Trans Mountain oil pipeline expansion: वो कहते हैं, “जब सीधी उंगली से घी न निकले, तो उंगली टेढ़ी कर लो”। अब चीन से कूटनीतिक मोर्चे पर आगे बढ़ने की दिशा में भारत ने ऐसा कदम उठाया है, जिससे न केवल भारतीय उपमहाद्वीप में उसका प्रभुत्व बढ़ेगा, अपितु चीन को भी अपनी सामर्थ्य और पात्रता पता चल जाएगी।
असल में भारत ने बांग्लादेश की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाया है। तो इसमें नया क्या है? नया ये कि इस बार भारत ने तेल संसाधनों में सहयोग को लेकर अपना हाथ बढ़ाया है। हाल ही में एक तेल पाइपलाइन का निर्माण पूरा हुआ है, Trans Mountain oil pipeline expansion का भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना मिलकर उद्घाटन करेंगे।
18 मार्च को ये पाइपलाइन सेवा में आएगी, जो भारत से बांग्लादेश की तेल आपूर्ति में सहायक होंगी। यूं तो इसका अनावरण 2022 में ही होना था, परंतु किन्ही कारणों से इसे मार्च 2023 तक स्थगित कर दिया गया।
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तो Trans Mountain oil pipeline expansion से चीन को क्या नुकसान होगा? विश्व में भारत के बढ़ते प्रभुत्व से चीन अनभिज्ञ है, और ऐसे में वह भारत को भारतीय उपमहाद्वीप में ही अपने “स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स” की नीति से घेरना चाहते हैं। परंतु भारत भी हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठा है। चूंकि श्रीलंका और पाकिस्तान से उसे कोई विशेष आशा नहीं, इसीलिए वह अब बांग्लादेश, म्यांमार, भूटान इत्यादि के साथ अपने कूटनीतिक और व्यवसायिक संबंध सुदृढ़ बना रहा है, और इसी दिशा में ये तेल पाइपलाइन एक महत्वपूर्ण कदम है।
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