हिन्द महासागर सामरिक दृष्टि से भारत के लिए ही नही अपितु पूर्व विश्व के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से है। इसकी महत्ता का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि पूरे विश्व का 80 प्रतिशत तेल व्यापार इस क्षेत्र से होकर गुजरता है। ऐसे में वैश्विक दृष्टी से इसकी रणनीतिक अहमियत कितनी है इसी बात से प्रतिबिम्बित होती है। यह दुनिया का एकमात्र महासागर है जिसका नामकरण एक देश के नाम पर हुआ है।
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इस क्षेत्र में भारत का दबदबा है। चीन की महत्वकांक्षाएं हमेशा से इस क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित करने की रही है। लेकिन भारत की इस क्षेत्र में उपस्थिती उसके लिए बड़ी चुनौती रही है। जहां अब एक बार फिर इस क्षेत्र को लेकर चीन की टेंशन बढ़ गई है। दरअसल, हिंद महासागर में अमेरिका, फ्रांस, जापान, भारत सहित दुनिया के 5 बड़े देशों ने नौसैनिक एक्सरसाइज ला पेरोस अभ्यास किया है। इस अभ्यास का उद्देश्य भारत-प्रशांत क्षेत्र में भाग लेने वाली नौसेनाओं के बीच जागरूकता और समुद्री सहयोग में सुधार करना है।
हिंद महासागर में पांच शक्तिशाली देशों की सेना का संयुक्त युद्धाभ्यास
इस क्षेत्र में चीन के लिए दूसरी सबसे बड़ी चुनौती है QUAD, जो भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे ताकतवर देशों का एक समूह है जिसका प्रमुख उद्देश्य समुद्री रास्तों से आपसी व्यापार बनाना और हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के वर्चस्व को कम करना है।
जहां अब चीन की चिंताएं और बढ़ने वाली है क्योंकी फ्रांस के नेतृत्व में पांच देशों का नौसैनिक एक्सरसाइज ला पेरोस अभ्यास मंगलवार को खत्म हो गया है। एक्सरसाइज ला पेरोस का ये तीसरा संस्करण था। इस अभ्यास में भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान की नौसेना के जहाज फ्रांसीसी नौसेना के हेलीकॉप्टरों के बेड़े ने भाग लिया।
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इस अभ्यास में रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी, फ्रेंच नेवी, इंडियन नेवी, जापानी मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स, रॉयल नेवी और यूनाइटेड स्टेट्स नेवी के कर्मियों, जहाजों और इंटीग्रल हेलीकॉप्टरों ने भागीदारी ली। ये अभ्यास हिंद महासागर को लेकर चीन की महत्वकांक्षाओं पर परहार है। इन पांच शक्तिशाली देशों की सेना के संयुक्त युद्धाभ्यास को चीन की टेंशन बढ़ाने वाला अभ्यास के रुप में देखा जा रहा है।
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