आवाज़ बनने लगे, चाहे “आर्मी” हो, “येस बॉस” हो, “बादशाह” हो, “फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी” हो, ये सूची अनंत है।

म्यूजिक इंडस्ट्री ने बहिष्कृत कर दिया गया

परंतु 2004 से अभिजीत का मोहभंग प्रारंभ हुआ। वे “मैं हूं न” में अपने गीतों को उचित क्रेडिट न दिए जाने से बहुत खिन्न थे, और ये आक्रोश “ओम शांति ओम” में जाकर ज्वालामुखी में परिवर्तित हो गया, जिसके बाद उन्होंने शाहरुख के लिए गाना बंद किया, परंतु उन्हें लगभग समूचे म्यूजिक इंडस्ट्री ने बहिष्कृत कर दिया गया। एक साक्षात्कार में अभिजीत भट्टाचार्य ने कहा कि उन्होंने शाहरुख खान के इसी दंभी स्वभाव के कारण उनके लिए गाना छोड़ दिया और उन्हें यह नहीं समझ में आया कि जब शिरीष कुन्दर जैसे व्यक्ति के साथ शाहरुख समझौता कर सकते थे, तो क्या वे उनके साथ अपनी गलतफहमियों को नहीं सुलझा सकते थे?

निस्संदेह, अभिजीत भी बहुत सौम्य नहीं थे और उन्होंने कई बार ऐसी बातें बोलीं जिसे सुन लोग आप अपना माथा पीट लें, परंतु ये कोई बहाना नहीं होता कि आप अपने उद्योग की गलतियों को ढकने के लिए उसे ही बलि का बकरा बना दें और दुर्भाग्यवश अभिजीत दा के साथ यही हुआ।

और पढ़ें: नेहा कक्कड़, संगीत के क्षेत्र की सबसे बड़ी आपदा है

https://www.youtube.com/watch?v=hDkLjIT2Nko

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें। 

Exit mobile version