3rd Highest Leader In Buddhism: कहा जाता है कि दुश्मन के मन में अगर खलबली उत्पन्न करनी है तो उसकी दुर्बल नस पर प्रहार करना चाहिए और अगर दुश्मन चीन जैसा हो तो ये बात और अधिक रोचक हो जाती है।
इस लेख में पढिये कि कैसे तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने अपने एक निर्णय (3rd Highest Leader In Buddhism) से ड्रैगन के तोते उड़ा दिए हैं।
ड्रैगन का कई देशों के साथ विवाद चल रहा हैा किसी के साथ संमूद्र में प्रभूत्व स्थापित करने को लेकर विवाद है तो किसी के साथ भूमि को लेकर। फिलिपींस ,वियतनाम,. इंडोनेशिया,मलेशिया,जापान,साउथ अफ्रीका ये वो देश हैं जिनके साथ चीन का समूंद्र में प्रभूत्व स्थापित करने को लेकर विवाद है। भारत, नेपाल, भूटान और लाओस un desho हैं जिनके साथ उसका भूमि को लेकर विवाद है। ये सर्वविदित है कि चीन का भारत के साथ कई सालों से सीमा विवाद चल रहा है। अक्सर सीमाई क्षेत्रों में वो भारत के विरुद्ध षडयंत्र करता रहता है। उसकी नीति भारत के स्थानों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने की रहती है। हालांकि उसके नापाक मंसूबों की भारत के सामने एक नही चलती। चीन और भारत के बीच विवाद केवल भूमि को लेकर ही नही है या केवल हिंद महासागर में प्रभूत्व को लेकर ही नही है अपितू एक ओर कारण है जिससे चीन को 420 वोल्ट का झटका लगता है। वो हैं दलाई लामा।
धर्मगुरु दलाई लामा को तिब्बत में चीन का कब्जा होने के पश्चात भारत में शरण लेनी पड़ी थी। तब से दलाई लामा भारत में ही हैं। चीन अरुणाचल प्रदेश और तवांग पर अपना दावा करता है वहीं शांति का नोबल पुरस्कार विजेता दलाई लामा इसे बिना किसी हिचक के भारत का हिस्सा निडर भाव से बोलते हैं। यही कारण है चीन दलाई लामा को एक अलगावादी नेता मानता है।
चालबाज ड्रैगन कहता है कि दलाई लामा भारत और चीन की शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। खैर बात करते हैं ताजा घटनाक्रम की। जिसकी सूचना मिलने के बाद चीन के अवश्य ही तोते उड़ गए होंगे।
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चीन को लगा बड़ा झटका
दरअसल, तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने अमेरिका में जन्मे एक मंगोलियाई बच्चे को बौद्ध धर्म का तीसरा सबसे बड़ा धर्म गुरु (3rd Highest Leader In Buddhism) बना दिया है। दलाई लामा ने इस बच्चे को 10वें खलखा जेटसन धम्पा रिनपोछे का पुनर्जन्म बताया। बता दें कि बौध धर्म में पूर्नजन्म का अधिक महत्व होता है। बौद्ध धर्म के अनुयायियों के सर्वोच्च गुरु दलाई लामा हों या संप्रदायों के प्रमुख गुरु, उन्हें चुनने की प्रक्रिया एक सी होती है। उनकी खोज पुनर्जन्म की अवधारणा पर आधारित होती है। नए धर्मगुरु के मिलने का समारोह 8 मार्च को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में हुआ था लेकिन इसकी जानकारी अब सामने आई है। समारोह के समय 600 मंगोलियाई उपस्थित रहे।
