Manish Sisodia, Satyendar Jain resign: अचानक केजरीवाल ने सिसोदिया-जैन को कैबिनेट से निष्कासित क्यों कर दिया?

कल तक सिसोदिया के लिए क्रांति करने की बात कर रहे थे!

Manish Sisodia Satyendar Jain resign

Source: Amar Ujala

Manish Sisodia, Satyendar Jain resign: राजनीति में छवि बनाने और छवि चमकाने के लिए राजनीतिक दल कई तरीके अपनाते हैं। अलग-अलग तरीकों के द्वारा नेता जनता के बीच अपने आपको और अपनी पार्टी को ले जाते हैं। कोई जनकल्याण की बातें करता है- कोई गरीबी हटाने की बातें करता है, कोई क्रांति करने की बातें करता है लेकिन अरविंद केजरीवाल अलग ही मिट्टी के बने हैं।

इस लेख में पढ़िए, कैसे केजरीवाल एक अनोखी स्कीम चला रहे हैं, जिसके सबसे बड़े लाभार्थी वो स्वयं ही हैं।

सिसोदिया-जैन का त्यागपत्र

हम शुरू से ही आपको बताते आ रहे हैं कि मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से अरविंद केजरीवाल को ही लाभ होगा, और अब यह दिखने भी लगा है। शराब घोटाले में सिसोदिया 4 मार्च तक सीबीआई रिमांड हैं, इस बीच एक समाचार (Manish Sisodia, Satyendar Jain resign) सामने आया कि सिसोदिया और जेल में बंद सत्येंद्र जैन ने अपने-अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दोनों के इस्तीफे स्वीकार भी कर लिए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सौरभ भारद्वाज और आतिशी मारलेना केजरीवाल की कैबिनेट में नए मंत्री बन सकते हैं।

ऐसे में अब प्रश्न यह है कि Manish Sisodia, Satyendar Jain resign से केजरीवाल को क्या लाभ होगा और ऐसी कौन-सी PR स्कीम है, जिसके निर्माता और लाभार्थी केवल केजरीवाल हैं। इसके लिए हमें पहले मामले की गंभीरता को समझना होगा।

मनीष सिसोदिया ने अपनी गिरफ्तारी और सीबीआई की कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कॉन्ग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने सिसोदिया की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी और जमानत की माँग की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजीआई की बेंच ने मनीष सिसोदिया को जमानत देने से इनकार करते हुए हाईकोर्ट जाने की सलाह दी।

केजरीवाल बदल क्यों गए?

स्वयं मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने सिसोदिया के वकील एएम सिंघवी से कहा, “आपने याचिका में अर्णब गोस्वामी और विनोद दुआ के केस का हवाला दिया। दोनों केस बिलकुल अलग हैं। आपको निचली अदालत से जमानत लेनी चाहिए। एफआईआर रद्द करवाने के लिए हाईकोर्ट जाना चाहिए। हम इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। ये मामला दिल्ली में हुआ इसका अर्थ ये नहीं कि आप इसे सीधे सुप्रीम कोर्ट ले आएं।”

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मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन, केजरीवाल सरकार के दो सबसे महत्वपूर्ण मंत्री थे- और अब दोनों ही जेल में बंद हैं। दोनों ही मंत्रियों के पास करीब 40 प्रतिशत मंत्रालय थे, अकेले सिसादिया के पास शिक्षा समेत 18 मंत्रालय थे।

ऐसे में यह कहना अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं होगा कि भले ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हो, परंतु सरकार अनाधिकारिक रूप से मनीष सिसोदिया ही चला रहे थे।

अब एक प्रश्न यह है कि जो केजरीवाल मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के विरुद्ध आंदोलन करने के लिए तैयार थे- जो केजरीवाल सिसोदिया की गिरफ्तारी के विरुद्ध मोर्चा खोले हुए थे। अचानक उन्होंने सिसोदिया को कैबिनेट से निष्कासित क्यों कर दिया?

