पक्षपाती विदेशी मीडिया को राहुल गाँधी का “गुप्त” टेलीग्राफ

मोदी विरोध में "राहुल बाबा" और वामपंथी मीडिया हुई एक

राहुल गाँधी

कांग्रेस पार्टी के चश्मोचिराग और गाँधी परिवार के राजकुमार राहुल भारत जोड़ों यात्रा की समाप्ति के बाद विदेश यात्रा पर निकल गए। जहां उन्होंने जमकर भारत में लोकतंत्र के खतरे का रोना रोया। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में कांग्रेस के युवा नेता राहुल गाँधी ने दावा किया कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है।

राहुल गाँधी ने वहां के लोगों से प्रश्न किया कि क्या आपको पता है कि हमारे देश में विपक्ष के पास कोई आवाज़ नहीं है? उन्हे सदैव निगरानी में रखा जाता है? मोदी सरकार ने कई विपक्षी नेताओं के फोन और लैपटॉप पर पेगासस सॉफ्टवेयर लगाया हुआ है, मेरे फोन पर भी था। आपको पता नहीं कि कैसे भारत में विपक्ष को उसके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है!”

भारत की बढ़ती शक्ति से परेशान है ब्रिटिश मीडिया

यानि कांग्रेस के चश्मोचिराग राहुल गाँधी ने भारत का दुश्प्रचार करने में कोई कोर कसर नही छोड़ी। ये सर्वविदित है भारत की वैश्विक शक्ति में लगातार उछाल आ रहा है। आर्थिक शक्ति से सैन्य शक्ति तक में भारत नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। भारत की कूटनीति का लोहा आज पूरा विश्व मान रहा है। भारत आज  विश्व की कथित महाशक्तियों की इशारों पर ना चलते हुए अपने हितों पर ध्यान केंद्रित करके निर्णय लेने की ताकत रखता है।

ऐसे में राहुल गाँधी ने भारत विरोधी दुष्प्रचार करके मोदी और भारत विरोधी ताकतों को माहौल बनाने का मौका दे दिया है। हाल ही वामपंथी मीडिया द टेलीग्राफ ने एक लेख में लिखा है कि भारत में अल्पसंख्यों के साथ अच्छा व्यवहार नही हो रहा है। टेलीग्राफ में लिखा है कि जिस तरह मोदी का वर्चस्व लगातार बढ़ रहा है।

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रुस के साथ भारत अपने संबंध मजबूत कर रहा है। तो एक समय ऐसा आएगा कि मोदी को रोकना बहुत मुश्किल हो जाएगा। टेलीग्राफ में कुछ इस तरह दर्शाया गया है कि भारत की वृद्धी दुनिया के हानिकारक है। 12 मार्च को प्रकाशित इस लेख में भारत और रूस के रिश्तों तथा भारत और पश्चिमी देशों के रिश्तों की भी बात की गई है।

इस लेख में भारत का पश्चिमी दबाव में आए बिना अपने स्टैंड को यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर सामने रखने पर निशाना साधा गया है। ब्रिटिश मीडिया का मानना है कि जहाँ चीन द्वारा रूस का समर्थन करने पर उसकी आलोचना होती आई है, वहीं भारत इससे अछूता रहा है। इस लेख से भारत की बढ़ती शक्ति ब्रिटिश मीडिया घबराया हुआ प्रतीत होता है।

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