Satish Kaushik death: विशुद्ध अभिनेता वह होता है, जो चाहे दस सेकेंड के लिए हो, या फिर पूरे फिल्म के लिए, परंतु उसके किरदार को आप अनदेखा नहीं कर सकते। सतीश कौशिक भी ऐसे ही एक अभिनेता थे, जिनका 8 मार्च को अचानक हृदयगति रुकने से निधन (Satish Kaushik death) हो गया। उनकी आयु 67 वर्ष की थी। 13 अप्रैल 1967 को हरियाणा के महेंद्रगढ़ में जन्मे सतीश का फिल्मी सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा।
अपने अभिनय से सतीश कौशिक ने छोड़ी अमिट छाप
1980 के आसपास फिल्मों का संघर्ष शुरु हुआ। जिसके उपरांत 1987 में आई फिल्म मि. इंडिया के कैलेंडर वाले रोल से उन्होंने अपने अभिनय की छाप की छोड़ी। सतीश कौशिक अभिनय के साथ साथ बतौर डायरेक्टर भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं। सतीश कौशिक ने प्रारम्भिक असफलताओं के बाद “हम आपके दिल में रहते हैं” से लेकर “तेरे नाम”, “कागज़” जैसे फिल्म बतौर निर्देशक दिए।
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उन्होंने 1983 में शेखर कपूर के साथ बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर फिल्म मासूम में काम किया था। सतीश कौशिक ना सिर्फ एक मंझे हुए एक्टर थे, बल्कि एक शानदार निर्देशक, लेखक, हास्य कलाकार और रंगमंच कर्मी भी थे। NSD (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) और FTII (फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) से पढ़े सतीश कौशिक ने हिंदी फिल्म जगत में अपने अभिनय से अमित छाप छोड़ी।
7 मार्च को ही जमकर खेली थी होली
फिल्मों की भांति OTT में भी सतीश कौशिक को ढलने में कोई असहजता नहीं हुई। जो “स्कैम 1992” में मनु मुँदरा के सीमित रोल से छाप छोड़ दें, उसके प्रतिभा पर कोई भला संदेह करे भी तो कैसे? “इमरजेंसी” इनकी अंतिम फिल्म थी, जहां ये बाबू जगजीवन राम के किरदार को आत्मसात कर रहे थे। सतीश कौशिक ने 7 मार्च को खूब जमकर होली भी खेली थी। ऐसे में Satish Kaushik के death ने हर किसी अंचभित कर दिया। सतीश कौशिक जैसे कलाकारों की कमी फिल्म उद्योग, विशेषकर बॉलीवुड को बहुत खलेगी। ईश्वर इनकी आत्मा को शांति दें।
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