Sahara Refunds: सहारा के घोटाले ने एक समय पूरे देश को हिलाकर रख दिया। कभी देश की क्रिकेट टीम को स्पॉन्सर करने से लेकर अनेकों उद्योगों में हाथ आजमाने और फिर घोटालों के आरोप से घिरने तक, इस कंपनी और इसके संस्थापक सुब्रत रॉय का करियर विवादों से परिपूर्ण रहा है। परंतु सहारा इंडिया की बेवकूफियों का दुष्परिणाम अब इस कंपनी के पूर्व निवेशकों को नहीं भुगतना पड़ेगा।
इस लेख में पढियेकि कैसे सहारा इंडिया के वित्तीय अनियमितताओं का दुष्परिणाम भुगतने वाले निवेशकों को शीघ्र ही अब न्याय (Sahara Refunds) मिलेगा।
Sahara Refunds: सहारा के 10 करोड़ निवेशकों को मिलेगा न्याय
हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में सहारा इंडिया के निवेशकों को उनके लंबे समय से अटके हुए धन के बारे में एक सुखद खबर प्राप्त हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इन निवेशकों का हिसाब चुकाने हेतु 5000 करोड़ रुपये के फंड निकासी को स्वीकृति (Sahara Refunds) दी है।
तो इसमें खास क्या है? ये खास इसलिए है क्योंकि यह पहल केंद्र सरकार के सहकारिता मंत्रालय द्वारा उठाई गई। उनके अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने 25000 करोड़ रुपये के सहारा और SEBI के संयुक्त फंड में से निवेशकों का बकाया चुकाने हेतु 5000 करोड़ रुपये के विशेष फंड्स (Sahara Refunds) की स्वीकृति दी है।
इसी के संबंध में कुछ दिनों पूर्व अमित शाह ने ट्वीट भी किया,
“कई सालों से अपनी मेहनत की जमापूंजी के लिए परेशान 10करोड़ लोगों के लिए ऐतिहासिक निर्णय… सुप्रीम कोर्ट ने सहकारिता मंत्रालय के आग्रह पर सहारा ग्रुप की 4 समितियों में जमा निवेशकों की राशि लौटाने का निर्देश दिया। मोदीजी सहकारिता से जुड़े लोगों के हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध हैं”।
कई सालों से अपनी मेहनत की जमापूंजी के लिए परेशान 10करोड़ लोगों के लिए ऐतिहासिक निर्णय…
सुप्रीम कोर्ट ने सहकारिता मंत्रालय के आग्रह पर सहारा ग्रुप की 4 समितियों में जमा निवेशकों की राशि लौटाने का निर्देश दिया।
मोदीजी सहकारिता से जुड़े लोगों के हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध हैं। pic.twitter.com/rTVIXMy8AK
— Amit Shah (Modi Ka Parivar) (@AmitShah) March 30, 2023
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मूल समस्या क्या थी?
परंतु सहारा ने ऐसा क्या कारनामा किया कि बात उसके 10 करोड़ निवेशकों के रोजी रोटी पर बन आई? 1978 में एक सहकारिता सोसाइटी के रूप में प्रारंभ हुए सहारा ग्रुप से सुब्रत रॉय जुड़े थे। पियरलेस ग्रुप नामक वित्तीय संस्था का मॉडल अपनाते हुए सहारा ग्रुप ने छोटे छोटे राशि पर लोगों से डिपॉज़िट लेना प्रारंभ किया। विशुद्ध रूप से सहारा ग्रुप एक Residuary Non Banking Company थी, जिसने धीरे धीरे हवाई जहाज़ से लेकर फिल्म प्रोडक्शन, रिएल एस्टेट, रिटेल उद्योग, यहाँ तक कि आईपीएल में भी अपना हाथ आजमाना प्रारंभ कर दिया।
परंतु 2014 में सहारा की उद्यमी छवि को तब झटका लगा, जब वित्तीय अनियमितताओं के पीछे सुप्रीम कोर्ट ने के आदेश पर सहारा प्रमुख को उनकी कंपनी के दो निदेशकों के साथ जेल में डाल दिया गया था. उन्हें 4 मार्च 2014 को तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। अभी सुब्रत रॉय पैरोल पर बाहर है, परंतु उनपर निवेशकों के 20,000 करोड़ रुपये ब्याज समेत लौटाने को कहा गया है। उनके पास भारत और विदेशों में कई अचल संपत्तियां हैं।
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मोदी सरकार ने उठाई पहल
सुब्रत रॉय पर उन पैसे को वापस नहीं करने का आरोप लगाया गया था जो उनके निवेशकों ने उन्हें उधार दिया था। इसके चलते सेबी (SEBI) ने उनके खिलाफ कार्रवाई की और 20 मिलियन डॉलर की वापसी का मामला उनके लिए एक समस्या बना रहा। इसके बाद, रॉय परिवार के लिए हालात बद से बदतर होते चले गए, क्योंकि उन्हें जेल जाने के लिए मजबूर होना पड़ा और उनका व्यवसाय भी प्रभावित हुआ। हालांकि एक बार फिर से सहारा ग्रुप के लिए चीजें ठीक होती नजर नहीं आ रही हैं क्योंकि उन पर नए आरोप लगाए गए हैं। इसके अतिरिक्त एक दो वर्ष पूर्व नेटफ्लिक्स पर प्रसारित “Bad Boy Billionaires” में उन पर आधारित डॉक्यूमेंट्री ने इनके व्यवसाय के लिए कोढ़ में खाज का काम भी किया है।
तो फिर मोदी सरकार को इन निवेशकों की याद कैसे आई? असल में इस घोटाले पर न्यायपालिका की कार्यवाही जब प्रारंभ हुई, तब तक मोदी सरकार सत्ता में आ चुकी थी। इसके अतिरिक्त मोदी सरकार “सहकारिता से सहयोग” की नीति में विश्वास करती है, और वह कतई नहीं चाहेगी कि कोई व्यक्ति अथवा कोई संस्थान इस काम में बाधा डालें। इससे पूर्व ऐसे ही वित्तीय अनियमितताओं के चक्कर में महाराष्ट्र के भ्रष्ट सरकारी सहकारिता बैंकों पर भी कार्रवाई हुई थी, और ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि मोदी सरकार अपने विरोधियों को उन्ही की भाषा में जवाब देने के लिए पूरी तैयार है।
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