आपको बता दें, कि साल 2016 में दलाई लामा ने मंगोलिया का दौरा किया था और उस दौरान उन्होंने घोषणा की थी, कि जेटसन धम्पा का नया अवतार मंगोलिया में पैदा हुआ है, और उसे खोजने के लिए खोज चल रही है। चीन की आत्मा को दलाई लामा की उस यात्रा के बाद गहरा दुख पहुंचा था। दुख इतना गहरा था कि उसने मंगोलिया के राजनयिक नतीजे भुगतने की धमकी दी थी। चीन ने कहा था, कि अगर दलाई लामा को वापस नहीं भेजा गया, तो मंगोलिया को गंभीर अंजाम भुगतने होंगे।
इससे पहले भी 1995 में जब दलाई लामा ने दूसरे सबसे बड़े धर्मगुरु पंचेन लामा को चुना था तो चीन के अधिकारियों से उसे जेल में डाल दिया था। इसके बाद चीन ने इस पद पर खुद के चुने हुए धर्मगुरु को नियुक्त किया था। अब तीसरे तिब्बती धर्मगुरु मिलने के बाद बौद्धों में उसकी सुरक्षा को लेकर चिंता है।
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चीन चाहता था अपना धर्म गुरु
अब हम आपको दलाई लामा द्वारा नियुक्त किए गए बौद्ध धर्म के तीसरे सबसे बड़े धर्म गुरु की नियुक्ती के कूटनीतिक महत्व को बताते हैं. आपको बताते हैं कि क्यों इस नियुक्ती की सूचना मिलने के बाद चीन को नींद आनी कठिन हो जाएगी।
दरअसल, चीन तिब्बत पर कब्जा कर चुका है, लेकिन ये कब्जा तब तक पूरा नहीं होगा, जब तक चीन तिब्बती बौद्ध धर्म को मिटा नहीं देता। जिसके कारण दलाई लामा को वो अपने इस महत्वकांक्षा का सबसे बड़ा बाधक मानता है। क्योंकि दलाई लामा बौद्ध आध्यात्मिक गुरु की पदवी है ।तिब्बती दलाई लामा को खारिज किए बिना चीन यहां कब्जा नहीं कर सकता। चीन चाहता है, कि अगला दलाई लामा उसके पक्ष का हो, ताकि वो काफी आसानी से तिब्बत के लोगों को अपने पाले में कर सके।
वहीं 1962 के बाद से चीन तवांग को दक्षिण तिब्बत का क्षेत्र बताता आया है। यही कारण है कि आए दिन दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प होती रहती है। दलाई बिना किसी संकोच के कहते हैं कि तवांग भारत का ही हिस्सा है।
ऐसे में ड्रैगन भारत को धमकी देता है कि भारत दलाई लामा को उसे सौंप दे। हालांकि भारत हमेशा से दलाई लामा और उनके समर्थकों के हितों के लिए काम करता रहा है।
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अब चीन चाहता है कि बौद्ध धर्म और उसके धर्म गुरुओं पर उसका नियंत्रण हो जिसके लिए वो पहले ही जोर देकर कह चुका है वह केवल उन बौद्ध नेताओं को मान्यता देगा, जिन्हें चीनी सरकार से अनुमोदित स्पेशल टीम ने चुना हो। दलाई लामा के इस कदम से मंगोलिया में खुशी और डर दोनों देखा जा रहा है। मंगोलियाई लोगों को डर है कि दलाई लामा के इस फैसले से नाराज चीन उनके देश के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई कर सकता है। मंगोलिया पहले से ही चीनी आक्रामकता का शिकार रहा है, जिसने इनर मंगोलिया के नाम से एक बड़े हिस्से पर कब्जा जमा रखा है। मंगोलिया में जन्म बच्चे को बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक नेता के पुनर्जन्म के रूप में मान्यता देने के कदमों से चीन निर्णय से चीन के अंदर बौखलाहट देखने को मिल सकती है। दलाई लामा ने मंगोलियाई बच्चे को तीसरा बौद्ध धर्म (3rd Highest Leader In Buddhism) का गुरु बनाकर चीन के अरमानों पर पानी फैरने के साथ भारत- चीन और दलाई लामा के विवाद में मंगोलियाई की भी एंट्री करा दी है।
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