25 जनवरी को अडानी ग्रुप को लेकर अमेरिकी रिसर्च फर्म ‘हिंडनबर्ग’ ने एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद अडानी ग्रुप को भारी नुकसान हुआ। ये रिपोर्ट जब से आई है तब से ही खूब सुर्खियां बटोर रही है। वामपंथी लॉबी इस रिपोर्ट को लेकर खूब नृत्य करते दिख रहे हैं। विपक्ष सड़क से लेकर संसद तक इस रिपोर्ट को लेकर सरकार को घेरने का प्रयास कर रहा है। जहां अब वरिष्ट अधिवक्ता हरीश साल्वे ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को अडाणी ग्रुप की कंपनियों को निशाना बनाकर बाजार में अस्थिरता लाने वाली रिपोर्ट बताया है।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच है अत्यंत आवश्यक
वरिष्ट अधिवक्ता हरीश साल्वे ने हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट की जांच की मांग की है। उन्होंने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि हिंडनबर्ग कोई चैरिटी या मदद करने वाली संस्था नहीं है और इसका लक्ष्य मध्यम वर्ग के निवेशकों को नुकसान पहुंचाकर पैसा कमाना है।
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उन्होंने अडाणी ग्रुप-हिंडनबर्ग मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित 6 सदस्यीय समिति का जिक्र करते हुए कहा कि समिति को उन सभी का पता लगाना चाहिए, जिन्होंने शेयर्स की कीमतों को कम करके खूब धन कमाया है।
इसे बाजार में हेरफेर के रूप में मानें और ऐसे लोगों को व्यापार से बाहर निकालने और प्रतिबंधित करने के लिए जांच करें। हरीश साल्वे ने आगे कहा कि हमें अपने बाजार में एक उदाहरण स्थापित करना चाहिए कि सबसे पहले अगर कोई रिपोर्ट है, तो उसे सेबी के पास या कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के पास जाना चाहिए।
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ज्ञात हो कि अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद से अडाणी ग्रुप के शेयरों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। हिंडनबर्ग ने अडाणी ग्रुप की कंपनियों पर स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड का आरोप लगाया था। जिसके उपरांत अडाणी ग्रुप ने हिंडनबर्ग के सभी आरोपों को गलत बताया है। ऐसे में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की जांच होना अत्यंत आवश्यक है।
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