जॉर्ज सोरोस को हिन्दू राष्ट्रवादियों से इतना भय क्यों

अराजकता के अघोषित सम्राट और कभी हिटलर का महिमामंडन करने वाले जॉर्ज सोरोस को आजकल भारत से बहुत भय लगता है!

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वैसे तो संसार की कोई वस्तु मुझे नहीं डरा सकती, पर वो….

ये लाइन तो विश्वास मानिए, जॉर्ज सोरोस का गुरुमंत्र होगा। अराजकता के अघोषित सम्राट और कभी हिटलर का महिमामंडन करने वाले इस व्यक्ति को आजकल भारत से बहुत भय लगता है, जैसा कि हम इनके व्याख्यान से समझ भी चुके हैं। परंतु इतना भय कि “हिन्दू राष्ट्रवादियों” को कुचलने के लिए ट्विटर को भड़काना?

आपको इस लेख में जनेगे कि कैसे जॉर्ज सोरोस द्वारा पल्लवित पोषित कंपनी के इशारों पर ट्विटर के पुराने प्रशासनिक बोर्ड ने “हिन्दू राष्ट्रवाद” को मानो अपराध घोषित कर दिया था। तो अविलंब आरंभ करते हैं।

इन दिनों ट्विटर पर मानो बाहर है, यहाँ कोई भी कुछ भी लिख सकता है और अपने विचार सुविधानुसार प्रकट कर सकता है। पर कुछ माह पूर्व ऐसा सोचना भी ट्विटर पे पाप था, विशेषकर इसके प्रशासनिक बोर्ड के लिए, जिसका संचालन भारतीय मूल की टेक्नोक्रेट विजया गड्डे के हाथ में था।

अब ये सुनने में आ रहा है कि जिस प्रकार पूर्व में ट्विटर “हिन्दू राष्ट्रवादियों” या उनसे संबंधित अकाउंट के पीछे हाथ धोकर पड़ी रहती थी, उसके पीछे जॉर्ज सोरोस का भी हाथ है। वो कैसे?

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हाल ही में अटलांटिक काउंसिल का डिजिटल फॉरेंसिक रिसर्च लैब (DFRL) 40 हजार ट्विटर अकाउंट सेंसर करवाना चाहता था। इस लैब को अमेरिकी सरकार से फंड मिलता है। स्वतंत्र पत्रकार और लेखक मैट टैबी (Matt Taibbi) ने अपने ट्विटर फाइल्स के नए संस्करण में इसका खुलासा किया है। इन अकाउंट्स को हिंदू राष्ट्रवाद और विशेष तौर पर बीजेपी से जुड़ा बताते हुए DFRL ने कार्रवाई को कहा था। जी हाँ, आपने बिल्कुल ठीक सुना। यदि अकाउंट भाजपा या सनातन संस्कृति का तनिक भी समर्थन करे, तो उसपर अविलंब कार्रवाई होनी चाहिए, DFRL के अनुसार।

परंतु इसका जॉर्ज सोरोस से क्या नाता, और इससे हमारे देश को किस प्रकार का नुकसान हो रहा था। बता दें कि डीएफआर लैब  को यूएस स्टेट डिपार्टमेंट यानि अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित किया जाता था। बता दें अमेरिकी विदेश विभाग की इकाई के रूप में सूचीबद्ध DFR Lab को अमेरिकी सरकार और ग्लोबल एंगेजमेंट सेंटर (GEC) द्वारा बढ़ावा दिया गया, और GEC को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल के अंतिम वर्षों में बनाया गया था। परंतु जब जॉर्ज सोरोस द्वारा गैर वामपंथी साइट्स को निष्क्रिय करने की साजिश का खुलासा हुआ, तो इस संस्था को जॉर्ज सोरोस से अपने नाते तोड़ने पड़े थे।

