American intelligence report: जब आपके प्रतिद्वंदी भी आपकी क्षमताओं का बिना लाग लपेट उल्लेख करने लगे, तो समझ जाइए आपमें कुछ तो बात है। अमेरिका और भारत के कूटनीतिक संबंधों से कोई अनभिज्ञ नहीं है, विशेषकर इस बात से कि कैसे पाकिस्तान के विषय पर दोनों में आर या पार जैसी लड़ाई की नौबत आ सकती है। परंतु इस बार मामला कुछ अलग है। अमेरिका भी समझ चुका है कि वर्तमान का भारत सैन्य भिड़ंत में भारत पाकिस्तान को कहीं का नहीं छोड़ेगा, और यहाँ पर अमेरिका चाहकर भी कुछ नहीं कर पाएगा। तो अविलंब आरंभ करते हैं।
पाकिस्तान को कहीं का नही छोड़ेगा भारत
दरअसल, हाल ही में अमेरिका की एक इंटेलिजेंस रिपोर्ट (American intelligence report) सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बनी हुई है। इसी इंटेलिजेंस रिपोर्ट के एक अंश अनुसार अमेरिका का मानना है कि अगर युद्ध जैसी स्थिति आई, तो भारत इस बार पाकिस्तान को कहीं का नहीं छोड़ेगा। अगर पाकिस्तान एक वार करेगा, तो भारत इतने वार करेगा कि पाकिस्तान किसी योग्य नहीं रहेगा और कश्मीर के विषय पर सिक्का भारत का ही चलेगा।
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इसका अर्थ ये हुआ कि अमेरिका भी कहीं न कहीं ये मानता है कि यदि युद्ध की स्थिति हुई, तो भारत पाकिस्तान को कहीं का नहीं छोड़ेगा और इस स्थिति में अमेरिका भी चाहकर कुछ नहीं कर पाएगा, ऐसा क्यों है? इसके पीछे अनेक कारण है। सर्वप्रथम है पाकिस्तान की वर्तमान स्थिति। पाकिस्तान की आर्थिक हालत इतनी खस्ताहाल है कि चीन को छोड़कर सबने हाथ खड़े कर दिए हैं। कोई भी वित्तीय संस्थान पाकिस्तान की मद्द करने को तैयार नही है। यहाँ तक कि सऊदी अरब समेत मिडिल ईस्ट के अनेक देश भी पाकिस्तान से कन्नी काट रहे हैं।
ऐसे में अमेरिका अगर किसी भी प्रकार की सहायता पाकिस्तान को देगा, तो नुकसान अंत में उसे का ही है।
परंतु यदि ऐसा ही होता, तो अमेरिका FATF की ग्रे सूची से पाकिस्तान को निकलवाता ही क्यों?,
दरअसल, इसके पीछे है अमेरिका की कूटनीति, 2022 में जब रूस और यूक्रेन में तनाव प्रारंभ हुआ, तो अमेरिका को लगा कि “वैश्विक शांति” के नाम पर वह भारत को अपने पाले में कर लेगा, और अगर कुछ नहीं हुआ तो पाकिस्तान को अपनी ओर आकृष्ट करके वह भारत पर दबाव बनाने में सफल रहेगा।
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American intelligence report: भारत की कूटनीति के आगे कुछ नही कर पाया अमेरिका
परंतु ये दांव उल्टा पड़ा, और “वैश्विक शांति” के नाम पर भारत ने अमेरिका को कूटनीति का वो ककहरा सिखाया, कि आज भी अमेरिकी प्रशासन रूस के विषय पर भारत से सीधे मुंह बात करने की स्थिति में नहीं है। चाहे चेतावनी हो, या फिर आर्थिक प्रतिबंध की धमकी, भारत के कानों पर जूँ तक नहीं रेंगी। आज स्थिति यह है कि जी 20 में भी अमेरिका इसलिए भारत आ रहा है, ताकि कैसे भी करके वह उसे रूस पर अपनी विचारधारा का समर्थन करने के लिए मनवा ले।
परंतु एक कारण और भी है, जो घरेलू है, और जिसके पीछे अमेरिका का वर्तमान प्रशासन भी काफी सचेत है। जो बाइडन की जैसी नीतियाँ रही है, उससे सत्ता परिवर्तन के आसार प्रबल लगते हैं। 2024 में अमेरिकी संसद एवं अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव होने हैं।
इसके अतिरिक्त अभी कुछ ही समय पूर्व विपक्षी पार्टी यानि रिपब्लिकन पार्टी की सांसद एवं राष्ट्रपति पद के लिए अपने आप को दावेदार बता रही निक्की हेली ने स्पष्ट किया कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आई, तो वह सबसे पहले चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को वित्तीय सहायता बंद करवाएगी। उनके अनुसार ऐसे देशों को कोई भी समर्थन नहीं मिलना चाहिए, जो अमेरिका, और भारत जैसे सहयोगियों का आतंकवाद से जीना मुश्किल कर दें।
अब इससे एक संदेश तो स्पष्ट जाता है कि भारत को हल्के में लेने का जोखिम अमेरिका में कोई नहीं उठाना चाहता। रूस यूक्रेन युद्ध और उससे पूर्व के कई अवसरों पर भारत ने ये सिद्ध कर दिया है कि अमेरिका ने यदि भारत के शत्रुओं को बढ़ावा दिया, तो भारत अमेरिका से कोई मतलब नहीं करेगा, और ऐसा करना कूटनीतिक तौर पर अमेरिका के लिए बहुत हानिकारक होगा। ऐसे में वर्तमान इंटेलिजेंस रिपोर्ट (American intelligence report) का संदेश स्पष्ट है : भारत की चेतावनी को अमेरिका गंभीरता से लेता है, और साथ ही साथ कश्मीर के विषय पर उसका प्रभुत्व भी स्वीकारता है।
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