प्रस्तुत करते हैं बॉलीवुड की 800 करोड़ी फ्लॉप, Pathaan के कलेक्शन में झोल ही झोल हैं

और यह हम नहीं बल्कि IMDB कह रहा है!

Pathaan box office collection scam

Source- Google

बॉक्स ऑफिस पर दिखा पठान का दम!

पठान पर झूमा पूरा हिंदुस्तान!

KGF 2 का किला ध्वस्त, बाहुबली का घमंड हुआ धुआँ धुआँ!

बॉलीवुड इज बैक!

Pathaan box office collection scam: किसी महापुरुष ने ठीक ही कहा था कि “शब्दों पर नहीं, दृश्यों पर ध्यान दो!” अब ऐसा क्यों कहा, पहले तो समझ में नहीं आया लेकिन पठान के प्रदर्शन के बाद जो कुछ भी देखने को मिला है, उससे तो स्पष्ट होता है कि उक्त विचार हवा में नहीं बनाए गए। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे पठान के कलेक्शन को जबरदस्त सिद्ध करने के पीछे एलीट बॉलीवुड के कुछ लोगों की तड़प है, जिसका ध्येय पैसा तो है ही पर साथ ही कुछ लोगों को “सबक सिखाना भी है”!

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कलेक्शन में कुछ तो झोल है

जब कुछ लोगों ने “पठान” के प्रारम्भिक कलेक्शन को देखते हुए कहा कि यह तो वास्तविक कलेक्शन नहीं है, इसमें कुछ गड़बड़ (Pathaan box office collection scam) है, तो अधिकतम लोगों ने विशेषकर SRK प्रेमियों ने उन्हें जलनखोर, बॉयकॉट गैंग का समर्थक कहा और उनका उपहास उड़ाया। कई ट्रेड विश्लेषकों ने तो फिल्म “पठान” के लिए ऐसे प्रशंसा के पुल बांधे, मानो उन्होंने स्वयं अपनी गृहस्थी दांव पर लगाई थी। परंतु पिछले कुछ दिनों से ऐसे आंकड़े सामने आ रहे हैं, जो इतना तो स्पष्ट करते हैं कि दाल में कुछ काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है।

इतना तो स्पष्ट है कि पठान के PR एजेंसियों ने भले ही समस्त भारतीय मीडिया को अपना दास बना लिया हो परंतु न दर्शकों पर और न ही सोशल मीडिया पर इसका कोई भी प्रभाव पड़ा है। चर्चित फिल्म विश्लेषण साइट IMDb यानी इंटरनेट मूवी डेटाबेस पर इतने प्रपंच और चाटुकारिता के बाद भी फिल्म की रेटिंग 10 में से 6.7 है, जो इतना स्पष्ट करती है कि यह फिल्म बहुत ज्यादा उत्कृष्ट नहीं थी। परंतु इसके बारे में बाद में।

प्रश्न अब भी व्याप्त है कि आखिर विवाद (Pathaan box office collection scam) किस बात पर है? असल में IMDb की बॉक्स ऑफिस विश्लेषक साइट IMDb Pro पर इसकी कथा कुछ और ही है। इस पर पठान का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन सर्च करने पर सामने आता है कि फिल्म ने कुल बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के नाम पर मात्र $2,19,02,358 (180 करोड़ रुपए) अर्जित किए हैं। ध्यान देने योग्य बात तो यही है कि यह वर्ल्डवाइड ग्रॉस कलेक्शन के आँकड़े हैं, घरेलू नेट कमाई के नहीं।

 

तो दिक्कत क्या है? पठान का बजट तो वैसे अब भी विवाद का विषय है पर अधिकतम विश्लेषकों का मानना है कि यह फिल्म 250 करोड़ रुपये के बजट में बनाई गई है। चलिए, इसे मानकर चलते हैं कि यह केवल निर्माण की लागत को कवर करती है, तो भी प्रोमोशन और मार्केटिंग को मिलाकर यह फिल्म कम से कम 350 करोड़ तो खींच ही गई होगी।

अब ये IMDb के नंबर्स कितने सत्य हैं और कितने नहीं, यह तो उसके सूत्र ही जाने परंतु अगर उसके अनुसार आप वैश्विक कलेक्शन को देखेंगे तो पाएंगे कि यह तो बजट के अनुसार बहुत ही कम है। अगर 350 करोड़ या उससे तनिक कम बजट में पठान बनी है, तो इसे कम से कम 400 करोड़ रुपये से अधिक तो केवल लागत वसूलने के लिए चाहिए, वो भी घरेलू स्तर पर, वैश्विक पर नहीं। अब अगर वैश्विक कलेक्शन ही 200 करोड़ रुपये से नीचे का हो तो घरेलू कलेक्शन का क्या ही कहा जाए!

आधी कमाई विदेशों में हुई है!

