भारतीय सिनेमा की वो 5 ब्लॉकबस्टर फिल्में जिन पर विशेष शोध होना चाहिए

इन 5 फिल्मों ने अपेक्षाओं के विपरीत अपार सफलता प्राप्त की।

5 Blockbusters that continue to be a case study for Indian Cinema

Source: Google

5 Indian cinema blockbuster: सिनेमा में भांति-भांति के रिकॉर्ड होते हैं। कोई फिल्म हिट होती, कोई फ्लॉप तो कोई ब्लॉकबस्टर। परंतु कुछ फिल्में ऐसी भी होती हैं जिनकी सफलता की आशा किसी को नहीं होती लेकिन वो फिल्में कमाल कर जाती हैं, ऐसी फिल्में अपने आप में शोध का विषय हैं, चाहे बजट की दृष्टि से देखें या फिर सामग्री की दृष्टि से।

इस लेख में ऐसी 5 ब्लॉकबस्टर्स (5 Indian cinema blockbuster) फिल्मों के बारे में पढ़िए, जिन्होंने अपेक्षाओं के विपरीत अपार सफलता प्राप्त की।

1) हम आपके हैं कौन?

उस समय पारिवारिक फिल्में बनाना लगभग अक्षम्य अपराध समान हो चुका था और फिल्म उद्योग मारधाड़ वाली फिल्मों को अधिक बढ़ावा दे रहा था। तब सूरज बड़जात्या ने तय किया कि अभी स्वच्छ सिनेमा खत्म नहीं हुआ है। नदिया के पार को एक अलग टच देकर सामने आई, हम आपके हैं कौन– जिसे प्रारंभ में मात्र 300 से कुछ ज्यादा स्क्रीन पर प्रदर्शित किया गया था।

इस फिल्म को लेकर ट्रेड विश्लेषकों में कोई उत्साह नहीं था और कुछ के लिए ये फिल्म डिजास्टर से कम नहीं थी। परंतु वो कहते हैं, जनता से बड़ा कोई नहीं। ये फिल्म इतनी सफल हुई कि इसने कई रिकॉर्ड तोड़े और आज भी ये भारतीय फिल्म इतिहास की सबसे सफल फिल्मों में से एक मानी जाती है। आज के आंकड़ों के अनुसार इसकी वैश्विक कमाई 1400 से 1500 करोड़ रुपये के आसपास होंगी, जो किसी भी हिन्दी फिल्म के लिए सर्वाधिक होंगी।

2)   गदर – एक प्रेम कथा

अंग्रेज़ी में एक कहावत है, “जीतने का सुख सबसे अधिक तब होता है, जब सब आपके हारने की प्रार्थना कर रहे हों!” कुछ ऐसा ही हुआ था 15 जून 2001 को। “गदर” केवल तारा सिंह के प्रति जनता के प्रेम और “हैंडपंप” वाले सीन के लिए ही इतनी बड़ी ब्लॉकबस्टर  (5 Indian cinema blockbuster) नहीं बनी। इस फिल्म के पीछे दुर्भाग्य और इंडस्ट्री के कुछ स्वघोषित ठेकेदार हाथ धोके पीछे पड़े हुए थे। काफी समय इस फिल्म को नायक और नायिका ही नहीं मिल रहे थे, और सभी जानते हैं कि किन आधारों पर गोविंदा और ऐश्वर्या राय ने इस फिल्म को रिजेक्ट किया था।

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परंतु समस्या यहीं पर खत्म नहीं हुई। “गदर” जब बनकर तैयार हुई, तो इसे फ्लॉप कराने के लिए क्रिटिक्स को भी खूब लालच दिया गया। यूं ही नहीं कुछ आलोचक इस फिल्म को “गटर एक प्रेम कथा”  कहने लगे थे। हो भी क्यों न, आखिर आमिर खान की “लगान” को बेहतर जो दिखाना था।

परंतु “हम आपके हैं कौन” की भांति “गदर : एक प्रेम कथा” ने भी सफलता के नए पैमाने सेट किये। करीब 20 करोड़ के बजट पर बनी इस फिल्म ने केवल राजस्व के मामले में लगान को कहीं पीछे छोड़ दिया, अपितु वैश्विक स्तर पर लगभग 1100 करोड़ रुपये [आज के आंकड़ों अनुसार] कमाकर हिन्दी सिनेमा के इतिहास की सबसे फिल्मों में से एक बन गई।

