तुनक तुनक तुन: आलोचना हमारे जीवन का उतना ही अभिन्न अंग है, जितना सूर्योदय, सूर्यास्त इत्यादि। परंतु कुछ लोग कभी कभी आलोचना के नाम पर या तो आवश्यकता से अधिक आक्रामक हो जाते हैं, या फिर आलोचना के बाद में खुद का आत्मसम्मान खो देते हैं। और ये दोनों होई गलत है।
पर यह तो दुनिया है, यहाँ आदर और अनादर तो लगा रहेगा। पर इन सब के बीच जब दुनिया आक्षेप लगाए तो आप उस आक्षेप का आजीवन रोना रो सकते हो, या फिर दलेर मेहंदी की भांति एक ब्लॉकबस्टर गीत बना सकते हो।
इस लेख में पढ़िए कैसे दलेर मेहंदी एक आरोप को चुनौती के रूप में लेते हुए विश्वप्रसिद्ध गीत “तुनक तुनक तुन” की रचना की, जो आज भी भारतीय संगीत का एक “आइकन गीत” माना जाता है।
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पटना से इंडिपॉप के शिखर तक
अगर आप संगीत प्रेमी हो, और “तुनक तुनक तुन” के बारे में नहीं जानते, तो क्या खाक संगीत सुना है आपने? आज भी इस गीत के बिना लगभग हर भारतीय उत्सव अधूरा है। 1967 में पटना में जन्मे दलेर मेहंदी को संगीत में विशेष रुचि थी।
1991 में अपनी मित्रों एवं भ्राताओं की मंडली बनाते हुए उन्होंने संगीत के क्षेत्र में कदम रखा। 1995 में इनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर म्यूज़िक कंपनी MagnaSound ने इनके साथ तीन एल्बम का अनुबंध किया। इसके अंतर्गत उसी वर्ष इनका प्रथम एल्बम आया, “बोलो ता रा रा रा”।
ये वो समय था जब इंडिपॉप यानि वैकल्पिक भारतीय संगीत ने भारत में अपनी जड़ें जमाई थी। बाबा सहगल, अलिशा चिनाय और लकी अली जैसे संगीतज्ञ इस क्षेत्र में अपनी प्रतिभा को निखारने में लगे हुए थे। परंतु दलेर मेहंदी ने पंजाबी लोकगीत का वो तड़का लगाया कि उनकी पहली ही एल्बम 2 करोड़ से अधिक कॉपी के विक्रय में सफल रही। इसमें 10 लाख कॉपी तो केरल में ही रातोंरात बिक गई।
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कैसे एक आरोप ने किया दलेर को प्रेरित
धीरे धीरे दलेर मेहंदी का नाम चहुंओर गूंजने लगा, और वे भारतीय संगीत के सबसे लोकप्रिय कलाकारों में से एक बनने लगे। परंतु उनके जितने प्रशंसक थे, उतने ही आलोचक भी। दलेर मेहंदी पर आरोप लगने लगा कि उनकी कोई विशेष प्रतिभा नहीं है, वह इसलिए लोकप्रिय होते हैं क्योंकि उनके वीडियो में आकर्षक लड़कियां होती हैं।
यह आरोप दलेर मेहंदी को काफी चुभा। परंतु आज के गायकों की भांति उन्होंने बात का बतंगड़ नहीं बनाते हुए इसे एक चुनौती के रूप में लिया। अपने अगले एल्बम के प्रमुख वीडियो के लिए उन्होंने एक क्रांतिकारी निर्णय लिया। इस वीडियो में उनके अलावा कोई अन्य कलाकार नहीं होगा, और यह अत्याधुनिक तकनीक से शूट होगा।
बस, यहीं से “तुनक तुनक तुन” की नींव पड़ गई। ये Chroma Key तकनीक यानि ग्रीनस्क्रीन / ब्लूस्क्रीन में शूट होने वाला प्रथम भारतीय गीत था। इसमें दलेर मेहंदी एक नहीं, चार रोल यानि पृथ्वी के चार तत्वों के प्रतीक के रूप में सामने आए।
यह गीत 1998 में प्रदर्शित हुआ, और इसे भी प्रारंभ में कुछ स्वघोषित क्रिटिक्स की आलोचना का सामना करना पड़ा। राष्ट्रीय सहारा नामक पत्रिका ने इस गीत को औसत सिद्ध किया। परंतु धीरे धीरे युवाओं में ये गीत बहुत लोकप्रिय होने लगा, और क्या विवाह, क्या स्कूल समारोह, लगभग हर अवसर पर इस गीत को जमकर बजाया जाने लगा।
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आज भी तुनक तुनक तुन का कोई जवाब नहीं
“तुनक तुनक तुन” की लोकप्रियता आज जिस प्रकार सर्वत्र विश्व में व्याप्त है। इसे सुनकर कौन कहेगा कि ये गीत 25 वर्ष पुराना है? “तुनक तुनक तुन” ने न केवल दलेर मेहंदी को कल्ट स्टेटस प्रदान किया, अपितु ये भी सिद्ध किया कि कैसे किसी भी आक्षेप को सकारात्मक रूप में लेकर कल्ट क्लासिक रचा जा सकता है।
एक समय हुआ करता था जब भारत प्रमुख रूप से केवल दो वस्तुओं के लिए जाना जाता था : गांधी और ताजमहल, और ज्यादा से ज्यादा गरीबी। परंतु इस भ्रम को तोड़ने में सर्वप्रथम सफलता “तुनक तुनक तुन” ने सफलता प्राप्त की। ये गीत वर्षों तक कई म्यूज़िक चार्टस में अव्वल स्थान पर रहा, और ये गीत अपने आप में बहुपयोगी है। मीम हो, शादी के गीत हों, या फिर कोई अन्य उत्सव, बस “तुनक तुनक तुन” लगाइए और आनंद लीजिए.
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