तो फिर समस्या क्या है? असल में “ट्विटर फाइल्स” की नई कड़ी के अनुसार, DFRL ने इन अकाउंट्स को बैन या शैडो बैन करने के लिए ट्विटर को ईमेल भेजा था। इससे DFRL की बीजेपी और राष्ट्रवादियों के प्रति घृणा का पता चलता है। टैबी ने दावा किया है कि वर्ष 2021 में डीएफआरएल के मैनेजिंग एडिटर एंडी गारविन ने 40 हजार भारतीय ट्विटर हैंडल्स की लिस्ट जारी कर उन पर भाजपा के वर्कर या पेड कर्मचारी होने और हिंदू राष्ट्र के समर्थक होने का आरोप लगाते हुए बैन या शैडो बैन (पहुँच कम करना) करने की माँग की थी।

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परंतु बात यहीं तक सीमित नहीं थी। इस सूची के अंतर्गत वाराणसी हवाई अड्डे (@AAIVNSAIRPORT), उत्तर प्रदेश सरकार के एमएसएमई विभाग (@upmsme) और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के कार्यालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल को भी सेंसर करने की माँग कर रहा था। वैसे भी, जो देश भारत को तकनीक के परिप्रेक्ष्य में चीन और रूस जैसे “ठग राष्ट्रों” की सूची में एफ़बीआई द्वारा डलवा रहा हो, उसके लिए ये तो बहुत छोटी बात है।

अब टैबी के अनुसार लिस्ट में कुछ ऐसे अमेरिकियों के भी नाम थे, जिनमें से कई का भारत से कोई संबंध नहीं था और भारतीय राजनीति के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। हालाँकि ट्विटर ने उस वक्त इन अकाउंट्स पर कोई कार्रवाई नहीं की थी। ऐसे में जब कुछ उपभोक्ताओं ने इन दोहरे मापदंडों का विरोध किया, तो ट्विटर के तत्कालीन ट्रस्ट एंड सेफ्टी प्रमुख योएल रोथ ने यह कहते हुए ट्विटर अकाउंट्स पर कार्रवाई करने से इनकार कर दिया कि अकाउंट वास्तविक लोगों के हैं।

अब 40 हजार की लंबी लिस्ट में से कुछ ऐसे भारतीयों के अकाउंट की जानकारी मिली है, जिस पर अमेरिकी वित्त पोषित संस्था द्वारा कार्रवाई की माँग की गई थी। इनमें अशोक गोयल, बेबी कुमारी बीजेपी, कपिल मिश्रा, किशोर अजवानी, नवीन कुमार जिंदल, पीयूष गोयल ऑफिस, तजिंदर पाल सिंह बग्गा जैसे भाजपा कार्यकर्ता और राष्ट्रवादियों के नाम शामिल हैं। आप कल्पना कर सकते हैं कि जब ट्विटर को जैक डॉर्सी और विजया गड्डे जैसे लोग चला रहे थे, जिन्होंने बिग टेक को उसका “कुख्यात” रूप दिया, तब ट्विटर पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की धज्जियां कैसे उड़ाई जाती थी?

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परंतु प्रश्न तो अब भी व्याप्त है : जॉर्ज सोरोस को आखिर हिन्दू राष्ट्रवाद से इतना भय क्यों? इसका एक ही कारण है : भारत का बढ़ता वैश्विक कद। इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत का प्रभुत्व अब विश्व का लगभग हर शक्तिशाली देश मानता है। परंतु ये जॉर्ज सोरोस जैसे अराजक्तावाद प्रेमी के लिए किसी दुस्वप्न से कम नहीं, जो भारत को सीरिया और इराक की भांति टूटा और बिखरा हुआ देखना चाहते हैं।

अब जिस प्रकार से भारत मुखर होकर हर वैश्विक मुद्दे पर अपने स्पष्ट विचार रखता है, उससे सोरोस जैसे अराजकतावादियों की बेचैनी हर सीमा लांघ चुकी है, और झल्लाहट में वे खुलकर बोल पड़े कि यदि भारत में लोकतंत्र “जीवित रखना है”, तो मोदी को हटाना ही होगा! अब जब शत्रु हड़बड़ाहट में खुद ही मोर्चा संभालने लगे, तो आधी लड़ाई आप पहले ही जीत चुके हो। अब आवश्यकता है तो जॉर्ज सोरोस की “साफ सुथरी छवि” और उसके पीछे छुपे विनाशकारी अराजकतावादी को बाहर लाने की।

 

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