कूटनीति अगर खेल होता, तो कई खेलों से अधिक ट्विस्ट और टर्न इसमें देखने को मिलता। न यहाँ कुछ स्थाई होता है, और मित्रता एवं शत्रुता समय समय पर बदलती रहती है।
इसी का एक प्रत्यक्ष उदाहरण हमें देखने को मिला है पाकिस्तान की ओर से। एक व्याख्यान के समय पाकिस्तान के वर्तमान विदेश मंत्री, बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने अचानक से भारत को मित्र के रूप में संबोधित किया, और फिर स्वयं ही इसे अपनी त्रुटि बताते हुए “पड़ोसी राष्ट्र” के रूप में पुनः संबोधित किया।
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परंतु बात यहीं पर खत्म नहीं होती। बिलावल भुट्टो ने ये भी कहा कि पाकिस्तान इस समय पूरी तरह से अलग थलग पड़ चुका है। कोई भी उसे गंभीरता से पहले की भांति नहीं लेता। यहाँ तक कि जिस कश्मीर मुद्दे का ढोल पीट पीटकर उन्होंने दशकों तक अपनी “धाक जमाए रखी”, अब वो मुद्दा भी उनके किसी काम का नहीं।
परंतु ये संयोग तो नहीं ही हो सकता। जो व्यक्ति किसी समय ये दावा करें कि कश्मीर के इंच इंच को वापस लेकर रहेंगे, और जिसके परिवार ने दशकों तक भारत, विशेषकर कश्मीर वासियों का जीवन नारकीय बना दिया, वह अचानक से सुलह का राग अलापने लगे।
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