यूक्रेन को पाकिस्तान ने की हथियारों की आपूर्ति, रुस के पीठ में घोंपा छुरा

दो नावों पर पैर रखने की यही आदत ले डूबेगी

यूक्रेन पाकिस्तान

पाकिस्तान ब्रह्मांड का एक ऐसा अनोखा राष्ट्र है, जिसके कटोरा लेकर भीख मांगने की दक्षता को अलग रखे, तो न कोई दूरदृष्टि है, न कोई प्रतिष्ठा, और आत्मसम्मान के बारे में पूछिए ही मत। ये विश्व में वो राष्ट्र है, जो जहां भी जाता है, वहां से मुँह की खा कर ही वापस लौटता है। स्वास्थ्य, विज्ञान, शिक्षा की तो बात छोड़िए वहां लोगों के पास दाना पानी की कमी पड़ रही है।

परंतु जिस चीज़ में कोई कमी नहीं है, वह है पाकिस्तान की उपद्रवी सोच। अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार है, इतना कि वह यूक्रेन को गुप्त तरीकों से हथियारों की सप्लाई करने पर भी प्रतिबद्ध है। क्यों? ताकि कुछ कर्जा मिले।

इस लेख में पढ़िए कि कैसे कंगाल पाकिस्तान रुस- यूक्रेन युद्ध के बीच में डबल गेम खेल रहा है, और कैसे ये अंत में उसी पर भारी पड़ेगा।

इसमें कोई दो राय नहीं कि पाकिस्तान डबल गेम खेलने में कुशल है, अर्थात छल-कपट उसके रग रग में विराजमान है। यह बात रूस यूक्रेन प्रकरण में भी स्पष्ट दिखाई दी। रूस के हमले के बाद  पाकिस्तान  जुलाई 2022 से ही लगातार यूक्रेन को चुपचाप हथियारों की सप्लाई कर रहा है, जिससे स्पष्ट है कि पाकिस्तान युद्ध में पश्चिमी देशों के साथ खड़ा है।

लेकिन चालबाज पाक इस बात को स्वीकारने से मना करता आया है कि उसने यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति की है। यूक्रेन को हथियार मुहैया कराने के मुद्दे पर पाकिस्तान के विदेश प्रवक्ता ने कहा था कि पाकिस्तान संघर्षों में हस्तक्षेप नहीं करता।

परंतु आप शिष्टाचार की आशा भी किससे कर रहे हैं? उस पाकिस्तान से, जो विश्व में किसी भी युद्ध या उपद्रव की स्थिति में टांग अड़ाने को आतुर है? जो देश 1967 के Six Day War में इज़राएल के विरुद्ध इसलिए अपने हवाई जहाज भेजने को तैयार हो गया, ताकि “मुस्लिम भाईचारा” मजबूत रहे, तो उससे निष्पक्षता की आशा करना ही बेमानी है।

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इसके अतिरिक्त 1980 के दशक में अफगानिस्तान में रूस के खिलाफ संघर्ष में इसने अमेरिका का साथ दिया। बाद में 2001 में अमेरिका जब अफगानिस्तान में पहुंचा तो एक बार फिर वह युद्ध में शामिल हो गया।

आपदा में अवसरों की खोज करने का पाकिस्तान का अपना अनोखा तरीका है। कहीं भीख मांगकर काम चलाता है तो कहीं हथियारों की बिक्री करके। कंगाली के संकट से बाहर आने के लिए पाक कुछ भी करने को उतारु है। अब जब कुछ ना हो पाया तो दगाबाज पाकिस्तान ने रूस और यूक्रेन युद्ध को ही अपनी कंगाली दूर करने का जरिया बना लिया।

पाक ने रुस की पीठ में घोंपा छुरा 

ज्ञात हो कुछ की समय पहले पाकिस्तान में भयंकर आटा संकट पैदा गया था। उस समय रूस की तरफ से चार लाख टन से भी ज्‍यादा गेहूं पाकिस्तान भेजा गया था। इतना ही नहीं, जब रूस और यूक्रेन में तनाव प्रारंभ हुआ था, तो सभी को आश्चर्यचकित करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान रूस यात्रा पर निकल पड़े।

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इतना ही नहीं, बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और नकदी संकट से जूझ रहा पाकिस्तान रूस से गेंहू और तेल खरीद रहा है। परंतु जिस देश से भीख में जहां से गेंहू मिल रहा है खाने लिए उसी देश के दुश्मन को हथियार दे रहा है। कर्ज, गरीबी और भुखमरी के दलदल में डूबने के बाद भी पाकिस्तान अपने धूर्त चरित्र से बाहर नहीं निकल पा रहा है। इनके हुक्मरानों को स्वयं ही नहीं पता कि इन्हे आगे जाना कहाँ है?

यूक्रेन की मदद कर रहा है पाक

एक रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी के आखिरी हफ्ते में पाकिस्तान ने यूक्रेन के लिए कराची बंदरगाह से पोलैंड बंदरगाह पर गोला-बारूद के कुछ कंटेनर भेजे हैं। यानी पाकिस्तान रूस के खिलाफ जंग में यूक्रेन की मदद के लिए गोला-बारूद भी भेज रहा है और भूख मिटाने के लिए रूस का आटा भी खा रहा है।

रिपोर्टस के अनुसार पाकिस्‍तान ने पश्चिमी देशों की आर्थिक मदद के बदले यूक्रेन को 44 टी-80यूडी टैंक्‍स देने की पेशकश भी की है। मजे की बात, पाकिस्‍तान ने इन टैंक्‍स को साल 1997 से 1999 के बीच यूक्रेन से ही खरीदा था। यानि तुर्की की भांति यूक्रेन का माल यूक्रेन को ही चिपकाया जा रहा है!

चीन बना रहा है पाक पर दबाव

उधर खबर आ रही है कि चीन पाकिस्तान पर रूस से अच्छे संबंध रखने का दबाव बना रहा है। द डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक कई पाकिस्तानी कंपनियों को अमेरिका की ब्लैक लिस्ट में डाल दिया गया है। इन पाकिस्तानी फर्मों को मिसाइल और न्यूक्लियर से जुड़ी गतिविधियों में संलिप्तता के कारण ब्लैकलिस्ट में डाला गया है।

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वहीं दूसरी ओर मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यूक्रेन को मिल रही पाकिस्तान की मदद से रूस काफी नाखुश है। रिपोर्ट्स के अनुसार, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नेतृत्व वाली रूसी सरकार ने चीन से कहा है कि वह पाकिस्‍तान को समझाए कि वह यूक्रेन का समर्थन करने में पश्चिम देशों के ग्रुप में शामिल न हो।

ऐसे में दगाबाज डबल गेम खेलने की फिराक में है। वो एक तरफ यूक्रेन की मद्द करके पश्चिमी देशों का भला बनना चाहता है जिससे थोड़ी भीख उधर से भी मिल जाए, इधर वो चीन के दबाव को स्वीकारते हुए रुस से भी बिगाड़ना नही चाहता जिससे थोड़ी भीख उधर से भी बराबर आती रहे। लेकिन उसका ये डबल गेम विश्व के सामने आ गया है।

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