एक रिक्शावाले से अरबपति बनने तक की आसाराम की अनकही कहानी

साम्राज्य के बनने से ढहने तक की कथा।

आसाराम

SOURCE TFI

Asaram Bapu biography in Hindi: क्या एक चौथी फेल व्यक्ति कम समय में अरबों का मालिक बन सकता है? क्या एक तांगा चलाने वाले के पास करोड़ों रुपये की जमीन हो सकती है? आप सोच रहे होंगे भला ये कैसे हो सकता है? उत्तर है कि हो सकता है। जब किसी को पैसों की भूख हो तो वो किसी भी सीमा को लांघकर पैसे जुटा सकता है। ऐसा ही कुछ करके दिखाया है आसाराम ने। इस व्यक्ति का नाम तो आपने सुना ही होगा। एक समय था जब आसाराम अपने भक्तों के बीच बहुत प्रसिद्ध था और जिसके दरबार में आम से लेकर कई बड़े और खास लोग प्रवचन सुनने के लिए आया करते थे।

उम्रकैद की सजा

हाल के समय की बात करें तो गुजरात की एक कोर्ट ने जनवरी महीने में जेल में बंद आसाराम बापू को 2013 के एक दुष्कर्म केस में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। आसाराम की शिष्या ने वर्ष 2013 में उसके विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई थी।

प्रश्न यह है कि आखिर एक साधारण सा व्यक्ति कैसे एक कथित बाबा बन गया? कैसे एक तांगा चालक करोड़ों-अरबों की संपत्ति का मालिक बन गया? आइए जानते हैं।          

कथित बाबा आसाराम का (Asaram Bapu biography in Hindi) जन्म 1941 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक साधारण परिवार में हुआ था और उसके बचपन का नाम असुमल हरपलानी था। शुरुआती दिनों में आसाराम ने तांगा चलाने का काम, साइकिल की दुकान आदि में काम किया था। आसाराम ने खुद को छोटी सी उम्र में ही कच्छ के एक संत लीला शाह बाबा का शिष्य घोषित कर दिया था। इसी के बाद उसने धर्म के नाम पर लोगों को लूटने का अपना ऐसा धंधा आरम्भ किया जो बस चलता ही गया, उसने खुद को कथित बाबा बनाकर लोगों को खूब लूटा।

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भक्तों के पैसों से अपनी झोली भर ली

अहमदाबाद के मोटेरा में आसाराम ने अपना प्रथम आश्रम आरंभ किया था, इसी के बाद उसने भक्तों की आस्था का लाभ उठाते हुए उनके पैसों से अपनी झोली भर ली। आयकर विभाग की जांच रिपोर्ट के अनुसार, आसाराम के देशभर में 400 से अधिक आश्रम मौजूद हैं, 17000 से भी अधिक बाल संस्कार केंद्र हैं, इसके साथ ही 40 से अधिक गुरुकुल हैं। आसाराम के पास 2300 करोड़ रुपये से अधिक की काली दौलत है। आश्रम के लिए अधिकतर जमीन भी उसने भक्तों को बहला फुसलाकर हासिल की है, उसने एक कथित बाबा बनकर करोड़ों की सम्पति बना ली।

आसाराम के अरबपति बनने का सबसे बड़ा कारण भक्तों का चंदा भी था। हर माह भक्तों के द्वारा आसाराम के ट्रस्ट में करोड़ों रुपये का चंदा आता था। साथ ही साथ बड़े आयोजनों जैसे गुरु पूर्णिमा, भंडारा, दिवाली, जैसे त्योहारों पर भी आसाराम लाखों कमाते थे। इतना ही नहीं आसाराम के ट्रस्ट के द्वारा भक्तों को ब्याज पर कर्जा देने का काम होता था। आसाराम के पास इससे भी करोड़ों रुपये ब्याज के रूप में आता था। वैसे तो भक्तों को उल्लू बनाने के लिए और दिखावे के लिए वह प्रवचन देने का काम करता था लेकिन लाभ कमाने के लिए उसके ट्रस्ट ने कई विदेशी कंपनियों में पैसा लगाया था, जिससे उसे मोटा मुनाफा होता है। आयाकर विभाग की जांच के अनुसार, आसाराम ने बड़ी मात्रा में टैक्स चोरी की थी। सफेद चोले और कथित बाबा के रूप में उन्होंने अपने भक्तों को खूब उल्लू बनाया।

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आसराम के काले धंधे

आसाराम ने पैसे कमाने के लिए कई काले धंधे चलाए हुए थे। उसने अपने नाम से कई उत्पादों की सीरीज भी निकाली थी। जिसे उसके अनुयायी बड़े ही चाव से खरीदा करते थे। इससे भी उसके पास रुपये-पैसों का अंबार लग जाता था। एक धर्मगुरु का चोला ओढ़कर आसाराम ने हर वो काला काम किया था, जिसे कोई भी अच्छा व्यक्ति करने से पहले दस बार सोचे। लेकिन उसने केवल और केवल अपना लाभ देखा। वह लोगों की भावनाओं के साथ तो खेलता ही रहा, इसका साथ ही वह उनसे उनके पैसे भी लूटता रहा और कुछ इस तरह वह अरबपति बन बैठा।

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