जब एक एड ने एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को शंकर महादेवन बनाया
“कुछ खास है हम सभी में,
कुछ बात है हम सभी में….”
मेरे प्यारे मित्रों, अगर ये गीत आपने बचपन में नहीं सुना है, तो संभवतः आपका दोष तो नहीं कहा जायेग , परंतु हाँ आपका बचपन कुछ् मोहक गाने और उत्तम विज्ञापन के प्रस्तुतीकरण से वन्चित जरूर रह गाय है. क्षमा करे परन्तु यहि सत्य है. एक समय था जब फिल्मों से अधिक रचनात्मकता हमारे विज्ञापनों में होती थी, और उनके गीत, जितना भी सुन लो, मन न भरे। जिस गीत के बोल की हम बात कर रहे हैं, उसने कैडबरी के “डेरी मिल्क” को देश के कोने कोने में लोकप्रिय बना दिया, और साथ ही साथ एक सामान्य सॉफ्टवेयर इंजीनियर को जीवन में नई दिशा भी दी।
इस लेख मे आपको आपको अवगत करयेगे कि कि कैसे एक विज्ञापन ने एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को संगीत के क्षेत्र में हाथ आजमाने के लिए प्रेरित किया, और कैसे वह भारत के अनोखे संगीतकारों में से एक बन गये , जी हा ये संगीतकार शंकर महादेवन बने।
90 के दशक का , वे “डेरी मिल्क” विज्ञापन
90 के दशक का अनुभव जिन्होंने भी किया है, वे “डेरी मिल्क” के उस विज्ञापन से अवश्य परिचित होंगे, जहां पर एक क्रिकेटर अपने शतक और मैच को जिताने हेतु एक दमदार शॉट खेलता है, और कैसे “डेरी मिल्क” खाते हुए उसकी प्रेमिका इसका उत्सव मनाती है परन्तु बहुत कम लोग इस बात से परिचित होंगे कि ये गीत शंकर महादेवन ने गाया था, जिससे उनको सर्वप्रथम लाइमलाइट मिली थी।
आपको आश्चर्य होग की शंकर महादेवन के लिए संगीत पहली प्राथमिकता नहीं थी। 3 मार्च 1967 को मुंबई के चेंबूर में जन्मे शंकर महादेवन एक तमिल परिवार से नाता रखते हैं, जिनका मूल निवास एक समय पर पलक्कड़ था। वे 10 वर्ष के भी नहीं हुए थे, जब उनका परिचय अनेक तमिल परिवारों की भांति शास्त्रीय संगीत से हुआ। परंतु शंकर महादेवन ऐसे थे कि केवल पाँच वर्ष की आयु में उन्होंने वीणा वादन में दक्षता प्राप्त की।
बताते चले की ललिता वेंकटरमन, पंडित श्रीनिवास काले एवं टी आर बालमणि जैसे विशेषज्ञों से उन्होंने संगीत में शिक्षा दीक्षा ग्रहण की।
परंतु जल्द ही हर मध्यम वर्गीय परिवार की भांति शंकर के पास भी दो विकल्प थे – या तो डॉक्टर बनो, या फिर इंजीनियर। शंकर महादेवन ने इंजीनियरिंग का मार्ग अपनाया और वे शीघ्र ही रामराव आडिक प्रादयौगिकी संस्थान से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में स्नातक हुए, और शीघ्र ही लीडिंग एज सिस्टम्स [अब ट्रिजिन टेक्नॉलॉजीज़ लिमिटेड] (Trigyn Technologies Limited) में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में जुड़ गए।
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परंतु जो नाता संगीत से बचपन में जुड़ा था, उसे वे तोड़ ही नहीं पाए। जल्द ही शंकर ने संगीत के क्षेत्र में हाथ आजमाने का निर्णय लिया, और 1993 आते आते वे संगीतकार बनने चल पड़े। इसी बीच उनके पास एक विज्ञापन का गीत गाने का अवसर आया, जिसे उन्होंने हाथों हाथ लिया। यही था वो “डेरी मिल्क” का बहुचर्चित विज्ञापन, जिसने रातोंरात शंकर महादेवन को प्रसिद्धि दिलाई, और आज भी कई प्रशंसक केवल उस गीत को सुनने के लिए यूट्यूब पर इस एड को खोजते फिरते हैं।
“ब्रेदलेस” गीत
परंतु कथा यहीं खत्म नहीं होती। शंकर महादेवन को उनके संगीत के चलते कई ऑफर मिलने लगे। वे केवल गीत गाने में नहीं, संगीत रचने में भी बहुत निपुण थे, और जल्द ही ‘ब्रेदलेस’ नामक एल्बम से इन्हे 1998 में इंडीपॉप क्षेत्र में पदार्पण करने का अवसर मिला।
बहुत कम लोगों को इस बारे में पता है कि इसी एल्बम के शीर्षक गीत से फरहान अख्तर और जोया अख्तर का करियर भी प्रारंभ हुआ था, क्योंकि दोनों ने इसके म्यूज़िक वीडियो डायरेक्ट किये थे। हो भी क्यों न, इसके गीत उनके पिता जावेद अख्तर जो लिखे थे।
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परंतु सारी लाइमलाइट ले गए शंकर महादेवन, जिन्होंने लगभग 3 मिनट तक बिना रुके, बिना एक सांस लिए “ब्रेदलेस” गीत को पूरा किया, और उनकी चर्चा चहुंओर होने लगी। जी हाँ, हम उसी गीत की बात कर रहे हैं जिसके बोल थे, “कोई तो मिला जो मुझे ऐसा लगता था….” इस एल्बम के 3 लाख से भी अधिक कॉपी बिके, और कई समय तक इसका शीर्षक गीत देश के लगभग हर म्यूज़िकल चार्ट्स में शीर्ष पर रहा।
आज शंकर महादेवन देश के सबसे बहुचर्चित संगीतकारों में से एक है, जिनके संगीत और उनके सुरों को सब नमन करते हैं, क्योंकि जो व्यक्ति एक विज्ञापन को नेशनल सेन्सेशन बना सकता है, उसमें कुछ तो बात अवश्य होंगी।
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