यह प्रश्न इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इन्हीं की कैबिनेट के मंत्री सत्येंद्र जैन पिछले कई महीनों से जेल में बंद हैं लेकिन केजरीवाल ने अबतक जैन को मंत्री पद से नहीं हटाया था- केजरीवाल ने भले ही उनके मंत्रालयों का कार्यभार सिसोदिया को दे दिया था लेकिन जैन से इस्तीफा नहीं लिया था- और दूसरी तरफ सिसोदिया के जेल जाने के दूसरे ही दिन उन्हें कैबिनेट से निकाल देना, कई प्रश्न खड़ा करता है- क्या इसका अर्थ यह है कि केजरीवाल सिसोदिया के जेल जाने की ही प्रतीक्षा कर रहे थे- जिससे कि उन्हें मंत्रालय से निकालकर दूसरे लोगों को मंत्री बना पाएं?

प्रश्न यह भी है कि क्या केजरीवाल ने एक बार फिर अपना वास्तविक रूप दिखा दिया है कि जो भी केजरीवाल के लिए थोड़ा-सा भी ख़तरा बनता है, केजरीवाल उसे किनारे कर देते हैं। अब आप कहें कि आबकारी घोटाले सि केजरीवाल को क्या खतरा?

घोटाला तो मनीष सिसोदिया के आबकारी मंत्री रहते हुए हुआ है तो जिम्मेदारी तो सिसोदिया की बनी- आप सही कह रहे हैं लेकिन इतना बड़ा वित्तीय लेन-देन बिना पार्टी प्रमुख और मुख्यमंत्री की सहमति के संभव नहीं है, ऐसे में केजरीवाल के अंदर भी कहीं ना कहीं बड़ा डर बैठा है।

के. कविता के ऊपर गिरफ्तारी की तलवार

यह डर इसलिए भी बड़ा है, क्योंकि ईडी और सीबीआई इस पूरे मामले में किसी को छोड़ने के मूढ़ में नहीं हैं- जांच एजेंसियां निरंतर इस मामले में अपनी जांच को आगे बढ़ा रही हैं, ऐसे में अटकलें ऐसी भी लग रही हैं कि सीबीआई किसी भी समय तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर की पुत्री और तेलंगाना विधान परिषद् की सदस्य के. कविता को भी गिरफ्तार कर सकती है।

के. कविता का नाम भी शराब  घोटाले  के आरोपियों में शामिल है। ईडी ने अपनी जांच में पाया है कि के. कविता ने कारोबारी के माध्यम से आम आदमी पार्टी के नेताओं को करोड़ो रुपये दिलवाए हैं।

इसके साथ ही ईडी ने गुरुग्राम के कारोबारी अमित अरोड़ा को शराब घोटाले में गिरफ्तार किया था, अमित अरोड़ा मनीष सिसोदिया का करीब बताया जाता है। उस वक्त ईडी ने बताया  था कि अरोड़ा ने के. कविता से दो अलग-अलग नंबरों से 10 बार संपर्क किया।

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ऐसे में यदि के. कविता की भी गिरफ्तारी होती  है तो यह अरविंद केजरीवाल के लिए एक और बड़ा झटका होगा, और यदि इस मामले में केजरीवाल का कोई कनेक्शन भी सामने आ जाता है तो अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक करियर पर दाग लगना तय है।

इसके अतिरिक्त सीबीआई मनीष सिसोदिया से अन्य आरोपितों व डिजिटल सबूतों को लेकर भी पूछताछ कर रही है। दरअसल, शराब घोटाले के आरोपितों ने 170 फोन बदले थे, अकेले सिसोदिया ने 14 फोन बदले थे। जाँच एजेंसियों का मानना है कि इन फोन्स में ही महत्वपूर्ण सबूत थे। इसलिए सिसोदिया समेत अन्य आरोपितों ने इन्हें नष्ट कर दिया।

ऐसे में केजरीवाल का प्लान बड़ा सिम्पल है: जो भी रास्ते का कांटा बने, या तो उससे दूर रहो, या फिर उसे ऐसे हटाओ कि नाम इन्ही का हो, वही केजरीवाल ने मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia, Satyendar Jain resign) के साथ भी किया है।

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