“पता है मुझे क्या बुरा लगता है? जब कुछ लोग चीन पे इतना मोहित हो जाएँ, कि वे भारत को नीचा दिखाने से भी नहीं हिचकें। जब पांडा को गले लगने वाले China Hawks बनने का प्रयास करें, तो वह हास्यास्पद है, क्योंकि उड़ेंगे तो वैसे भी नहीं!”
इस लेख में पढिये कि कैसे एक ही भाषण में एस जयशंकर ने राहुल गांधी को कूटनीति पर पाठ पढ़ाया और कैसे अमेरिकी प्रशासन को भी उन्हे हल्के में न लेने का सुझाव दिया। तो अविलंब आरंभ करते हैं।
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में जमकर बरसे जयशंकर
हाल ही में इंडिया टुडे द्वारा आयोजित सम्मेलन में भाग लेने गए विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर ने कई विषयों पर अपने विचार साझा किये।
सबको इतना पता था कि जयशंकर एनडीए सरकार का पक्ष रखने आए हैं, पर वे वामपंथियों समेत भारत का अहित चाहने वालों पर कितने आक्रामक होंगे, इसका लेशमात्र भी किसी को अंदाज़ा नहीं था।
सर्वप्रथम उन्होंने चीन पर आक्रामक रुख अपनाते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच आपसी संबंध चुनौतीपूर्ण स्थिति में हैं। उन्होंने चीन को फटकार लगाते हुए कहा है कि समझौतों का उल्लंघन करके कोई यह नहीं दिखा सकता कि सब कुछ सामान्य है। पहले जो समझौते हुए, उनका चीन ने उल्लंघन किया। भारत साफ कर चुका है कि किसी भी प्रकार के समझौतों का उल्लंघन नहीं सहा जाएगा।
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राहुल गांधी को बताया “पांडा प्रेमी”
अगर कोई व्यक्ति विरोध के नाम पर अनर्गल प्रलाप करे, और भारत की अखंडता पर ही प्रश्नचिन्ह लगा डे, तो आप उसे कैसे देखोगे? ऐसे व्यक्ति को लोग अधिकतम हेय की दृष्टि से देखेंगे, या फिर उतनी ही आक्रामकता से उसकी धुलाई करेंगे।
परंतु जयशंकर ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बताया कि बिना किसी उग्र शब्द का उपयोग करते हुए विरोधी की पोल कैसे खोलें। इन दिनों किस प्रकार से राहुल गांधी अंतरराष्ट्रीय मंचों से भारत की बुराई कर रहे हैं, ये किसी से नहीं छुपा है।
इसी पर टिप्पणी करते हुए एस जयशंकर बोले, “भारत का नागरिक होते हुए मुझे दुख होता है जब कोई चीन की ओर लार टपकाते हुए भारत को कमतर आँकें”। जब राहुल गांधी के चीन से भारत के डरने पर उनसे प्रश्न पूछा गया, तो उन्होंने स्पष्ट बोला, “राहुल गांधी चीन के उत्पादन क्षमता को लेकर बड़ा ही बढ़चढ़कर प्रशंसा करते हैं, और उसी सांस में बोलते हैं कि भारत का “मेक इन इंडिया” किसी काम का नहीं। ठीक है, देश के विषय पर सबके मत समान नहीं हो सकते, परंतु इसका अर्थ ये तो नहीं है कि आप देशवासियों के मनोबल को ही तोड़ने में जुट जाए। ये अधिकार [राहुल को] किसने दिया है?”
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“भारत आने दीजिए, प्यार से समझा देंगे….”
परंतु जयशंकर उतने पे न रुके। जब नागरिकता संशोधन कानून को लेकर एरिक गार्सेटी के बयान पर सवाल पूछा गया था। इसके जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि नागरिकता के लिए दुनिया के अलग-अलग देशों में अलग-अलग मानदंड हैं। यदि यूरोप को देखा जाए तो वहाँ जर्मनी के लोगों को आसानी से नागरिकता मिल जाती है।
इसके अतिरिक्त एस जयशंकर ने यह भी कहा , “अगर कोई पाकिस्तान में रहने वाला हिंदू है और वहाँ उसका उत्पीड़न किया गया है। ऐसी स्थिति में वह भारत ही आएगा और कहाँ जाएगा? यह एक ऐसी सच्चाई है, जिसे हर कोई जानता है। उन्होंने आगे कहा है कि एरिक गार्सेटी को यहाँ आने दीजिए उन्हें, प्यार से समझा देंगे”।
परंतु एरिक गार्सेटी है कौन? ये हाल ही में नियुक्त अमेरिकी राजदूत हैं, जो भारत में स्थित अमेरिकी दूतावास का कार्यभार संभालेंगे। एरिक को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन का बेहद करीबी और वफादार माना जाता है।
साल 2013 में लॉस एंजिल्स के मेयर चुने गए थे। इसके बाद लगातार 9 साल तक वह मेयर रहे। लॉस एंजिल्स को 2028 के ओलंपिक शहर के रूप में चुने जाने में भी उनकी अहम भूमिका मानी जाती है।
बताते चले की इनके ऊपर यौन उत्पीड़न के आरोपित पर सही तरीके से कार्रवाई न करने तथा मेयर रहते हुए भ्रष्टाचार करने का आरोप लग चुका है।
इतना ही नहीं, साल 2021 में गार्सेटी ने अमेरिकी संसद को संबोधित करते हुए कहा था कि यदि उन्हें भारत में राजदूत नियुक्त किया जाता है तो वह वह नागरिकता संशोधन कानून को लेकर कथित मानवाधिकारों के मुद्दों को उठाएँगे।
ऐसे में सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने एक ही तीर से दो निशाने साधे हैं, और ये कहना गलत नहीं होगा कि दोनों ही व्यक्ति, चाहे राहुल हो या एरिक, जयशंकर के साधे गये निशाने से हुइ पीडा चाहकर भी व्यक्त नहीं कर पाएंगे।
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