IMDb की मानें तो इसमें से आधी कमाई तो अमेरिका और कनाडा में हुई है। यह कोई आश्चर्यचकित करने वाली बात भी नहीं है क्योंकि यह दावा किया जाता रहा है कि विदेशों में शाहरुख़ खान के प्रशंसक बड़ी संख्या में हैं और उनका फोकस शुरू से NRIs पर भी रहा है। अब सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि फिल्म ‘पठान’ का असली बॉक्स ऑफिस कलेक्शन (Pathaan box office collection scam) यही है, जिसे छिपाया जा रहा है। ट्विटर पर एक फैन के पूछने पर भी शाहरुख़ खान ने भी कलेक्शंस को लेकर गोलमोल जवाब दिया और कहा कि उन्होंने करोड़ों मुस्कुराहटें कमाई हैं। अब अगर मुख्य अभिनेता को ही अपनी फिल्म की कलेक्शन पर विश्वास नहीं है तो फिर दूसरों का क्या कहें?

परंतु, बात यहीं पर खत्म नहीं होती। पठान के कलेक्शन पर अगर विवाद उठ रहा है तो कोई यह नहीं बता रहा है कि आखिर सत्य क्या है? बस तीन ही संवाद पोपट की भांति सब रट रहे हैं – Love won over hate, बॉयकॉट गैंग हार गई, बॉलीवुड जिंदा है! स्वयं सिद्धार्थ आनंद तक कहते फिर रहे हैं कि पठान की सफलता “बॉयकॉट गैंग की हार है।” एक यूजर ने तो ट्विटर पर यहां तक कह दिया कि अगर यह फिगर वाद विवाद का विषय है तो इससे तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। नीचे दिया गया ट्वीट देखिए-

 

इस यूजर की बात का विश्लेषण करे तो यह सुझाव विश्लेषण के योग्य तो है ही क्योंकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि किसी भी फिल्म की लोकप्रियता सिनेमाघरों में लोगों की भीड़ और वहां के विभिन्न इकाइयों की बढ़ती कमाई से भी आंका जा सकता है। पठान इतनी ही दमदार होती, तो कुछ नहीं तो दो तीन राज्यों में “टैक्स फ्री” तो हो ही जाती और लोग भर भर के सिनेमाघर जाते।

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परंतु ऐसा तो कुछ भी नहीं है। तो इन सबका सार क्या हुआ? फिल्म “पठान” के कलेक्शन दो ही आधार पर टिके हैं – “बॉलीवुड ज़िंदा है” और “पैन इंडिया के घमंड को चकनाचूर कर दिया”। वो कैसे? आप केवल तरण आदर्श और सुमित कडेल जैसे फिल्म विश्लेषकों के सोशल मीडिया पेज पर चले जाइए। वे दिन दिन भर चिंघाड़ेंगे कि कैसे पठान ने सबसे जल्दी इतना कलेक्शन कर लिया, इतना करोड़ कमा लिया, कैसे पठान ने इतने रिकॉर्ड तोड़ डाले। पर कोई यह नहीं बताएगा कि क्या “पठान” ने वास्तव में इतने करोड़ भारत से कमाए।

एक स्पष्ट उदाहरण देता हूं और यह तरण आदर्श द्वारा ही प्रमाणित है कि “पठान” के प्रथम दिन का कलेक्शन इनके अनुसार 57 करोड़ रुपये है। परंतु इसमें 55 करोड़ हिन्दी संस्करण से आए और बाकी 2 करोड़ अन्य संस्करण यानी तमिल और तेलुगू डब से आए। इतना अंतर कैसे आया इन विश्लेषकों में कोई यह बताने का कष्ट करेगा? भई ब्रह्मास्त्र भी कोई बहुत बड़ी तोप नहीं थी परंतु उसका भी प्रथम दिन का कलेक्शन 32 करोड़ का था, वो भी केवल हिन्दी संस्करण में और अन्य संस्करणों से इसका कलेक्शन लगभग 5 करोड़ के आसपास था।

Pathaan box office collection scam: कलेक्शन में ‘रॉकेट फ्यूल’

इसके अतिरिक्त लगभग बात बात पर ट्रेड विश्लेषक ये ढिंढोरा पीटते हुए नहीं थक रहे थे कि पठान ने KGF को पछाड़ दिया, पठान ने बाहुबली को पीछे छोड़ दिया। अब अगर दोनों के सम्पूर्ण ओपनिंग डे कलेक्शन को देखो, तो आकाश पाताल का अंतर दिखाई देगा। प्रथम दिन पठान का वैश्विक कलेक्शन, इन ट्रेड विश्लेषकों के कथित फिगर्स के अनुसार 106 करोड़ रुपये है, जो इसके मूल बजट से लगभग 200 या 244 करोड़ रुपये कम था। दूसरी ओर जिन फिल्मों को पछाड़ने की बात कर रहे थे, उनमें से केवल KGF को भी अभी अगर उदाहरण के रूप में लें तो उसका प्रथम दिन का वैश्विक कलेक्शन 134.5 करोड़ रुपये था, जो उसके मूल बजट से पूरे 30 करोड़ से भी अधिक था, और अभी तो हमने RRR को छुआ भी नहीं है।

तो ऐसे में दो ही बातें समझ में आती हैं या तो पठान ने कलेक्शन में रॉकेट फ्यूल लगा लिया है, जो थियेटर में बुकिंग की संख्या देखते हुए तो बिल्कुल नहीं लगता या फिर इसे हिट कराने के लिए ट्रेड विश्लेषक हर प्रपंच को अपनाने के लिए उद्यत हैं और देश की जनता को बिल्कुल निरा मूर्ख समझ लिया है। परंतु वे भूल रहे हैं, काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ाई जाती।

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