3)   “बाहुबली” श्रृंखला

आपको क्या लगता है, भारतीय सिनेमा पर किस फिल्म ने सबसे अधिक प्रभाव डाला? शोले ने? नहीं! मुगले आज़म ने? बिल्कुल नहीं। 2015 में प्रदर्शित एक फिल्म ने भारतीय सिनेमा को दो हिस्सों में बाँट दिया : भारतीय सिनेमा “बाहुबली” के पूर्व और भारतीय सिनेमा “बाहुबली” के बाद।

वी. विजयेंद्र प्रसाद की लेखनी और एस एस राजामौली के निर्देशन के द्वारा रचित ये फिल्म 10 जुलाई 2015 को प्रदर्शित हुई। ये फिल्म मूल रूप से तेलुगु में बनी थी, परंतु इसे कई भाषाओं में डब करके भी प्रदर्शित किया गया। ये इसलिए ही चुनौतिपूर्ण नहीं था क्योंकि राजामौली देश के कोने कोने में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहते थे, अपितु इसलिए भी चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि सलमान खान की बहुचर्चित “बजरंगी भाईजान” एक हफ्ते बाद प्रदर्शित होने वाली थी। लेकिन कुछ भी कहिए, सबसे अधिक लाभ विजयेंद्र प्रसाद को ही हुआ होगा, आखिर दोनों की कथा यही जो लिखे थे।

परंतु “बाहुबली” ने वो किया, जो लाख चाहने पर भी तमिल, मलयालम एवं बंगाली सिनेमा नहीं कर पाया। इसने बॉलीवुड के वर्चस्व को वो चुनौती दी, जिससे आज तक वह उभर नहीं पाया है। न केवल इस फिल्म ने भाषाओं के बंधन को तोड़ा, अपितु बहुभाषीय सिनेमा की नींव भी रखी, जो रीमेक पर नहीं, केवल प्रभावशाली कॉन्टेन्ट पर निर्भर थी।

4)   द कश्मीर फाइल्स

यह फिल्म भी अपने आप में शोध का विषय है। “स्लीपर हिट” का सिद्धांत तो सबने सुना होगा, लेकिन कोई फिल्म, जो केवल अपनी कथा के आधार पर ब्लॉकबस्टर हो।
द कश्मीर फाइल्स 11 मार्च 2022 को लगभग 450 स्क्रीन पर प्रदर्शित हुई थी, क्योंकि उसी दिन प्रभास की फिल्म “राधे श्याम” भी प्रदर्शित हो रही थी और फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर विवेक अग्निहोत्री की फिल्म को अधिक स्क्रीन देने को उत्सुक नहीं थे, लेकिन इस फिल्म ने सोशल मीडिया के माध्यम से जितना समर्थन जुटाया, उतना शायद ही किसी अन्य फिल्म ने जुटाया हो।

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मात्र 15 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म ने केवल घरेलू बॉक्स ऑफिस पर 250 करोड़ से अधिक कमाए थे, वो भी तब, जब सामने केवल “राधे श्याम” ही नहीं, “बच्चन पाण्डे”, “RRR”, यहाँ तक कि “KGF: चैप्टर 2” जैसी फिल्में भी टक्कर में थी। ऐसी प्रतिस्पर्धा में ब्लॉकबस्टर बनना कोई मज़ाक नहीं है….

5)   कान्तारा

द कश्मीर फाइल्स की भांति जिस फिल्म ने जनता, क्रिटिक्स, यहाँ तक कि ट्रेड विश्लेषकों को आश्चर्यचकित करने पर विवश कर दिया, वह थी ऋषभ शेट्टी की फिल्म कान्तारा। जब आपके पास आपकी फिल्म की कथा को छोड़कर कुछ भी विशेष दिखाने को नहीं हो, तो आपके लिए घरेलू छोड़िए अपने क्षेत्रीय सिनेमा सर्किट यानी कन्नड़ सिनेमा में भी सर्वाइव करना पहाड़ चढ़ने से कम कठिन नहीं।

परंतु “कान्तारा” के लिए केवल यही समस्या नहीं थी। ये फिल्म 30 सितंबर को प्रदर्शित हुई, उसी समय जब मणि रत्नम की बहुप्रतीक्षित “पोन्नियन सेल्वन” सिनेमाघरों में अपना “कमाल दिखाने” वाली थी, और उसे चुनौती देने के लिए “विक्रम वेधा” का हिन्दी संस्करण तैयार खड़ा था। परंतु दैव की कृपा से “कान्तारा” ने वो धमाल मचाया कि सभी देखते रह गए।

इस तरह ये 5 फिल्में (5 Indian cinema blockbuster) सिनेमा में शोध करने के योग्य हैं।

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