न घर के न घाट के रहेंगे राहुल गांधी!

ये कैसी चमचागीरी है?

राहुल गांधी

“सिर्फ हंगामे खड़े करना मेरा मकसद नहीं, बल्कि इतना है कि कुछ सूरत बदलनी चाहिए”

दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों को कांग्रेस ने कुछ अलग ही तरह से आत्मसात किया, जिसका दुष्परिणाम राहुल गांधी को भुगतना पड़ रहा है। जैसा कि पूर्व में बताया था, राहुल गांधी अपने बड़बोलेपन के कारण संसद की सदस्यता से हाथ धो बैठे हैं।

परंतु अगर कुछ कांग्रेसी हितैषियों की बात इन्होंने मानी, तो शायद महोदय को अपने घर बार से भी हाथ धोना पड़ सकता है। हाल ही में एक न्यूज क्लिप वायरल हो रही थी, जिसमें कांग्रेसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दावा किया कि यदि राहुल गांधी को उनके आवास से निकालने की नौबत आई, तो वे खड़गे के घर में रुक सकते हैं, और वे “नौकरों” के क्वार्टर्स में भी उनके लिए शिफ्ट हो जाएंगे।

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अब यह दावा शत प्रतिशत तो सत्य नहीं है, परंतु मल्लिकार्जुन खड़गे ने इससे कुछ अलग भी नहीं कहा है। उनके बयान के अनुसार, “राहुल गांधी को उनके घर से निकालने का किसने इन्हे [मोदी सरकार को] अधिकार दिया है? अगर ऐसा होता है तो उनका स्वागत है, वे चाहे तो मेरे घर पर भी रुक सकते हैं”।

यह विचार कांग्रेस के दृष्टिकोण से तो स्वागत योग्य है, परंतु कोई इस बात पे क्यों नहीं ध्यान दे रहा है कि राहुल के पास अब भी कानूनी विकल्प उपलब्ध है, और वे स्टे लगवा सकते हैं? क्या कांग्रेस इतनी ही हठी है, या वे जानबूझकर राहुल गांधी की बलि चढ़ाने पर उतारू है? कम से कम कांग्रेस कार्यालय से लेकर लाल किले तक प्रदर्शन में तो यही प्रतीत होता है।

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