Jamia violence case: दिल्ली हाईकोर्ट ने छीना शरजील इमाम और सफूरा का चैन

भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं....

Jamia violence case

Jamia violence case: अभिव्यक्ति की आजादी के नाम अक्सर कुछ भारत विरोधी तत्वों को देश के विरोध में बाते करते देखा जाता है। अक्सर अभिव्यक्ति की आजदी के नाम पर देश में आंदोलन खड़े हो जाते हैं। लेकिन समस्या तब उत्पन्न होती है जब इन आंदोलनों के मंच से भारत विरोधी बातें की जाती हैं। इन देश विरोधी तत्वों के भड़काऊ भाषणों के कारण देश में दंगे हो जाते हैं। दिल्ली के हिंदू विरोधी दंगें इसका प्रत्यक्ष उदाहारण हैं। ऐसे में भारत विरोधी बातें करने वालों को कतई भी नजरअंदाज नही किया जा सकता।

इस लेख में पढिये कि कैसे दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया जिसमे जामिया मिलिया इस्लामिया में दंगे (Jamia violence case) कराने के आरोपियों को बरी किया गया था। साथ ही ये भी बताउगां कि कैसे लिबरल लॉबी इन आरोपियों को बचाने में लगी हुई थी।

आपको ज्ञात होगा कि जब मोदी सरकार ने CAA कानून पारित कराया था, तो देश में विरोध प्रदर्शनों के जरिए अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देश की संप्रभुता को चनौती दी गई थी।

आंदोलनों के मंचों का उपयोग देश विरोधी बयानबाजी करने के लिए किया जाता था। ऐसे में टुकड़े टुकड़े गैंग के लोगों ने CAA के विरोध के बहाने देश तोड़ने तक की बात तक कर डाली थी।

गौरतलब है नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में चले आंदोलनों के बीच शरजील इमाम का जामिया और अलीगढ़ में भड़काऊ भाषण देने का एक विवादित बयानों वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। यही नहीं शरजील इमाम ने शाहीन बाग में भड़काऊ भाषण देते हुए कहा था कि बाकी भारत को नॉर्थ ईस्ट से जोड़ने वाला चिकन नेक मुस्लिम बहुल इलाका है और अगर सभी मुस्लिम इकट्ठा हो जाएं, तो वे नॉर्थ ईस्ट को भारत से अलग कर सकते हैं।

शरजील इमाम पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों में भी मुख्य आरोपी है।  लेकिन इसके बावजूद देश की लिबरल लॉबी ने अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देश के विरोधी में बात करने वालों का हमेशा से समर्थन किया है। देश की लिबरल लॉबी हमेशा देश को तोड़ने की बात करने वाले टुकड़े टुकड़े गैंग के सदस्य शरजील इमाम के पक्ष में खड़ी रही।

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लिबरल गैंग के लिए बुरी खबर

परंतू अब लिबरल लॉबी और टुकड़े गैंग के सदस्यों के लिए एक बुरी खबर सामने आई है। दरअसल, दिल्ली के Jamia violence case में हाई कोर्ट ने 11 में से नौ आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए। हाईकोर्ट का ये फैसला स्टूडेंट्स एक्टिविस्ट शरजील इमाम, सफूरा जरगर, आसिफ इकबाल तन्हा और आठ अन्य को आरोपमुक्त करने के निचली अदालत के आदेश के बाद आया है। क्योंकि अदालत के आदेश को जांच एजेंसी ने चुनौती दी थी। जिसके बाद हाई कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को रूप से पलट दिया है।

अदालत ने Jamia violence case आरोपियों के खिलाफ दंगे और अन्य आरोप तय करने का निर्देश दिया है। बता दें कि Jamia violence case में साकेत कोर्ट ने 4 फरवरी को शरजील इमाम समेत 11 लोगों को आरोप मुक्त करते हुए कहा था कि उन्हें पुलिस ने बलि का बकरा बनाया है।

पुलिस को नसीहत दी गई थी कि वह विरोध और बागावत में अंतर को समझे। कोर्ट ने यह भी कहा था कि इन लोगों की मिलीभगत से हिंसा हुई, इसका कोई प्रमाण नहीं है। लेकिन अब हाईकोर्ट से शरजील समेत नौ आरोपियों को बड़ा झटका लगा है।

इन लोगों पर हिंसा, गैरकानूनी रूप से इकट्‌ठा होने, पब्लिक सर्वेंट्स का रास्ता रोकने और कई अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ है। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने ये भी कहा कि पहली नज़र में साफ है कि शरजील समेत बाकी लोग भीड़ में मौजूद थे। वो न केवल दिल्ली पुलिस मुर्दाबाद के नारे लग रहा थे, बल्कि बैरिकेड को भी हिंसक तरीके से हटाने की कोशिश कर रहे थे। कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी/प्रदर्शन के अधिकार का हवाला देकर शांति भंग करने या सार्वजनिक संपति को नुकसान पहुंचाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।

हाई कोर्ट ने जिन पर आरोप तय किए हैं उसमें दिल्ली दंगों की मुख्य आरोपी सफूरा जरगर का नाम भी है। बता दें कि सफूरा जरगर जामिया मीडिया सेल की संयोजकों में से एक है, जिनपर कैंपस के जरिए पूर्वोत्तर दिल्ली में दंगे भड़काने का आरोप भी लगा है। इसी संबंध में सफूरा जरगर को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया और UAPA के अन्तर्गत कार्रवाई भी हुई थी।

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जामिया हिंसा से पहले की गई थी भड़काऊ बयानबाजी

ज्ञात हो कि दिसंबर 2019 में दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों और स्थानीय लोगों ने सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू किया। इन लोगों ने ऐलान किया कि वे संसद तक रैली निकालेंगे।

इस दौरान कथित छात्रों नेताओं ने भड़काऊ बयानबाजियां कि जिससे विरोध प्रर्दशन हिंसक हो गए। ये हिंसा जामिया यूनिवर्सिटी के साथ साथ आस पास के क्षेत्रों में भी भड़क गई थी। दिल्ली पुलिस ने Jamia violence case में 12 लोगों को आरोपी बनाया था। इन लोगों के खिलाफ दंगा करने और गैरकानूनी रूप से जमा होने समेत IPC की कई धाराओं में केस किए गए थे।

हाईकोर्ट का जामिया मिलिया इस्लामिया में हुए दंगे के आरोपियों के विरुद्ध आया हाईकोर्ट का ये फैसला स्वागत योग्य है।

हाईकोर्ट का ये फैसल लिबरल लॉबी के पेट में दर्द पैदा कर सकता है क्योंकि टुकड़े टुकड़े गैंग का बचाव करने में लिबरल लॉबी कड़ी मेहनत करती है।और सोशल मीडिया इन कथित छात्रों को लिबरल लॉबी की ओर से मासूम दिखाने के भरपूर प्रयास किए जाते हैं।

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